ऎसे संकेत मिले हैं जिससे ज्ञात होता है कि राम सेतु जैसी संरचना पहले अस्तित्व में थी !

संसद में केंद्र सरकार का वक्तव्य !

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह (बाईं ओर)

नई दिल्ली – वह स्थान (भारत और श्रीलंका के बीच समुद्र में) जिसे पौराणिक ‘राम सेतु’ माना जाता है, की उपग्रहों द्वारा छाया चित्र लिए गए हैं। सरल शब्दों में कहना होगा कि यह कहना कठिन है कि वर्तमान स्वरूप वास्तविक है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में भाजपा सांसद कार्तिकेय शर्मा द्वारा राम सेतु पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि ऎसे संकेत हैं कि ऐसे ढांचे के अस्तित्व की संभावना है ।

जितेंद्र सिंह ने कहा कि तकनीक के माध्यम से हम कुछ परिमाण में सेतु के टुकड़े (राम सेतु के) और एक प्रकार के चूना पत्थर के अवशेष पहचान कर पाए हैं। हम यह नहीं बता सकते कि यह सेतु का भाग है या उसके अवशेष । अन्वेषण में हमारी कुछ सीमाएँ हैं, क्योंकि इसका इतिहास १८ सहस्त्र वर्ष पुराना है और इतिहास पर ध्यान देने से प्रतीत होता है कि यह सेतु लगभग ५६ किलोमीटर लंबा था।

कांग्रेस ने सर्वोच्च न्यायालय में इस तथ्य को झुठलाया था कि राम सेतु का निर्माण श्री राम ने किया था !

वर्ष २००५ में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ‘सेतुसमुद्रम’ नामक एक बड़ी नहर परियोजना की घोषणा की। उसमें राम सेतु के कुछ भागों से बालू निकालकर उसे नष्ट करने की बात भी कही गई थी, जिससे नावों को पानी में उतारा जासके। इस परियोजना में रामेश्वरम में देश का सबसे बड़ा बंदरगाह बनाना भी नियोजित था । जिससे अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के बीच एक सीधा समुद्री मार्ग बन जाता। इस प्रकल्प से  समुद्री व्यवसाय से ५० सहस्त्र  करोड़ रुपए का लाभ होने का अनुमान था। जब इसका विरोध किया गया तब सरकार ने न्यायालय में दावा किया था कि ´ श्री राम काल्पनिक हैं अत: ‘राम सेतु उन्होंने नहीं बनाया है।  सरकार ने राष्ट्रव्यापी विरोध के दबाव में तदोपरांत इस दावे को वापस ले लिया और  इस परियोजना को बंद कर दिया। साथ ही वैज्ञानिकों का मत था कि ‘इस सेतु  के नीचे ‘टेक्टोनिक प्लेट्स’ की दुर्बलता के कारण  इसे यदि बदला गया तो यह एक बड़ी प्राकृतिक आपदा का कारण बन सकता है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि यहां दुर्लभ समुद्री जीवन और पौधों की ३६,००० प्रजातियां हैं। इस सेतु के ध्वस्त होने से दुर्लभ प्राणियों का यह पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट हो जाएगा और मानसून चक्र भी  प्रभावित होगा।

राम सेतु के संबंध में जानकारी

राम सेतु

भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के मन्नार द्वीप के बीच उथले चूना पत्थर की चट्टानों की एक श्रृंखला है। इसे भारत में राम सेतु और दुनिया में ‘एडम्स ब्रिज’ कहा जाता है। इसकी लंबाई ४८ कि.मी. है । यह सेतु मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरूमध्य को अलग करता है। इस क्षेत्र में समुद्र बहुत उथला है। इसलिए यहां बड़ी नावें चलाने में अवरोध आते हैं । १५ वीं शताब्दी तक रामेश्वरम से मन्नार द्वीप तक पैदल चलना संभव  था, किन्तु तूफानों की कारण से यहां समुद्र गहरा हो गया और सेतु, समुद्र में डूब गया। वर्ष १९९३ में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ ने राम सेतु की उपग्रह छाया चित्र´ प्रकाशित किए थे,  जिसमें इसे ‘मानव निर्मित सेतु ‘ बताया था।

मोदी सरकार कहती है, ‘राम सेतु का कोई साक्ष्य नहीं है !’- कांग्रेस की आलोचना

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने राम सेतु को लेकर केंद्र सरकार के वक्तव्य की आलोचना की है । खेड़ा ने ट्वीट कर कहा कि सभी भक्त कान लगाकर सुनें और आंखें  खोल कर देखें; मोदी सरकार संसद में कह रही है कि राम सेतु का कोई साक्ष्य नहीं है ।