ज्ञानव्यापी मुक्ति संघर्ष से पुनः प्रवाहित होगी देश की आध्यात्मिक ऊर्जा ! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन

अधिवेशन में दीपप्रज्वलन करते हुए बाईं ओर से सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, स्वामी वेदतत्त्वानंद पुरीजी एवं सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी

देहली (दिल्ली) – काशी हमारी आध्यात्मिक नगरी है । काशी हमारी ऊर्जा का एक स्रोत है । इसलिए हमें विकास तो चाहिए, परंतु आध्यात्मिक विकास भी चाहिए । काशी विश्वनाथ मुक्ति का यह संघर्ष इस आध्यात्मिक ऊर्जा को प्रवाहित करने के लिए है । ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ का विरोध करते हुए उन्होंने बताया कि १९४७ के उपरांत कश्मीर में जितने मंदिर तोडे गए हैं, उन्हें पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है । अब जागृति बढ गई है और हिन्दू समाज मंदिर मुक्ति का संघर्ष कर रहा है, ऐसा प्रतिपादन काशी ज्ञानव्यापी मुक्ति हेतु कार्यरत सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने किया । देहली के कालकाजी स्थित नारायण मंदिर में संपन्न हुए इस दो दिवसीय अधिवेशन में पूर्व उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, देहली, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश, इन ८ राज्यों से विभिन्न हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के पदाधिकारी, मंदिर विश्वस्त, अधिवक्ता, विचारक आदि सहभागी हुए हैं ।

भारत के साथ अन्य देशों को भी हिन्दू राष्ट्र बनाना आवश्यक ! – स्वामी वेदतत्त्वानंद

अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश एक समय हिन्दू भूमि थी । गत ७०० वर्षो में हिन्दू धर्म पर अनेक आक्रमण हुए । इन सब आक्रमणों में बाकी जगहों पर अन्य संस्कृतियां नष्ट हो गईं; परंतु सनातन धर्म नष्ट नहीं हुआ । इसलिए हमें जागृत होकर भारत के साथ अन्य देशों को भी हिन्दू राष्ट्र बनाने का विचार करना चाहिए ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना, धर्म का अधर्म के विरुद्ध युद्ध है ! – रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

आज वायु, ध्वनि आदि प्रदूषण की बात हो रही है, परन्तु राष्ट्र एवं धर्म विरोधी वैचारिक प्रदूषण की ओर हम कब ध्यान देंगे ? हिन्दू राष्ट्र की स्थापना, धर्म का अधर्म के विरुद्ध युद्ध है । सरकार किसी भी विचारधारा की हो; परन्तु देश की राज्यव्यवस्था देश के बहुसंख्यक अर्थात हिन्दू समाज के लिए प्रधानता से अनुकूल होनी चाहिए । इसलिए हमें हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनी होगी ।

कश्मीर के निवासी होने के ‘डोमिसाइल’ प्राप्त करना कठिन ! – सुशील पंडित, ‘रूट्स इन कश्मीर’

जिन्हें स्वयं के एवं धर्म की रक्षा के लिए प्राण मुट्ठी में लेकर विस्थापित होना पडा, जो ३० वर्षों से अपने मातृभूमि कश्मीर में वापस नहीं जा सके, उनसे ‘डोमिसाइल’ के नाम पर आज कश्मीर के निवासी होने के १५ वर्ष पुराने प्रमाण मांगे जा रहे हैं ।

‘यू.पी.एस.सी.’ कोचिंग संस्थाओं में हिन्दू धर्म विरोधी शिक्षा ! – नीरज अत्री, विवेकानंद कार्य समिति

आज यू.पी.एस.सी. के कोचिंग संस्थाओं में हिन्दू धर्म विरोधी कार्य हो रहा है । सनातन धर्म पर उंगली उठाने का साहस इन्हें कहां से आता है ? इन संस्थानों में हमारे रामायण, महाभारत इ. धर्मग्रंथों की कथाओं को विकृत कर सिखाया जा रहा है ।