|
नई देहली – केंद्र सरकार ने सर्वाेच्च न्यायालय में कहा कि धर्म-परिवर्तन कर ईसाई तथा मुसलमान अस्पृश्यों को अनुसूचित जाति की सूची से बाहर रखना उचित है । इन ईसाई तथा मुसलमानों को जन जाति तथा उनको मिलनेवाले लाभ प्राप्त होने की मांग से संबंधित याचिका सर्वाेच्च न्यायालय में प्रविष्ट की गई है । इस पर केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय ने अपना मत प्रस्तुत किया है । सरकार ने कहा है कि अंकशास्त्र के अनुसार ऐसा ध्यान में आता है कि ईसाई तथा मुसलमान धर्माें में जाति के आधार पर भेदभाव नहीं होता अथवा धर्म-परिवर्तित लोगों के पिछडेपन के कारण उनके साथ छल किया जा रहा है, ऐसा नहीं है । इसलिए धर्म-परिवर्तित लोगों को इन कारणों से मिलनेवाला आरक्षण समान लाभ देना संभव नहीं है । संविधान के (अनुसूचित जाति) आदेश, १९५० में इस संदर्भ में कोई उल्लेख नहीं है ।
"No data to suggest that oppressive environment faced by Dalits in Hindu society also existed in Christian or Islamic society": Central govt opposes plea in Supreme Court seeking SC benefits for Dalit converts to Christianity, Islam
report by @DebayonRoyhttps://t.co/JJOmWQenen
— Bar & Bench (@barandbench) November 9, 2022
१. केंद्र सरकार ने आगे कहा कि छल तथा अस्पृश्यता के कारण हिन्दुओं की जाति आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से पीछे रह गई है । ईसाई तथा मुसलमान धर्म में ऐसा नहीं है । इसीलिए ऐसे लोगों ने ईसाई तथा मुसलमान होने का निर्णय लिया, जिसके कारण उन्हें इस व्यवस्था से स्वतंत्रता प्राप्त हो !
२. इस समय केंद्र सरकार ने रंगनाथ मिश्रा आयोग का ब्यौरा मानना भी अस्वीकार कर दिया । इस ब्यौरे में धर्म-परिवर्तन करनेवालों को अनुसूचित जाति तथा जनजाति का स्तर देने की अनुशंसा की गई थी । सरकार ने कहा है कि इस आयोग ने वास्तविक जानकारी का अध्ययन किए बिना यह अनुशंसा की है ।
संपादकीय भूमिका
|