बकरी ईद के दिन हिन्दुओं ने अजमेर दरगाह में जाना टाला !

  • अजमेर के गौहर चिश्ती द्वारा नुपूर शर्मा का सिर काटने के लिए उकसाने का परिणाम !

  • अधिकांश मुस्लिम व्यापारियों को ९०% आर्थिक हानि !

‘अजमेर-शरीफ’दरगाह

(दरगाह अर्थात् मुस्लिम संत की समाधि)

अजमेर (राजस्थान) – अन्य समय यहां के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की प्रसिद्ध दरगाह (अजमेर-शरीफ) पर सहस्रों की संख्या में भेंट देनेवाले हिन्दू अब वहां नहीं जा रहे हैं । शहर में विश्राम गृहों के राजस्व में ९० प्रतिशत की गिरावट आई है तथा जलपान गृहों को भी करोडों रुपए की हानि हुई है । ८ जुलाई के शुक्रवार की नमाज तथा १० जुलाई को हुए बकरी ईद को अत्यंत अल्प प्रतिसाद मिला ।

कहा जा रहा है कि नूपुर शर्मा के विरुद्ध दरगाह के कम से कम ३ खादिम (नौकरों) द्वारा किए गए उकसानेवाले कथन व उदयपुर हत्त्याकांड के आरोपी का दरगाह के नौकरों से संबंध सामने आने के कारण हिन्दुओं ने अजमेर दरगाह से मुंह मोड लिया है । खादिम ऐनुद्दीन चिश्ती के अनुसार, शहर की अर्थव्यवस्था १५-२० सहस्र लोगों पर निर्भर करती है, जो प्रतिदिन अजमेर आते हैं । एक अन्य दुकानदार के अनुसार अजमेर में व्यापारियों को कम से कम ५० करोड रुपए की आर्थिक हानि हो रही है । यह जानकारी अंग्रेजी समाचारपत्र ‘टाईम्स ऑफ इंडिया’ ने दी है ।

हिन्दुओं के विरोध में किए वक्तव्य के कारण हिन्दुओं ने किया दुर्लक्षित ! – ‘जन्नत गृप ऑफ होटल्स’ के मालिक

दरगाह परिसर के ‘जन्नत गृप ऑफ होटल्स’ के स्वामी रियाज खान के अनुसार चिश्ती द्वारा किए अयोग्य वक्तव्य के कारण यहा की भीड कम हुई है । ऐसा लगता है कि उदयपुर हत्याकांड के बाद होटलों में आरक्षण (अग्रिम बुकिंग) करने वालों की संख्या में कमी आई है । उन्होंने कहा कि ‘सोहन हलवा’, इस खाद्यपदार्थ के लिए प्रसिद्ध ‘ख्वाजा गरीब नवाज स्वीट्स’ के मालिक शादाब सिद्दीकी की आय में ९०℅ की कमी आई है ।

प्रातिनिधिक चित्र

संपादकीय भूमिका

‘हिन्दू संगठित हो जाएं तो वो क्या नहीं कर सकते  ?, यह इसका उदाहरण है ! यदि कोई कहे, ‘इस प्रकार से हिन्दुओं पर आक्रमण करने वालों को सबक सिखाना आवश्यक है’, तो क्या गलत है ?