‘कश्मीर से कन्याकुमारी’, ‘कच्छ से कामरूप’ ऐसा ‘आसेतु हिमालय’ एवं सिंधु से सेतुबंध’ तक हिन्दू राष्ट्र स्थापित करना है !

‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ में किया मार्गदर्शन !

वक्ता : सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

१२ से १८ जून २०२२ की कालावधि में रामनाथी (गोवा) के श्री रामनाथ देवस्थान में दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन संपन्न हुआ । इस अधिवेशन में हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने मार्गदर्शन किया । यह मार्गदर्शन हम हमारे पाठकों के लिए यहां दे रहे हैं ।

आज के समय में यत्र-तत्र-सर्वत्र हिन्दू राष्ट्र की ही चर्चा चल रही है । उत्तर प्रदेश का चुनाव हो, प्रयाग में संपन्न संतों की धर्मसंसद हो, हरियाणा के विधायक द्वारा हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु ली गई शपथ हो अथवा पुरी पीठ के पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज द्वारा आरंभ किया हुआ ‘हिन्दू राष्ट्र अभियान’, आज के समय में भारत में राजनीति, धर्मनीति और ‘मीडिया’ इन क्षेत्रों में केवल हिन्दू राष्ट्र की ही चर्चा हो रही है ।

१. हिन्दुत्व के आंदोलनों को प्रखर बनाइए !

आज के समय में भारतवर्ष में हिन्दूहित के अनेक आंदोलन और अभियान प्रभावी पद्धति से चल रहे हैं ।

१ अ. अवैध भोंपुओं के विरोध में आंदोलन : ‘लाउडस्पीकर्स’ के द्वारा (भोंपुओं के द्वारा) कर्णकर्कश अजान दी जाना ध्वनिप्रदूषण के कानून के विरोध में है । राज्य सरकारों और पुलिस की अकार्यक्षमता के कारण जनता को प्रातःकाल से अजान सुननी पड रही है यह दुर्भाग्यजनक है । इस संदर्भ में कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश इत्यादि राज्यों के हिन्दू जागृत होकर आगे आए हैं । कुछ स्थानों पर ये ‘लाउडस्पीकर्स’ हटाए नहीं जाते; इसलिए वहां ‘हनुमान चालीसा’ पाठ के प्रति आंदोलन भी आरंभ हुए हैं । इस ‘लाउडस्पीकर्स’ विरोधी वैध आंदोलनों में सर्वत्र के हिन्दुओं को सम्मिलित होना आवश्यक है । विशेष बात यह कि इस संदर्भ में इस अधिवेशन में स्वयंप्रेरणा से स्थापित ‘हिन्दू विधिज्ञ परिषद’ ने वर्ष २०१३ में सर्वप्रथम मुंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका प्रविष्ट की थी ।

१ आ. विदेशी आक्रांताओं द्वारा अतिक्रमित मंदिरों की मुक्ति के लिए आंदोलन : दुर्भाग्यवश आज भी कुछ प्राचीन और पौराणिक परंपरा प्राप्त हिन्दू मंदिरों पर किए गए इस्लामी अतिक्रमण उसी स्थिति में हैं । इस संदर्भ में जागरूक अधिवक्ताओं और संगठनों ने लडाई आरंभ की है ।

१ इ. गढ-किलों पर होनेवाले इस्लामी अतिक्रमण : आज मंदिरों की भूमि, नाथ संप्रदायों के संतों की समाधियों, किलों, प्रशासनिक कार्यालयों, सरकारी भूमि, रेलस्थानकों, वाटिकाओं, सडकों आदि स्थानों पर इस्लामी अतिक्रमण कर वहां दरगाह अथवा मजार निर्माण करने का षड्यंत्र चल रहा है ।

१ ई. हिजाब का देशविरोधी षड्यंत्र : कर्नाटक में ‘हिजाब’ के सूत्र पर शिक्षासंस्थानों को घेरने की घटनाएं हो रही थीं । कट्टरतावादियों ने छात्राओं के माध्यम से ‘पहले हिजाब, बाद में किताब’ यह अभियान ही आरंभ किया था । ऐसे समय में देश के एक भी ‘सेक्युलरवादी’ (धर्मनिरपेक्षतावादी) को मुसलमानों को उनकी दृष्टि में ‘कुरान श्रेष्ठ है अथवा देश का संविधान?’, यह प्रश्न पूछने का साहस नहीं हुआ ! कर्नाटक के अधिवक्ता अमृतेश और मुंबई के अधिवक्ता सुभाष झा ने इसके विरुद्ध लडाई लडी, जिससे हम इस देशविरोधी षड्यंत्र को रोक पाए । आप ध्यान में लीजिए कि हिजाब केवल एक विवाद नहीं है, अपितु एक योजनाबद्ध षड्यंत्र है !

१ उ. आज देश के सामने इस्लामी ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ का बडा संकट खडा है । हिन्दू जनजागृति समिति ने इस संकट के विरुद्ध देशव्यापी संघर्ष खडा किया है । इस आंदोलन में आपको भी सम्मिलित होना आवश्यक है ।

यह सब बताने का तात्पर्य यही है कि हिन्दू संगठनों को अपने सहभाग से ऐसे आंदोलनों को प्रखर बनाना समय की मांग है ।

२. हिन्दू राष्ट्र की मांग किसलिए ?

आज अनेक लोग यह प्रश्न पूछते हैं कि देश में राष्ट्रवादी और हिन्दुत्ववादी सरकार होते हुए भी आप अलग ‘हिन्दू राष्ट्र’ की मांग क्यों करते हैं ? हमारा कहना यह है कि राजनीतिक दल सत्ता के लिए दलबदल करते रहते हैं; परंतु हमें हिन्दुओं के हित की स्थिर व्यवस्था चाहिए । आज की ‘सेक्युलर’ रचना में हिन्दू हित की स्थिर रचना कहां है ? कहीं पर भी नहीं है ! इसके विपरीत हिन्दूविरोधी घटनाओं में प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है, जिसकी चर्चा दुर्भाग्यवश नहीं होती ।

अ. आज हिन्दूबहुल भारत में ‘लव जिहाद’, ‘लैंड जिहाद’ और ‘थूक जिहाद’ के भयंकर षड्यंत्र चल रहे हैं ।

आ. तमिलनाडु में ‘लावण्या’ नामक एक गरीब छात्रा को धर्मांतरण के दबाव के चलते आत्महत्या करनी पडी ।

इ. कमलेश तिवारी, हर्ष, किशन भरवाड, श्रीनिवासन् आदि हिन्दू नेताओं की दिनदहाडे हत्याएं की गईं । उसके उपरांत गिरफ्तार किए गए ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ के आरोपियों के पास १०० हिन्दुत्वनिष्ठों की ‘हिटलिस्ट’ मिली, साथ ही इसमें केरल के जिशाद बदरुद्दीन नामक मुसलमान पुलिस अधिकारी के द्वारा ही श्रीनिवासन् से संबंधित गुप्त जानकारी दिए जाने की बात उजागर हुई ।

ई. कश्मीर के उपरांत गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, देहली के हिन्दू समाज को अपने घरों पर ‘बिकाऊ मकान’ (घर बेचने से संबंधित) पाटियां (बोर्ड) लगानी पड रही हैं ।

उ. आज देश के ९ राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक बन गए हैं, तब भी ‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ जैसी परिषदों के माध्यम से इन पीडित हिन्दुओं को आतंकी प्रमाणित किया जा रहा है । ऐसी स्थिति में हिन्दुओं के द्वारा स्वयं की सुरक्षा के लिए नहीं, अपितु अपने अस्तित्व के लिए सर्वजन हितकारक ‘हिन्दू राष्ट्र’ की मांग करना अनुचित कैसे है ? यह तो हमारा प्राकृतिक और संवैधानिक अधिकार है !

३. हिन्दूविरोधी समूह का गठबंधन (एंटीहिन्दू एलायंस) ही हिन्दू राष्ट्र के सामने चुनौती है !

आज के समय में भारत में एक बडा हिन्दूविरोधी गठनबंधन (एंटीहिन्दू एलायंस) काम कर रहा है । यह एक ‘एलायंस’ है ‘सेक्युलरिस्ट’, ‘इस्लामिस्ट’, ‘मिशनरिस्ट’ और ‘कम्युनिस्ट’ शक्तियों का ! इन सभी शक्तियों का एकत्रीकरण का उद्देश्य है, सत्ता की प्राप्ति !

बंगाल के चुनाव के उपरांत जिहादियों द्वारा भडकाई गई हिंसा को ‘कम्युनिस्ट’ और ‘सेक्युलर’ शक्तियों से राजनीतिक सहायता मिली, जो चिंता की बात है । भविष्य में हमारा इस्लामिस्ट-कम्युनिस्ट-सेक्युलरिस्ट शक्तियों के विरुद्ध एकत्रित संघर्ष होगा, इसके संकेत देनेवाली यह घटना है । ये ‘हिन्दूविरोधी शक्तियां’ ही हिन्दू राष्ट्र के सामने की वास्तविक चुनौती हैैं ।

इस हिन्दूविरोधी ‘एलायंस’ को हराने के लिए हमें ‘हिन्दू राष्ट्र अधिवेशनों’ के द्वारा हिन्दू धर्माचार्याें, संतों, अधिवक्ताओं, सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं, बॉलिवुड के कलाकारों, व्यापारियों, प्रसारमाध्यमों आदि सभी का ‘एलायंस’ खडा करना पडेगा, तब जाकर हिन्दू राष्ट्र का यह आंदोलन जनमानस तक पहुंचेगा !

४. हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के संदर्भ में उचित दृष्टिकोण रखिए !

४ अ. ‘समान नागरिक संहिता’ लागू की जाए, तो भारत हिन्दू राष्ट्र बनेगा’, यह विचार ही अनुचित : हाल ही में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों ने अपने राज्यों में ‘समान नागरिक संहिता’ लागू करने का अभिनंदनीय निर्णय लिया है; परंतु जब इस कानून के समाचार प्रसारित होते हैं, तब कुछ लोग सार्वजनिक रूप से भाषण देकर यह बता रहे हैं कि ‘जब भारत में ‘समान नागरिक संहिता’ लागू होगी, तब भारत हिन्दू राष्ट्र बनेगा’; परंतु क्या यह सत्य है ?, इस पर आप अवश्य विचार कीजिए !

भारतीय समाज में हिन्दू समाज कानून का पालनकर्ता है । आज तक हिन्दुओं के लिए ५ कानून बनाए गए हैं । इन सभी कानूनों का हिन्दू समाज ने पालन किया; परंतु अन्य धर्म-पंथों का क्या ? क्या वे उनके धर्म को अथवा विचारों को नियंत्रित करनेवाले एक भी कानून का पालन करते हैं ? ‘वर्ष २०१९ में ‘ट्रीपल तलाक’ का कानून पारित हुआ; परंतु तब भी उत्तर प्रदेश में प्रतिमाह तीन तलाक की न्यूनतम १० तो घटनाएं होती हैं ।’ वर्ष २०२० में केंद्र शासन ने ‘नागरिकता संशोधन कानून’ (सीएए) पारित किया; परंतु उस विषय पर इतना हंगामा मचाया गया और इतने दंगे कराए गए कि अंततः यह कानून बनकर ढाई वर्ष बीतने के उपरांत भी केंद्रीय गृहविभाग ने अभी तक उसके क्रियान्वयन की ‘नोटिफिकेशन’ (सूचनापत्र) लागू करने का साहस नहीं दिखाया है । उसके कारण ‘समान नागरिक संहिता’ लागू हुई, तो हिन्दू उसका पालन करेंगे; परंतु क्या अन्य धर्मीय उसका पालन करेंगे?, यह प्रश्न है !

इसलिए हमारे द्वारा हिन्दूहित एवं राष्ट्रहित के कानूनों की मांग करते रहना उचित ही है; परंतु केवल उसके कारण ही ‘हिन्दू राष्ट्र’ आएगा’, यह विचार व्यर्थ है, इसे ध्यान में लीजिए !

४ आ. पहले हिन्दूहित के कानून या पहले ‘हिन्दू राष्ट्र’, इस द्वंद में मत फंसिए : वर्तमान में अनेक स्थानों पर ‘समान नागरिक संहिता कानून’, ‘गोरक्षा’, ‘मंदिरों का नियंत्रण’ आदि कानूनों के संदर्भ में न्यायालयीन संघर्ष और सडकों पर आंदोलन चल रहे हैं । कुछ लोगों का यह मानना है कि हमने एक-एक हिन्दूहित के न्यायालयीन संघर्ष जीत गए, तो हमें हिन्दू राष्ट्र मिलेगा, तो कुछ लोगों का यह मानना होता है कि पहले हिन्दू राष्ट्र बन गया, तब हिन्दूहित के सभी कानून बनेंगे । मैं सभी को यह प्रेमपूर्वक सूचना करना चाहता हूं कि आप ‘पहले हिन्दूहित के कानून अथवा पहले ‘हिन्दू राष्ट्र’, इस द्वंद्व में मत फंसिए ! आप अपनी क्षमता के अनुसार जो करने का प्रयास कर रहे हैं, उसे प्रभावी पद्धति से और संपूर्ण निष्ठा के साथ कीजिए ! इनमें से पहले जो भी मिलेगा, वह हिन्दू समाज के और ‘हिन्दू राष्ट्र’ के हित में ही होगा !

५. हिन्दू राष्ट्र की निरंतर मांग करते रहिए !

आज ९ राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक बन गए हैं । वर्ष २०११ की जनगणना का अध्ययन कर यह बात बताई जा रही है कि ‘वर्ष २०४० में भारत को पहला मुसलमान प्रधानमंत्री मिलेगा ।’

आज केंद्र में राजनीतिक दृष्टि से साहसिक निर्णय लेने की क्षमता रखनेवाली सरकार है । अनुच्छेद ३७० को हटाना, राममंदिर का निर्माण करना, सीएए कानून बनाना आदि राजनीतिक निर्णय लेने का साहस इस सरकार ने दिखाया है । केंद्र में भले ही स्थिर और राष्ट्रवादी सरकार हो, तब भी राज्यों में अभी भी प्रांतीय और ‘सेक्युलर’ राजनीतिक दलों की सरकारें हैं । यह तो देश में एक प्रकार का राजनीतिक अराजक है । ऐसी स्थिति में हमें अभी से यह मांग करनी चाहिए कि ‘भारतीय संविधान के अनुसार भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाए ।’ इसका यही उचित समय है । अतः अगले २-३ वर्ष हिन्दू राष्ट्र की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं । इसके लिए हमें निरंतर हिन्दू राष्ट्र की मांग करते रहना होगा । इस दृष्टि से ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ महत्त्वपूर्ण है । यह कार्य करते समय कालमहिमा के अनुसार वर्ष २०२५ में हिन्दू राष्ट्र आने ही वाला है, इसके प्रति आश्वस्त रहिए !

– सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, हिन्दू जनजागृति समिति