धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करने वाले ‘हलाल’ प्रमाणपत्रों पर लगाएं प्रतिबंध !

ओडिशा सुरक्षा सेना के अध्यक्ष अभिषेक जोशी का प्रधानमंत्री को पत्र !

कटक (ओडिशा) – हलाल अर्थव्यवस्था पर प्रतिबंध लगाना अत्यावश्यक है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के समानांतर है और भारतीयों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है । इसका अन्वेषण होना चाहिए कि धर्म के आधार पर हलाल प्रमाण पत्र देने वाली सभी संस्थाएं और उनके माध्यम से प्राप्त धन का उपयोग कहीं राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए तो नहीं किया जाता है, ऎसी मांग श्री अभिषेक जोशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर की है ।

पत्र में प्रस्तुत महत्वपूर्ण सूत्र !

१. भारतीय विधि व्यवस्था संविधान द्वारा निर्देशित सिद्धांतो के आधार पर चलती है, न कि इस्लामी शरिया कानून से । जब भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण है तो हलाल प्रमाणपत्र की आवश्यकता क्यों है ?

२. ‘भा.दं.वि. की धारा १५३-बी’ अनुसार नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करना अपराध है। हलाल अर्थव्यवस्था मुसलमानों को केवल मुसलमानों के साथ व्यापार करने के लिए प्रोत्साहित करती है ।

३. हलाल सर्टिफिकेट लेने के लिए दबाव निर्माण करने से 63 हजार करोड़ रुपये का व्यवसाय केवल मुसलमानों के आधिपत्य में चला गया है । इसका सीधा ऋणात्मक परिणाम संबंधित औद्योगिक क्षेत्र के पारंपरिक हिन्दू व्यवसायियों पर पड़ रहा है ।

४. भारत में, जहां केवल १५ प्रतिशत मुसलमान हैं, वहां ८५ प्रतिशत हिन्दुओं को हलाल मांस भक्षण करने के लिए बाध्य करना अन्याय है । यह हिन्दुओं और सिखों की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है ।

५. हलाल प्रमाण पत्र प्रदान करने से एकत्रित की गई धन राशि का उपयोग शासन द्वारा आतंकी संगठनों के विरुद्ध चलाई जाने वाली कानूनी लड़ाई में आतंकियों के पक्ष में किया जा रहा है अर्थात हलाल प्रमाण पत्र से मिले धन का उपयोग राष्ट्रविघातक गतिविधियों में किया जा रहा है ।

‘हलाल’ प्रमाणपत्र क्या है?

इस्लाम के अनुसार, ‘हलाल’ का अर्थ वैध है । अतीत में, ‘हलाल’ केवल मांस तक ही सीमित था; किन्तु वर्तमान में अब कट्टरपंथी अपनी स्वतंत्र अर्थव्यवस्था बनाना चाहते हैं, तो उन्हें आवास, औषधि, सौंदर्य प्रसाधन आदि जैसी विभिन्न वस्तुओं के लिए ‘हलाल’ प्रमाण पत्र प्राप्त करना होता है संक्षेप में इसका अर्थ होता है कि , ‘यह इस्लाम के अनुसार प्रमाणित है’। इसके लिए कुछ इस्लामिक संगठन काम कर रहे हैं । उनके द्वारा स्वीकृत प्रमाणपत्र को ‘हलाल’ प्रमाणपत्र कहा जाता है । ‘हलाल’ प्रमाण पत्र के माध्यम से कट्टरपंथियों द्वारा रचा गया, यह एक षड्यंत्र है जो देश की अर्थव्यवस्था के समानांतर एक इस्लामी अर्थव्यवस्था का निर्माण कर प्रचलित अर्थव्यवस्था को पंगु बनाता है ।

संपादकीय भूमिका

हिन्दुओं को ऐसी मांग क्यों करनी पड़ती है ? सरकार स्वयं समानांतर अर्थव्यवस्था बनाने का प्रयास करने वाले एवं सीधे धर्मनिरपेक्षता का हनन करने वाले ‘‘हलाल प्रमाण पत्र ’’ पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती ?