दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में राष्ट्र और धर्म के लिए क्रियाशील होने का हिन्दुओं से आवाहन !
रामनाथी, १८ जून (संवाददाता) – हिन्दुओं पर चाहे कौनसा भी संकट आए; परंतु उसे धर्म का त्याग नहीं करना चाहिए । हिन्दुओं को ‘मेरे सामने अन्य पंथियों की चाहे कोई भी विचारधारा आए, तब भी मैं हिन्दू धर्म का त्याग नहीं करूंगा’, यह संकल्प लेना चाहिए । अपना देश, भाषा, संस्कृति और धर्म के प्रति निष्ठा रखकर हिन्दुओं ने धर्मकार्य किया, तो हिन्दू राष्ट्र आने में समय नहीं लगेगा । हिन्दुओं ने क्रियान्वयन के स्तर पर राष्ट्र और संस्कृति का संवर्धन किया, तो भगवा कपडे पहनने की आवश्यकता नहीं है, ऐसा मार्गदर्शन अमरावती जिले के कौंडण्यपुर के रुक्मिणी वल्लभ पीठाचे जगद्गुरु राम राजेश्वर माऊली सरकारजी महाराज ने १८ जून को रामनाथी (गोवा) के ‘दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’को संबोधित करते हुए किया । इस अवसर पर व्यासपीठ पर हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, ‘श्री शिवप्रतिष्ठान युवा हिन्दुस्थान’के संस्थापक श्री. नितीन चौगुले, कोरबा (छत्तीसगढ) के ‘धर्मसेना’ संगठन के अध्यक्ष श्री. विष्णो पटेल, गोवा राज्य के ‘गोमंतक हिन्दू प्रतिष्ठान’के अध्यक्ष श्री. अंकित साळगांवकर और बंगलुरू (कर्नाटक) की विश्व सनातन परिषद के अध्यक्ष श्री. एस्. भास्करन् आदि मान्यवर उपस्थित थे ।
जगद्गुरु राम राजेश्वर माऊली सरकार ने आगे कहा,
१. भारत में अंग्रेजी भाषा का आक्रमण हुआ, तब भी हिन्दुओं को अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी में बोलना चाहिए ।
२. ‘भारत सोने का पक्षी नहीं, अपितु वह सोने का गरुड (दैवी पक्षी) है’, यही हमें मानना पडेगा ।
३. अपने हिन्दू धर्म का प्रचार करते समय हमें लज्जा नहीं प्रतीत होनी चाहिए । आज के समय में समाज में उच्चशिक्षा प्राप्त अपने अल्पशिक्षित माता-पिताओं के प्रति लज्जा प्रतीत होती है । इस स्थिति को बदलना पडेगा ।
४. आज देश में हिन्दू समाज की दुर्दशा हुई है । हमारी विचारधारा पर अर्थात हमारी संस्कृति पर अतिक्रमण हो रहा है । धर्म का परिवर्तन होने पर विचारों का भी परिवर्तन होता है; इसलिए हिन्दुओं को इसे रोकना होगा । उसके लिए ही ऐसे अधिवेशन और सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है ।
५. हिन्दू धर्मविरोधी घटनाओं के विरुद्ध लडने के लिए प.पू. रामानंदचार्य महाराज का जन्म हुआ है ।
६. भारत के सभी संत संगठित हुए, तो हम कोई भी कार्य कर सकते हैं ।
७. भारत में हिन्दुओं की संख्या अधिक होते हुए भी भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ क्यों नहीं कहा जाता ? हिन्दू राष्ट्र की आवश्यकता अब भी है और आगे भी रहेगी ।
८. अमेरिका, आफ्रिका, जापान जैसे देशों के नागरिकों को अपने देश पर गर्व होता है, वैसे ही हिन्दुओं को हिन्दू राष्ट्र पर गर्व होना चाहिए ।
९. देश में बहुसंख्या में हिन्दू होते हुए भी उन्हें अपने अधिकारों के लिए लडना पडता है, यह दुर्भाग्यजनक है । हिन्दुओं को इस स्थिति बदलने के लिए प्रयास करने चाहिएं ।
जैसे सभी नदियां समुद्र से मिलती हैं, वैसे ही इस अधिवेशन में सभी संगठन गोवा में संगठित हुए हैं ! – जगद्गुरु राम राजेश्वर माऊली सरकार
गोमंतक की भूमि पर दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन आयोजित किया गया है । यहां हिन्दुओं की विचारधारा पर विचारमंथन हो रहा है । जैसे अनेक नदियां अंततः समुद्र से मिलती है, उस प्रकार देश के सभी राज्यों से हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन और संप्रदाय एक ही स्थान पर एकत्रित हुए हैं ।
जातिवाद और संगठनवाद छोडकर हिन्दू के रूप में आगे आना चाहिए ! – नितीन चौगुले, संस्थापक, श्री शिवप्रतिष्ठान युवा हिन्दुस्थान
‘लैंड जिहाद’, ‘लव जिहाद’ गोहत्या, धर्मांतरण आदि रोकने के लिए प्रयास करने होंगे । समाज में धर्म का कार्य करते समय हम पर अभियोग प्रविष्ट कर हमें तडीपार भी किया जाता है; परंतु इसके विपरीत गोहत्या, बलात्कार, धर्मांतरण करनेवाले अन्य पंथियों के ‘शांतिदूत’ हैं । ऐसे ‘शांतिदूतों’ के कारण देश के टुकडे हो रहे हैं । धर्मनिरपेक्षता और वामपंथी विचारधारा संकटकारी है । देश की मुसलमान महिलाएं असुरक्षित होने का आक्रोश किया जाता है । बॉलिवूड से धर्मविरोधी गतिविधियां चलाई जा रही हैं । ‘इस्लाम खतरे में है’, ‘मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे हैं’, ऐसा झूठ फैलाया जा रहा है । ‘पुरस्कारवापसी’, ‘दलितों की हत्याएं’, ‘मुसलमानों की हत्याएं’, इनके नाम पर देश में अभियान चलाकर समाज का दिशाभ्रम करने का प्रयास किया जा रहा है । कोरेगांव-भीमा दंगे के प्रकरण में ‘श्री शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान’के संस्थापक पू. भिडे (गुरुजी) और हिन्दुत्वनिष्ठ मिलिंद एकबोटे को जानबूझकर फंसाया गया । षड्यंत्र रचकर दंगा कराया गया । इसलिए हिन्दुओ ंको संगठित होकर धर्मविरोधी घटनाओं के विरुद्ध कार्य करना चाहएि । अब हिन्दुत्वनिष्ठ संगठित हो रहे हैं; उसके कारण देशविरोधी गतिविधियों पर लगाम लगाई जा रही है । राजनीतिक दलों में कार्यरत अच्छे जनप्रतिनिधियों को खोजकर उन्हें धर्मकार्य के साथ जोडा जाना चाहिए । हिन्दुओं की शक्ति बढने के कारण कांग्रेस से राहुल गांधी, श्रीमती सोनिया गांधी जैसे नेता भी अब मंदिर जा रहे हैं । देहली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अयोध्या और काशी जा रहे हैं । जातिवाद और संगठनवाद छोडकर हमें ‘हिन्दू’ के रूप में आगे आना चाहिए ।
बहुत शीघ्र ही छत्तीसगढ के प्रत्येक गांव को ‘हिन्दू गांव’ बनाएंगे ! – श्री. विष्णो पटेल, अध्यक्ष, धर्मसेना, कोरबा, छत्तीसगढ
भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना हो, तो हमें निदिध्यास लेकर धर्म का कार्य करना पडेगा । दिन-रात एक, कर धर्मकार्य करना पडेगा । हम जहां जाएंगे, वहां हमने हिन्दुत्व विशद किया, तभी जाकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी । छत्तीसगढ में ९७ प्रतिशत हिन्दू हैं; परंतु हिन्दुओं पर ईसाईयों का प्रभाव है ।
विगत साढेतीन वर्षाें में छत्तीसगढ में चर्च की संख्या बहुत बढी है । अनाथाश्रम, चिकित्सालय आदि सेवाओं के आड में धर्मांतरण हो रहा है । वे यदि सेवा की आड में धर्मांतरण कर रहे हों, तो हम भी समाजसेवा के माध्यम से हिन्दू धर्म का प्रचार क्यों नहीं कर सकते ? जिस घर में कोई समस्या है, वहां हमने ‘हनुमानचालिसा’ का पाठ आरंभ किया । धर्मांतरित हिन्दुओं को पुनः हिन्दू धर्म में ले आए । हिन्दू समाज केवल उत्सव के समय ही एकत्रित होता है, इसे ध्यान में लेकर हमने १ सहस्र ४२५ गणेशोत्सव मंडलों से संपर्क किया । हमने इन सभी मंडलों को हिन्दू राष्ट्र के विषय में जानकारी दी । इन मंडलों में भी साप्ताहिक ‘हनुमानचालिसा’ के पाठ आरंभ किए गए । हम अकेले नहीं है । अनेक लोग धर्मकार्य कर रहे हैं, उन सभी को जोडना होगा । अब वैचारिक क्रांति का समय आ चुका है । बहुत शीघ्र ही हम छत्तीसगढ के प्रत्येक गांव को ‘हिन्दू गांव’ बना देंगे !
हिन्दू धर्म को त्यागे हुए १० सहस्र लोगों को पुनः हिन्दू धर्म में लाएंगे !
‘हिन्दू राष्ट्र की निर्मिति के लिए हमने अभीतक ११ सहस्र पत्र लिखे हैं । हम और ११ सहस्र पत्र लिखनेवाले हैं । जो लोग हिन्दू धर्म को छोडकर गए हैं, ऐसे १० सहस्र लोगों को हम एक वर्ष में ही पुनः हिन्दू धर्म में लाएंगे’, ऐसी आश्वस्तता श्री. विष्णु पटेल ने व्यक्त की ।
भारत हिन्दू राष्ट्र बननेतक हम धर्मकार्य करते रहेंगे !
हम हिन्दू धर्म के लिए कार्य कर रहे थे; परंतु हिन्दू जनजागृति समिति ने हमारे कार्य को दिशा दी । हिन्दू जनजागृति समिति ने धर्मकार्य के लिए जो परिश्रम उठाए हैं, उससे यह धर्मकार्य खडा हुआ है । यदि हिन्दू जनजागृति समिति यह कार्य कर सकती है, तो हम क्यों नहीं कर सकते ? भारत के हिन्दू राष्ट्र बननेतक हम कार्य करते रहेंगे ।
हिन्दू संगठित होने पर धर्मांतरणसहित अनेक हिन्दूविरोधी घटनाएं रोक सकते हैं ! – अंकित साळगांवकर, अध्यक्ष, गोमंतक हिन्दू प्रतिष्ठान, गोवा
हमने गोवा राज्य के अनेक क्षेत्रों में चल रहे धर्मांतरण का विरोध कर अनेक हिन्दुओ को हिन्दू धर्म में पुनर्प्रवेश दिलाया है । हमने पुलिस थानों में धर्मांतरण के विरुद्ध शिकायतें पंजीकृत की हैं । गोवा के कुछ विद्यालयों के शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों ने भी धर्मांतरण किया है, ऐसा दिखाई दिया है । हिन्दुओं पर दबाव बनाकर धर्मांतरण किया गया है, यह हमारे ध्यान में आया है । आरंभ में धर्मांतरण के विरोध में कानून नहीं बना था; परंतु जब हिन्दुओं ने संगठित होकर धर्मांतरण का विरोध किया, तब गोवा के मुख्यमंत्री को धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाना पड रहा है । अभीतक घटित धर्मांतरण के प्रकरणों के सभी कागदपत्र मेरे पास है । उन कागदपत्रों को मुख्यमंत्री को देकर जिन्होंने धर्मांतरण किया है, उस पर कार्यवाही करने की मैने मांग की है । गोवा सरकार ने धर्मांतरण रोकने का प्रयास किया, तो मेरेसहित सभी हिन्दू सरकार के साथ रहेंगे । धर्मांतरण रोकने के लिए हिन्दुओं को भी सहयोग देना चाहिए । धर्मांतरण रोकना मेरी नहीं, अपितु समस्त हिन्दू समाज की विजय है । हिन्दू यदि संगठित हुए, तो हम धर्मांतरणसहित अनेक हिन्दूविरोधी घटनाएं रोक सकते हैं और ऐसा करने पर ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हो सकती है ।
हिन्दुओं, सूचना के अधिकार का उपयोग कर अपने मंदिरों की भूमि वापस लीजिए ! – – एस्. भास्करन्, अध्यक्ष, विश्व सनातन परिषद, बेंगलुरू, कर्नाटक.
‘जिहाद’ का अर्थ युद्ध और संघर्ष ! यह शब्द मुसलमान धर्मग्रंथों से आया है । यह किसी हिन्दू अथवा ईसाई धर्म का शब्द नहीं है । ‘जिहाद’ इस्लाम के द्वारा और इस्लाम के लिए किया जानेवाला संघर्ष है । लैंड जिहाद कोई नया नहीं है । ५०० वर्ष पूर्व राम मंदिर को गिराकर बाबरी ढांचा बनाया गया । मथुरा में श्रीकृष्ण मंदिर गिराकर वहां ईदगाह मस्जिद बनाना हो, वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग को तोडकर वहां बनाई गई ज्ञानवापी मस्जिद हो अथवा कर्नाटक के मंड्या जिले के श्रीरंगपट्टण के आंजने मंदिर को गिराकर वहां बनाई गई मस्जिद हो, ये सभी ‘लैंड जिहाद’ के ही उदाहरण हैं ।
श्री. भास्करन् ने आगे कहा कि,
१. हिन्दुओं को ‘सूचना का अधिकार कानून २००५’ का उपयोग कर भूमि जिहाद का प्रतिकार करना चाहिए । हिन्दुओं के मंदिरों की भूमि वापस लेनी चाहिए । सूचना का अधिकार एक शक्ति ै है ।
२. बेंगलुरू के चामराजपेट में वर्ष १८९१ में ईदगाह मैदान बनाया गया । आगे जाकर वर्ष १९६४ में न्यायालय ने इस ईदगाह गिराने का आदेश दिया था और उसके बदले में मुसलमानों को वैकल्पिक भूमि भी दी गई थी; परंतु उस आदेश का पालन नहीं किया गया । इसएि हमने ‘सूचना के अधिकार के कानून’ का उपयोग कर बेंगुलुरू महानगरपालिका से संबंधित भूमि के कागदपत्र प्राप्त किए । हमने उन्हें सरकारी अधिकारियों को दिखाकर ईदगाह मैदान में स्वतंत्रता दिवस मनाने की अनुमति मांगी और वह मिली भी !
३. बेंगलुरू में ही धर्मांधों ने हिन्दुओं की स्मशानभूमि अवैध रूप से नियंत्रण स्थापित किया था । वहां गाडे गए हिन्दुओं के ५ सहस्र ८०० शव निकाले गए और उस भूमि पर मदरसा बनाने की योजना बनाई गई । हमने इसका तीव्र विरोध किया । उसके कारण धर्मांधों का यह षड्यंत्र विफल रहा । आज उस स्थान पर बेंगलुरू महानगरपालिका की इमारत बनाई गई है ।