रामनाथी, १६ जून (संवाददाता) – मंदिर संस्कृति की रक्षा के लिए हमें अभी बहुत कार्य करना है । मंदिर चैतन्य के स्त्रोत हैं । आज मस्जिदों पर लगाए गए अवैध भोंपुओं के विरोध के रूप में ही क्यों न हो; परंतु मंदिरों में हनुमान चालिसा के पाठ होने लगे हैं । अनेक मंदिरों में महाआरती की जा रही है । मंदिर सामूहिक उपासना के केंंद्र बनें; इसके लिए संगठितरूप से प्रयास करने होंगे । मंदिर उपासना केंद्र बनें, तो उस माध्यम से ही समाज का आध्यात्मिक बल भी बढेगा । मंदिर टिके रहे, तभी जाकर धर्म टिका रहेगा, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्यों के समन्वयक श्री. सुनील घनवट ने किया । उन्होंने अधिवेशन के पांचवे दिन के दूसरे सत्र में आयोजित ‘मंदिरों के न्यासियों और पुजारियों को संगठित करना’, इस विषय पर अनुभवकथन किया ।
ग्रामरक्षादल का गठन कर युवकों में राष्ट्र एवं धर्म रक्षा की भावना जागृत करना आवश्यक ! – प्रशांत जुवेकर,
जलगांव जिला समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति
आज की स्थिति में हिन्दुओं को अत्याचारों का सामना करना पड रहा है । छत्रपति शिवाजी महाराज ने सैनिकों को संगठित कर हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की, हमें उस प्रकार से रणनीति बनाकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए कार्य करना पडेगा । उसके लिए प्रत्येक गांव में ग्रामरक्षादल का गठन कर युवक-युवतियों में राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा की भावना जागृत करना आवश्यक है । उसके लिए गांव के सभी युवक-युवतियों को स्वरक्षा प्रशिक्षण देना होगा । गांव पर कोई संकट आता है, तो ग्रामरक्षादल स्वयं के साथ गांव की रक्षा करेगा । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से निःशुल्क स्वरक्षा प्रशिक्षण दिया जाता है । मंदिर हिन्दुओं के शक्तिस्थल हैं । ‘धर्मांध पहले मंदिरों पर आक्रमण करते हैं’, इसे ध्यान मं लेकर मंदिरों की रक्षा का नियोजन भी ग्रामरक्षादल को करना चा हिए । ‘मैं हिन्दू हूं और राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है’, ऐसा आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति के जलगांव जिला समन्वयक श्री. प्रशांत जुवेकर ने किया । ‘ग्रामरक्षादल की स्थापना की आवश्यकता’ इस विषय पर श्री. जुवेकर ने मार्गदर्शन किया ।