तृतीय विश्व युद्ध के दुष्प्रभाव से बचने का एक प्रभावी माध्यम है, नियमित अग्निहोत्र करना – श्री. शंभू गवारे, पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत राज्य समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति

विश्व अग्निहोत्र दिवस एवं होली के उपलक्ष्य में हिन्दू जनजागृति समितिद्वारा ‘ऑनलाइन’ विशेष सवांद एवं प्रवचन संपन्न

श्री. शंभू गवारे

धनबाद (झारखंड)

     यहां विश्व अग्निहोत्र दिवस के उपलक्ष्य में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा ‘ऑनलाइन’ विशेष संवाद का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम में अग्निहोत्र का महत्त्व बताते हुए श्री. शंभू गवारे ने कहा, ‘‘तृतीय विश्व युद्ध के दुष्प्रभाव से बचने का एक प्रभावी माध्यम है, नियमित अग्निहोत्र करना ।’’ साथ ही कुमारी कनक भारद्वाज ने बताया, ‘‘आज हमारे चारों ओर का वातावरण बहुत दूषित हो गया है । संपूर्ण विश्व इस प्रदूषण की शीघ्र रोकथाक के उपाय ढूंढने हेतु प्रयत्नशील है । ऐसे में हमारे पवित्र अथर्ववेद एवं यजुर्वेद संहिता में उल्लेखित एक सरल वैदिक हवन पद्धति ‘अग्निहोत्र’ प्रदूषण नष्ट कर वातावरण को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध करती है । जो व्यक्ति यह पवित्र अग्निहोत्र विधि करते हैं, उनका तनाव कम होता है, ऊर्जा बढती है, ऐसे कई लाभ होते हैं । अग्निहोत्र की राख पौधों में डालने से भी लाभ होता है । यह पौधे में जीवन शक्ति का विकास करता है तथा हानिकारक विकिरण और रोगजनक जीवाणुओं को निष्क्रिय करता है । अग्निहोत्र की विधि बताते हुए ‘सम्भावित तृतीय विश्वयुद्ध में अग्निहोत्र करने से हमारी रक्षा कैसे होगी ?’ इस विषय पर भी उन्होंने सटीक जानकारी दी । इस कार्यक्रम में हिन्दू जनजागृति समिति के पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत के राज्य संगठक श्री. शंभू गवारे ने शंकाओं का समाधान किया ।

     इसमें पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत से अनेक लोग सम्मिलित थे । झारखंड राज्य के धनबाद, कतरास, जमशेदपुर, रांची, हजारीबाग, रामग आदि क्षेत्रों से जिज्ञासुओं ने इस कार्यक्रम का लाभ लिया ।

क्षणिका

     इस कार्यक्रम में नियमित अग्निहोत्र करनेवाले तीन जिज्ञासुओं ने उन्हें अग्निहोत्र करने से होनेवाले लाभों के बारे में बताया । एक जिज्ञासु ने बताया कि उनके परिवार में अग्निहोत्र करने से कोरोना की महामारी में घर में जिन्हें कोरोना हुआ था, उनके स्वास्थ्य में शीघ्र सुधार हुआ ।

होली के अवसर पर ‘ऑनलाइन’ प्रवचन

     यहां होली पर आयोजित एक ‘ऑनलाइन’ प्रवचन में पूर्वोत्तर भारत एवं नेपाल के जिज्ञासुओं को समिति की श्रीमती इप्शिता पटनायक ने होली का शास्त्र बताया तथा होली के अगले दिन पितरों के लिए तर्पण करना एवं होली में धूलिवंदन का क्या महत्त्व है, इसकी जानकारी दी । होली के दिन छोटे शिशु की शिव-शिमगा की विधि क्यों करनी चाहिए और इसका क्या शास्त्र है, ये भी बताया गया । कार्यक्रम का सूत्रसंचालन कुमारी आद्या सिंह ने किया ।

देहली

     यहां आयोजित ‘ऑनलाइन’ प्रवचन में देहली के साधना सत्संग की जिज्ञासु, अध्यापिका श्रीमती निधि सेठ ने इस ‘ऑनलाइन’ प्रवचन में जिज्ञासुओं को होली व रंगपंचमी का अध्यात्मशास्त्र बताया ।

     देहली में श्री. चंद्र प्रकाश ने आपातकाल में अग्निहोत्र का महत्त्व सभी को बताया । समिति की श्रीमती साक्षी चढ्ढा ने कार्यक्रम का सूत्रसंचालन किया । इसका लाभ अनेक जिज्ञासुओं ने लिया ।