नेपाल से सटे भारतीय जिलों में धर्मांधों की जनसंख्‍या में ढाई गुना वृद्धि !

पंथ के आधार पर वर्गीकृत जनसंख्या का संतुलन बिगाडकर भारत के विभाजन का षड्यंत्र !

  • केवल उत्तर प्रदेश से सटी नेपाल सीमा परिसर में पिछले २ वर्षों में ४०० मदरसे और मस्‍जिदें बना दी गई !

  • बांग्‍लादेश से लेकर पाकिस्‍तान तक, धर्मांध बहुल क्षेत्रों की निर्मिति की जा रही है !

  • गत अनेक वर्षों से भारत का पुनः एक बार विभाजन करने का योजनाबद्ध षड्यंत्र चल रहा है । इसलिए, राष्ट्रद्रोही शक्तियों द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं का पक्ष लेकर, जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का भी विरोध किया गया था; इसे जान लीजिए ! – संपादक
  • यह स्थिति चिंता का विषय है; इसलिए भारत का एक और विभाजन होने से पूर्व ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना कीजिए ! – संपादक

     देहरादून (उत्तराखंड) – नेपाल से सटे भारत के सीमावर्ती जिलों में धर्मांधों की जनसंख्‍या ढाई गुना बढी है । साथ ही, वहां केवल २ वर्षों में ही ४०० से भी अधिक मदरसों और मस्जिदों का निर्माण हुआ हैं । इसके द्वारा, पंथ के आधार पर वर्गीकृत जनसंख्‍या का संतुलन बिगाडकर (डेमोग्रैफिल इंबैलन्‍स कर), भारत के विभाजन करने का षड्‍यंत्र रचे जाने की भी बात कही गई है ।

१. उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में धर्मांधों की जनसंख्‍या बढने के पीछे एक विशिष्‍ट षड्‍यंत्र दिखाई देने से, सुरक्षा बल सतर्क हुए हैं । उसके उपरांत, उन्‍होंने इस वर्ष के आरंभ में गृह मंत्रालय को यह ब्‍योरा भेजा था, जिसमें संवेदनशील प्रदेशों की जानकारी दी गई थी ।

२. आश्‍चर्य की बात यह है, कि इस ब्‍योरे में जिन जिलों के नाम दिए गए हैं, वहां की जनसंख्‍या में हाल ही में बदलाव नहीं आया है, अपितु वर्ष २०११ की जनगणना में ही यह जनसंख्‍या बढने की प्रविष्‍टि की गई थी । (इससे, पिछले १० वर्षों में स्‍थिति और कितनी अधिक बिगडी होगी, इसकी कल्‍पना नहीं की जा सकती ! – संपादक)

३. सुरक्षा बलों द्वारा गृह मंत्रालय को प्रस्‍तुत ब्‍योरे में, नेपाल सीमा से सटे उत्तराखंड राज्‍य में स्‍थित उधमसिंह नगर, चंपावत एवं पिथोरागढ इन जिलों के संवेदनशील होने की बात कही गई थी । उसमें भी, पिथोरागढ के धारचूला और जौलजीबी, इन दो गांवों को अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखा गया था । इसी प्रकार का बदलाव अब उत्तराखंड राज्‍य के नैनिताल में भी देखने को मिल रहा है ।

४. उत्तराखंड के सीमावर्ती प्रदेशों के अतिरिक्‍त, उत्तर प्रदेश के अनेक क्षेत्रों को भी सतर्कता की चेतावनी दी गई थी ।

     पिछले २ वर्षों में राज्‍य के बस्‍ती एवं गोरखपुर विभागों से सटे नेपाल सीमा पर ४०० से भी अधिक मदरसों और मस्‍जिदों का निर्माण किया गया है । इस ब्‍योरे में इसकी भी जानकारी दी गई है ।

५. उत्तराखंड राज्‍य के पुलिस महानिदेशक डॉ. नीलेश आनंद भरणे ने बताया, कि जनसंख्‍या के इस बदलाव के विषय में सीमावर्ती जिलों में चेतावनी दी गई है । गुप्‍तचर विभाग सभी दृष्‍टि से अन्‍वेषण कर रहे हैं ।

६. दैनिक ‘जागरण’ द्वारा दी गई एक जानकारी के अनुसार, सुरक्षा बलों के ब्‍योरे में बांग्‍लादेश, बिहार, नेपाल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा एवं पंजाब, इन राज्‍यों में धर्मांधों द्वारा योजनाबद्ध पद्धति से ‘कॉरीडॉर’ बनाया जा रहा है । वहां गत १० वर्षों में शरणार्थियों के नाम से एक समुदाय विशेष (धर्मांधों) की जनसंख्या का स्‍थानांतरण किया गया है । इस ब्योरे में, इस ‘कॉरिडॉर’ को पाकिस्‍तान के साथ जोडने की संभावना व्‍यक्‍त की गई थी । (वर्ष २००५ में, प्रसिद्ध पत्रकार मयंक जैन द्वारा निर्मित ‘बांगला क्रिसेंट’ लघुफिल्‍म के माध्‍यम से भी उन्‍होंने इस षड्‍यंत्र के विषय में विविध सरकारी अधिकारियों के हवाले से जानकारी दी है । इस क्षेत्र को ‘ग्रीन कॉरिडॉर’ कहा गया है । इससे, भारत के समक्ष स्‍थित चुनौतियों की भयावहता स्‍पष्‍ट हो सकती है । हिन्‍दू-संगठन ही इसका एकमात्र उपाय है, यह जान लीजिए ! – संपादक)

७. सुरक्षा बलों का यह दावा है, कि पाकिस्‍तान का गुप्‍तचर संगठन ‘आईएस्‌आई’ नेपाल के मार्ग से भारत में सक्रिय है ।

८. इस विषय में उत्तराखंड के भाजपा के पूर्व प्रदेश महामंत्री गजराज सिंह ने कहा, “आरंभ में धर्मांध आपके पैर पकडने के लिए आएंगे और उसके उपरांत हाथ जोडकर अनुरोध करेंगे ; परंतु, जब वो १ से १० हो जाते हैं, तब आप उनकी गली में पैर भी नहीं रख सकते हैं ।’’ (संपूर्ण भारत में यही अनुभव हो रहा है ! – संपादक) (३०.९.२०२१)