अर्पणदाताओे, गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में धर्मकार्यार्थ धन अर्पण कर गुरुतत्त्व का लाभ लें !

‘२३ जुलाई २०२१ को दक्षिण भारत एवं २४ जुलाई २०२१ को अन्‍य स्‍थानों में गुरुपूर्णिमा महोत्‍सव है । गुरुदेवजी के प्रति कृतज्ञता व्‍यक्‍त करने का यह दिन शिष्‍य के लिए अविस्‍मरणीय होता है । इस दिन गुरुदेवजी का कृपाशीर्वाद तथा उनकी ओर से प्रक्षेपित होनेवाला शब्‍दातीत ज्ञान सदा की तुलना में सहस्र गुना कार्यरत होता है । इसलिए गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में गुरुसेवा तथा धन का त्‍याग करनेवाले व्‍यक्‍ति को गुरुतत्त्व का लाभ सहस्र गुना होता है ।

१. शिष्‍य के जीवन में गुरु का महत्त्व !

निर्गुण परमेश्‍वर का पृथ्‍वीतल पर कार्यरत रहनेवाला सगुण रूप ही गुरु हैं ! गुरु शिष्‍य को ज्ञान देकर उसकी पारमार्थिक उन्‍नति होने हेतु निरंतर प्रयत्नशील रहते हैं । इसलिए गुरु के बिना शिष्‍य को कोई समाधान नहीं है । शिष्‍य के लिए गुरु को सर्वस्‍व अर्पण कर उनकी सेवा करना ही खरी गुरुदक्षिणा है । इसलिए शिष्‍य पर गुरुकृपा का प्रवाह अखंड रहता है ।

२. गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में गुरुकार्य अर्थात धर्मकार्य हेतु धन अर्पण करें !

गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में तन, मन एवं धन का अधिकाधिक त्‍याग कर गुरु के प्रति कृतज्ञता व्‍यक्‍त करने का अवसर सभी को प्राप्‍त हुआ है । इसलिए जिज्ञासु तथा हितचिंतक धर्मप्रसार का कार्य करके एवं उसके लिए धन अर्पण कर गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में आध्‍यात्मिक स्‍तर पर लाभ प्राप्‍त करें । वर्तमान में धर्मग्‍लानि का समय होने से ‘धर्मप्रसार का कार्य करना’, सर्वश्रेष्‍ठ अर्पण है । इसलिए समयानुसार धर्मप्रसार का कार्य करनेवाले संत, संस्‍था अथवा संगठनों के कार्य के लिए धनदान करना आवश्‍यक है । गत अनेक वर्षों से सनातन संस्‍था यह कार्य अत्‍यंत नि:स्‍वार्थ भाव से कर रही है । इसलिए अर्पणदाताआें द्वारा सनातन संस्‍था को दिए गए अर्पण का विनियोग निश्‍चित रूप से धर्मकार्य के लिए ही होगा ।

अर्पण करने हेतु इच्‍छुक व्‍यक्‍ति श्रीमती भाग्‍यश्री सावंत को 7058885610 इस क्रमांक पर अथवा [email protected] इस संगणकीय पते पर संपर्क करें ।

गुरुपूर्णिमा हेतु घरबैठे ‘ऑनलाईन’ अर्पण करने की सुविधा भी उपलब्‍ध है । इसके लिए https://www.sanatan.org/en/donate यह लिंक देखें !

– श्री. वीरेंद्र मराठे, व्‍यवस्‍थापकीय न्‍यासी, सनातन संस्‍था. (८.७.२०२१)