भारतीय संस्कृति अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर सात्त्विक वातावरण में ब्रह्मध्वज पूजन कर नववर्ष का स्‍वागत करना आध्यात्मिक दृष्टिण से लाभदायक !

डॉ. (श्रीमती) नंदिनी दुर्गेश सामंत

     ‘भारतीय परंपरा के अनुसार चैत्र शुक्‍ल पक्ष प्रतिपदा अर्थात गुडी पडवा नववर्ष का आरंभ है ! इस दिन सवेरे अभ्‍यंग स्नान कर, ब्रह्मध्‍वज का पूजन कर नववर्ष का स्‍वागत किया जाता है । पिछले कुछ दशकों से पश्‍चिमी संस्‍कृति के अनुसार ३१ दिसंबर की मध्‍यरात्रि में पश्‍चिमी पद्धति से पार्टी, मदिरा, नृत्‍य के बीच नववर्ष आरंभ करना प्रचलन बन गया है । इन दोनों प्रकार की पद्धतियों से किए गए नववर्ष स्‍वागत का उसमें सम्‍मिलित व्‍यक्‍तियों पर आध्‍यात्मिक स्‍तर पर क्‍या परिणाम होता है, इसका महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय की ओर से ‘यूनिवर्सल ऑरा स्‍कैनर’ (यूएएस) नामक आधुनिक वैज्ञानिक यंत्र, तथा सूक्ष्म परीक्षणों द्वारा अध्‍ययन किया गया । इस अध्‍ययन का निष्‍कर्ष सारांश रूप में यहां दिया गया है ।

१. ‘यूनिवर्सल ऑरा स्‍कैनर’ नामक यंत्र द्वारा किया गया अध्‍ययन

यूएएस उपकरण द्वारा परीक्षण करते हुए श्री. आशिष सावंत

     भूतपूर्व अणु वैज्ञानिक डॉ. मन्‍नम् मूने यह उपकरण विकसित किया है । इस उपकरण के माध्‍यम से किसी वस्‍तु, वास्‍तु, वनस्‍पति, प्राणी अथवा मनुष्‍य में सूक्ष्म सकारात्‍मक ऊर्जा का तथा नकारात्‍मक ऊर्जा का प्रभामंडल, तथा उसका कुल प्रभामंडल नाप सकते हैं । नकारात्‍मक ऊर्जा दो प्रकार की होती है । उसमें से ‘इन्‍फ्रारेड’ नकारात्‍मक ऊर्जा उस घटक के चारों ओर की नकारात्‍मक ऊर्जा होती है तथा ‘अल्‍ट्रावायलेट’ नकारात्‍मक ऊर्जा उस घटक के नकारात्‍मक स्‍पंदन दर्शाती है । सामान्‍य व्‍यक्‍ति अथवा वस्‍तु में नकारात्‍मक ऊर्जा हो सकती है; परंतु सकारात्‍मक ऊर्जा होना आवश्‍यक नहीं है । पिछले ५ वर्षों में महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय की ओर से ‘यूएएस’ उपकरण के माध्‍यम से व्‍यापक अनुसंधान किया गया है । वर्ष २०१४ से २०१९ की अवधि में १० सहस्र से अधिक सजीव और निर्जीव घटकों की गणनाआें की प्रविष्‍टियां की गई हैं ।

१ अ. पश्‍चिमी पद्धति से ३१ दिसंबर को मध्‍यरात्रि में नववर्षारंभ के समय होनेवाले परिणाम का परीक्षण : ३१ दिसंबर २०१८ की रात्रि महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय के देश-विदेश के १२ साधक पश्‍चिमी पद्धति के अनुसार केशभूषा (हेयर स्‍टाइल), रंगभूषा (मेकअप) और वेशभूषा कर गोवा के एक विख्‍यात होटल में आयोजित ‘न्‍यू ईयर पार्टी’ में सम्‍मिलित हुए । ये सभी साधक वहां ५ घंटे थे । ३१.१२.२०१८ की रात को पार्टी में जाने से पूर्व, तथा १.१.२०१९ को सुबह पार्टी से लौटने पर उन सभी की ‘यूएएस’ उपकरण के माध्‍यम से गणना कर प्रविष्‍टियां की गईं ।

पश्चिमी पद्धति से ईसाई नववर्ष का स्वागत करते परीक्षण में सम्मिलित साधक

१ आ. भारतीय पद्धति से चैत्र शुक्‍ल पक्ष प्रतिपदा पर ब्रह्मध्‍वज पूजन से किए गए नववर्षारंभ पर होनेवाले परिणाम का परीक्षण : ६.४.२०१९ को रामनाथी (गोवा) के सनातन के आश्रम में विधिवत ब्रह्मध्‍वज पूजन कर नववर्ष का स्‍वागत किया गया । इस पूजन में सूत्र क्र. ‘१ अ.’ के १२ में से १० साधक उपस्‍थित थे । उस समय पहले के परीक्षण के २ साधक विदेश में होने के कारण इस परीक्षण में उपस्‍थित नहीं रह पाए ।  ब्रह्मध्‍वज पूजन से पूर्व और पूजन के पश्‍चात उन सभी की ‘यूएएस’ उपकरण द्वारा की गई गणनाआें की प्रविष्‍टियां की गईं ।

रामनाथी आश्रम में ब्रह्मध्वज पूजन करते हुए पुरोहित एवं साथ में परीक्षण में सम्मिलित साधक

१ इ. पश्‍चिमी और भारतीय पद्धति से किए गए नववर्षारंभ के परिणामों की तुलना : दोनों परीक्षणों में की गई गणनाआें की प्रविष्‍टियों का विश्‍लेषण करने पर निम्‍न सूत्र मुख्‍य रूप से समझ में आए ।

१ इ १. पश्‍चिमी पद्धति से मनाए गए नववर्षारंभ का परिणाम

अ. साधकों की ‘इन्‍फ्रारेड’ और ‘अल्‍ट्रावायलेट’ दोनों प्रकार की नकारात्‍मक ऊर्जा में कार्यक्रम के पूर्व की तुलना में कार्यक्रम के पश्‍चात लगभग तीन गुना अधिक वृद्धि हुई ।

आ. साधकों की सकारात्‍मक ऊर्जा कार्यक्रम के पूर्व की तुलना में कार्यक्रम के पश्‍चात लगभग आधे से अधिक घट गई ।

१ इ २. भारतीय पद्धति से मनाए गए नववर्षारंभ का परिणाम

अ. साधकों की दोनों प्रकार की नकारात्‍मक ऊर्जा कार्यक्रम के पूर्व की तुलना में कार्यक्रम के पश्‍चात लगभग आधे से अधिक घट गई ।

आ. साधकों की सकारात्‍मक ऊर्जा कार्यक्रम से पूर्व की तुलना में कार्यक्रम के पश्‍चात लगभग डेढ गुना बढी ।

२. पश्‍चिमी और भारतीय पद्धति से किए गए नववर्षारंभ के
स्‍वागत के समय सम्‍मिलित साधकों को ध्‍यान में आए तुलनात्‍मक सूत्र

अ. ३१ दिसंबर २०१८ की पूर्व की रात मैं बहुत अस्‍थिर था । मेरे मन में निरंतर दूसरे दिन की पार्टी के मौज-मस्‍ती के विचार घूम रहे थे । इसके विपरीत चैत्र शुक्‍ल पक्ष प्रतिपदा की पूर्व की रात मन शांत और आनंदमय था । ३१ दिसंबर की पार्टी के दूसरे दिन मुझे बहुत कष्‍ट हुआ । मेरा मन कहीं भी नहीं लग रहा था । मुझे ऊर्जाहीन लग रहा था । चैत्र शुक्‍ल पक्ष प्रतिपदा के दूसरे दिन मुझे प्रफुल्लता और उत्‍साह प्रतीत हो रहा था । मैं शांत और स्‍थिर था । मैं अनेक सेवा उत्‍साह से पूर्ण कर सका ।

आ. नववर्ष की पार्टी में ऊपरऊपर मैं बहुत मजा कर रहा हूं ऐसा दिखाई दे रहा था; परंतु तब भी मेरे ऊपर सूक्ष्म स्‍तरीय कष्‍टदायक शक्‍तियों का आवरण आ रहा है, ऐसा प्रतीत हो रहा था । मेरी सकारात्‍मक ऊर्जा न्‍यून हो रही है, ऐसा प्रतीत हो रहा था । वहां का वातावरण बहिर्मुखता और अहं बढानेवाला था । वहां के व्‍यक्‍तियों में बडी मात्रा में यौन-विचारों की तरंगें प्रक्षेपित हो रही थीं, ऐसा प्रतीत हुआ । इसके विपरीत चैत्र शुक्‍ल पक्ष प्रतिपदा के कार्यक्रम में वातावरण की सकारात्‍मकता उत्तरोत्तर बढती जा रही है, ऐसा लगा । मेरा मन अंतर्मुख हुआ । सभी पर आध्‍यात्मिक उपचार हो रहे हैं, ऐसा लगा ।

इ. पश्‍चिमी और भारतीय प्रकार के नववर्षारंभ में तुलना हो ही नहीं सकती, ऐसा लगा । पूरे कार्यक्रम में क्रमश: तम विरुद्ध सत्त्व, शोर विरुद्ध शांति, आभास विरुद्ध सत्‍य, अल्‍पकाल विरुद्ध दीर्घकाल टिकनेवाला, बहिर्मुख विरुद्ध अंतर्मुख, यह स्‍पष्‍ट भेद प्रतीत हुआ । उस पार्टी के विचार से भी मन को कष्‍ट होता है । इसके विपरीत ब्रह्मध्‍वज पूजन के समय मेरे विचार बहुत शुद्ध, सादे और सकारात्‍मक थे ।