‘गर्व से कहें कि हम सनातनधर्मी हिन्दू हैं !’ – चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था

‘हिन्दू शब्द के संदर्भ में अवधारणा तथा भारत में विकृत सेक्युलरिजम’ विषय पर वेब कॉन्फरेंस

श्री. चेतन राजहंस

     नई देहली – आज कोरोना संकट में संपूर्ण विश्‍व आचरण से हिन्दू बन रहा है । वे अब स्वयं को हिन्दू कहलवाने हेतु आतुर हैं । संपूर्ण विश्‍व में आज ‘हिन्दू’ शब्द की ही चर्चा है । ‘हिन्दू’ शब्द वैदिक है । संविधान के अनुच्छेद २५ में इसका उल्लेख होने से वह संवैधानिक भी है । अरब, तुर्क एवं मुगल आक्रमणकारियों के साथ हुए दीर्घकालीन संघर्ष में हिन्दू नाम सनातनधर्मी राष्ट्रवासियों के सुख-दुख, जय-पराजय, त्याग एवं बलिदान की स्मृतियों से पवित्र है । अतः हमें भी हिन्दू शब्द के प्रति कोई शंका न रखकर गर्व से कहना चाहिए, ‘हम सनातनधर्मी हिन्दू हैं’ । सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने ऐसा प्रतिपादित किया । अमेरिका के ५ संगठन /आई वुमन्स’, ‘ओम् क्रियायोग’, ‘अमेरिकन्स फॉर हिन्दूज’, ‘वर्ल्ड हिन्दू डे और वर्ल्ड एनआरआई एसोसिएशन’ की ओर से ६ जून को ‘हिन्दू शब्द के संदर्भ में अवधारणाएं तथा भारत में विकृत सेक्युलरिजम’ विषय पर आयोजित ‘वेब कॉन्फरेंस’ में वे ऐसा बोल रहे थे ।

     ‘यू-ट्युब’ चैनलों ने इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया । २ सहस्र से अधिक लोगों ने यह कार्यक्रम देखा । दादा बर्फानीजी की अमेरिका स्थित शिष्या तथा महामंडलेश्‍वर मां राजलक्ष्मीजी ने कार्यक्रम का सूत्रसंचालन किया ।

     श्री. चेतन राजहंस ने विद्यालयों में हिन्दू धर्म की शिक्षा देने पर प्रतिबंध, भगवा आतंकवाद का दुष्प्रचार, इतिहास का विकृतीकरण एवं शहरी नक्सलवाद से संबंधित भारत में चल रहे विकृत सेक्युलरिजम के उदाहरण देते हुए उस संदर्भ में सनातन संस्था द्वारा किए गए जनजागृति के कार्य की जानकारी दी ।

श्री. चेतन राजहंस द्वारा रखे गए अन्य सूत्र

१. वेदों में ‘हिन्दू शब्द नहीं है’, ऐसा कहना अनुचित है । ऋग्वेद के १० वें मंडल में, साथ ही तीसरे मंडल के नदीसूक्त में तथा अथर्ववेद में ‘सिंधु’ शब्द है । ‘हिन्दू’ शब्द की उत्पत्ति ‘सिंधु’ शब्द से हुई है । संस्कृत में ‘स’ का ‘ह’ में रूपांतरण पाणिनी व्याकरण के अनुसार उचित है । जिस प्रकार ‘सप्ताह’ शब्द को ‘हफ्ताह’ कहा जाता है, उस प्रकार ‘सिंधु’ शब्द को ‘हिन्दू’ कहा गया है ।

२. सनातन धर्म में एक ही वस्तु, प्राणी, वनस्पति एवं व्यक्तियों के लिए अनेक नाम होने की परंपरा है । संस्कृत में ‘पानी’ को नीर, जल, उदक, आप, कलम, अमृत आदि १० से भी अधिक नामों से जाना जाता है । उस प्रकार से ‘सनातन’, ‘आर्य’, ‘वैदिक’, ‘हिन्दू’ अथवा ‘सनातन आर्य वैदिक हिन्दू’ कहें; ये सभी समानार्थक शब्द हैं ।

३. मोहम्मद पैगंबर एवं ईसा मसीह से पहले से भी ‘हिन्दू’ शब्द और उसका प्रयोग होता था । सिकंदर ने तत्कालीन भारत में आकर ‘हिन्दूकूट’ पर्वतमाला (वर्तमान अफगानिस्तान ‘हिन्दूकुश’ पर्वतमाला) देखने की इच्छा व्यक्त की । यह प्राचीनतम पर्वत ही ‘हिन्दू’ शब्द प्राचीन होने का साक्ष्य है ।

४. यह भ्रम फैलाया जाता है कि मुसलमानों में ‘हिन्दू’ शब्द ‘काला, ‘काफी, चोर’ इत्यादि अर्थ से उपयोग किया जाता है । वास्तव में फारसी और अरबी शब्दकोश में ‘हिन्दू’ शब्द का अर्थ निंदाव्याजक नहीं है ! फारसी शब्दकोश में ‘हिन्दू’ शब्द का अर्थ ‘हिन्ददेश निवासी’, ‘हिन्दुस्थान का धर्म’, ‘प्राचीन हिन्द की प्रथा-परंपराएं माननेवाला; दिए गए हैं ।

५. अनेक लोग आपत्ति दर्शाते हैं कि हिन्दू शब्द की व्याख्या करना कठिन है । वास्तव में ८ वीं शताब्दी के शैव तंत्रग्रंथ में आध्यात्मिक परिभाषा में उसकी व्याख्या की गई है । उस आधार पर पाणिनी व्याकरण के अनुसार ‘शब्दकल्पद्रुम’ शब्दों की उत्पत्ति बतानेवाले इस ग्रंथ में ‘हिन्दू’ शब्द की व्युत्पत्ति बताते हुए कहा गया है कि ‘हीनं दुषयति इति हिन्दु जातिविशेषः ।’ अर्थात हीन कर्म एवं गुणों का त्याग करनेवालों को ‘हिन्दू’ कहा जाता है । अध्यात्म में सत्त्व, रज एवं तम, ये त्रिगुण बताए गए हैं । इनमें से रज-तम गुण हीन होने से उनका त्याग अर्थात सत्त्वगुणी आचरण करनेवाला हिन्दू होता है ।

६. आजकल आ’दिवासी हिन्दू नहीं हैं’, इस प्रकार के ‘ट्विटर ट्रेंड’ चलाए जा रहे हैं । वास्तव में आदिवासियों के विवाह ‘हिन्दू विवाह विधि १९५५ के अनुसार होते हैं; तो उन्हें वे हिन्दू नहीं हैं’, ऐसा कहना असंवैधानिक प्रमाणित होता है । हिन्दू विवाह विधि में स्पष्टता से कहा गया है कि भारतीय राज्य का जो व्यक्ति जो मुसलमान, ईसाई, पारसी एवं ज्यू नहीं है, वह हिन्दू ही है । अतः आदिवासी भी हिन्दू ही हैं !