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फोंडा (गोवा), १६ मई (वार्ता) – हमारे महाविद्यालय परिसर में आयोजित शंखनाद महोत्सव हमारे लिए गौरव की बात है। यदि हम आधुनिक तकनीक को भगवद्गीता के साथ जोड दें, तो हम जीवन में प्रगति के उच्चतम शिखर तक पहुंच सकते हैं। अत: जीवन में पारंपरिक भारत और आधुनिक भारत दोनों ही नितांत आवश्यक हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गोवा में स्नातकोत्तर प्रौद्योगिकी के अंतिम वर्ष के छात्र कौशल श्रीवास्तव ने विचार व्यक्त किया कि महाविद्यालय परिसर में होने वाले कार्यक्रमों को ‘विषय वस्तु‘ ( एजेंडा) ‘ के रूप में नहीं अपितु व्यक्तिगत विकास की दृष्टि से देखा जाना चाहिए। शंखनाद महोत्सव के अवसर पर ‘सनातन प्रभात’ के विशेष प्रतिनिधि श्री. विक्रम डोंगरे ने गोवा अभियांत्रिकी महाविद्यालय में विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया और छात्रों की प्रतिक्रियाओं के संबंध में तथ्य प्राप्त किए । इस अवसर पर विद्यार्थियों से प्रश्न पूछा गया कि ‘क्या पारंपरिक भारत एवं आधुनिक भारत एक साथ चल सकते हैं?’
🛕✨ When Dharma meets Design — A Revolution Begins!
In this vibrant ground report, Assistant Editor Vikram Dongrey visits the Goa Engineering College campus, where the Sanatan Rashtra Shankhnad Mahotsav is being organized.
🎓 He speaks with young engineering students… pic.twitter.com/bSV0wZEtEh
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) May 16, 2025
यह कार्यक्रम सनातन धर्म के उत्थान के लिए है !
इस अवसर पर छात्र स्वनिश फलदेसाई ने कहा, “गोवा अभियांत्रिकी महाविद्यालय में इस प्रकार का आयोजन होना हमारे लिए गर्व की बात है।” इस कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ और श्री श्री रविशंकरजी भी सम्मिलित हो रहे हैं। इतना बडा आयोजन यहां चूंकि प्रथमतः: हो रहा है , अत: सभी को इस आयोजन में सम्मिलित होना चाहिए एवं उच्च स्तर का अनुभव प्राप्त करना चाहिए।” इसे आगे बढाते हुए ‘इलेक्ट्रॉनिक्स एवं दूरसंचार’ विभाग के पार्थ कामत ने कहा, ”यह आयोजन सनातन धर्म के उत्थान के लिए किया जा रहा है। वर्तमान में युद्ध सदृश्य परिस्थिती में सभी भारतीयों को एकजुट होना समय की सबसे बडी आवश्यकता है। विदेश में रहने वाले भारतीय भी भारतीय परंपराओं को संरक्षित करते हुए प्रौद्योगिकी में प्रगति कर रहे हैं। अत: पारंपरिक भारत और आधुनिक भारत को युक्त करना होगा।
प्रौद्योगिकी ने प्राचीन परंपराओं को सशक्त किया है!
संगणक अभियांत्रिकी के अंतिम वर्ष के छात्र आयेश सालेलकर ने कहा कि पारंपरिक भारत और आधुनिक भारत हाथ में हाथ ले कर एक साथ आगे कूच कर सकते हैं; क्योंकि हमारी परम्पराओं के पार्श्व में विज्ञान है। प्रौद्योगिकी ने परंपराओं को सशक्त किया है। प्रधानमंत्री मोदी का ‘विकसित भारत २०४७ ‘ का स्वप्न अध्यात्म और प्रौद्योगिकी दोनों के समागम के माध्यम से ही पूर्णता को प्राप्त कर सकता है।
“नई पीढी को हमारी संस्कृति के संबंध में ज्ञान होना चाहिए।” उनके सहयोगी ने कहा, “इसके लिए प्रौद्योगिकी के साथ-साथ परंपरा को भी संरक्षित रखना अत्यंत आवश्यक है।”