Sanatan Rashtra Shankhnad Mahotsav ! : रामनाथी (गोवा) के फोंडा क्षेत्र स्थित सनातन संस्था के आश्रम के प्रवेशद्वार के सामने द्वारकानगरी के समान भव्य स्वागत कमान का निर्माण किया गया है ।

सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव ।

सनातन के रामनाथी आश्रम के प्रवेशद्वार पर निर्मित भव्य स्वागत कमान

फोंडा, १५ मई (वार्ता): जैसे श्रीराम की विजय का शंखनाद अयोध्या से संपूर्ण दिशाओं में गूंज उठा था, वैसे ही सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी के ८३वें जन्मोत्सव एवं संस्था के रजत महोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में ‘सनातन राष्ट्र’ का दिव्य शंखनाद, भगवान परशुराम के चरणों से पवित्र हुई गोमंतक भूमि में गूंजने वाला है ।

१७ से १९ मई की अवधि में सनातन संस्था की ओर से फर्मागुड़ी, फोंडा (गोवा) स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज के मैदान में ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ का ऐतिहासिक आयोजन किया गया है । इस महोत्सव की विशेषता यह है कि भारत सहित २३ देशों के नागरिक, संत, महंत, कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री, तथा २५ सहस्त्र से अधिक साधक एवं धर्मप्रेमी हिन्दू उपस्थित रहने वाले हैं । यह दिव्य शंखनाद रामराज्य की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम होगा ।

ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश इन तीनों शक्तियों के अस्तित्व का अनुभव करने हेतु पीले रंग की आकर्षक भव्य स्वागत कमान निर्मित 

इस महोत्सव के निमित्त रामनाथी स्थित सनातन के आश्रम के प्रवेशद्वार पर पीले रंग की एक भव्य स्वागत कमान बनाई गई है । ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश इन तीनों शक्तियों का एकरूप स्वरूप ही साक्षात् श्री गुरुदेव दत्त माने जाते हैं । श्री दत्तात्रेय जी को पीला रंग प्रिय है और सनातन संस्था का आध्यात्मिक रंग भी पीला ही है । इसी अनुरूप इस कमान पर पीले रंग का प्रयोग किया गया है । ऐसा प्रतीत होता है कि इस कमान को देखकर इन तीनों शक्तियों का अनुभव सजीव होता है ।

कलियुग में गुरुकृपायोग के अनुसार साधना अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है; इसी कारण इस कमान पर गुरु द्वारा शिष्य को आशीर्वाद देते हुए दिखाने वाला बोधचिन्ह लगाया गया है, जिससे भारत की गुरु-शिष्य परंपरा को रेखांकित किया गया है । साथ ही, इस कमान पर कमल के फूल का चित्र भी अंकित है । इसका अर्थ यह है कि इस कमान में भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण तथा महालक्ष्मी देवी का भी दिव्य वास दृष्टिगोचर होता है ।

इस पीले रंग की आकर्षक कमान से होकर जाते समय ऐसा भाव मन में जागृत होता है मानो हम श्रीकृष्ण की द्वारकानगरी में प्रवेश कर रहे हों । इस कमान से निकलते समय ऐसा अनुभव होता है मानो हम द्वारकानगरी के श्रीकृष्ण, अर्थात महर्षियों द्वारा जीवनाडीपट्टी में वर्णित भगवान विष्णु के अंशावतार सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बाळाजी आठवले के दर्शन हेतु जा रहे हैं ।