हिन्दुओं के लिए धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक होने के कारण वृक्ष को काटने के लिए जारी किया गया था फतवा !

बांग्लादेश में धर्मान्ध मुसलमानों ने तोडा २०० वर्ष पुराना वटवृक्ष !

धर्मान्ध मुसलमानों द्वारा काटा गया २०० वर्ष पुराना वटवृक्ष

ढाका (बांग्लादेश) – बांग्लादेश के मदारीपुर जिले के शिरखरा संघ के आलम मीर कांडी ग्राम में स्थित २०० वर्ष पुराना वटवृक्ष धर्मान्ध मुसलमानों द्वारा काटा गया । यह वृक्ष हिन्दुओं के लिए श्रद्धा का प्रतीक था, अतः मुसलमानों ने इसके विरोध में एक फतवा जारी किया था । तत्पश्चात् उस वृक्ष को काट दिया गया । वृक्ष को काटने का एक चलचित्र सामाजिक माध्यमों पर प्रसारित हुआ है । इसमें कुछ मुसलमान बडी आरी का उपयोग करते हुए वृक्ष को काटते हुए दिखाई दे रहे हैं ।

१. स्थानीय हिन्दुओं के अनुसार यह २०० वर्ष पुराना वटवृक्ष केवल एक वृक्ष नहीं था, अपितु स्थानीय लोक-श्रद्धा और सांस्कृतिक धरोहर का एक जीवंत प्रतीक था । यह वृक्ष अनेक दशकों से स्थानीय लोककथाओं, कहानियों और पूजा-पद्धतियों का एक अंग था । ग्रामवासियों का विश्वास था कि इस वृक्ष में कोई ‘चमत्कारिक शक्ति’ है । अतः वे यहां आकर दीपक जलाते, हाथ जोडकर आशीर्वाद मांगते थे ।

२. कुछ दिन पूर्व स्थानीय मुस्लिम धर्मगुरुओं की एक बैठक बुलाई गई, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि यह प्रथा ‘शिर्क’ अर्थात् इस्लाम की मूलभूत आस्था के विरुद्ध है । अतः इस वृक्ष को काट देना चाहिए ।

३. एक ग्रामवासी ने कहा कि हमने कभी किसी को कोई हानि नहीं पहुंचाई । वृक्ष के नीचे दीपक जलाना हमारी श्रद्धा थी और किसी भी धर्म का अपमान नहीं था । अगर यह अनुचित होता, तो उसे संवाद द्वारा स्पष्ट किया जा सकता था । वृक्ष को काटना हमारी आत्मा को घायल करने के समान है ।

संपादकीय भूमिका

बांग्लादेश में जहां हिन्दुओं की हत्या की जा रही है, वहां उनके श्रद्धा के प्रतीक वृक्ष को काटा जाना आश्चर्यजनक नहीं कहा जा सकता । ऐसी घटनायें यह स्मरण कराती हैं कि मुसलमान कभी भी हिन्दुओं के साथ भ्रातृत्वभाव से नहीं रह सकते ।