सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

जिसे ईश्वर ज्ञात नहीं, उस विज्ञान की सीमाएं !

‘आजकल हम जिसे ‘विज्ञान’ अर्थात ‘विशेष ज्ञान’ कहते हैं, वह ‘विगतं ज्ञानं यस्मात्’ अर्थात ‘जिससे ज्ञान निकल गया है, वह’ बन गया है । विज्ञान को ‘ईश्वर है, ईश्वर निर्गुण निराकार है तथा उसकी व्याप्ति अनंत कोटि ब्रह्मांड के बराबर है’, यह भी ज्ञात नहीं है ।’


क्या पुलिस प्रशासन इस ओर ध्यान देगा ?

‘अपने विभाग में हो रहा भ्रष्टाचार उजागर न करनेवाले पुलिसकर्मी क्या समाज में हो रहा भ्रष्टाचार उजागर कर पाएंगे ?’


मोक्ष देने का सामर्थ्य केवल हिन्दू धर्म में ही है !

‘अनेक हिन्दू यह कहते हुए धर्मांतरण करते हैं कि ‘हिन्दू धर्म ने हमें क्या दिया ?, अन्य धर्म में अनेक चीजें देते हैं !’ केवल हिन्दू धर्म ही मोक्ष देता है, अन्य धर्म नहीं’, हिन्दू धर्म का यह महत्त्व हिन्दुओं पर अंकित करना, यही धर्मांतरण रोकने का सटीक उपाय है ।’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले