वीर सावरकरजी के जाज्वल्य विचार युवा पीढीतक पहुंचाने के लिए अत्यधिक लगन से प्रयत्नशील मुंबई के श्री. रणजित विक्रम सावरकर !

 

वीर सावरकरजी के पडपोते एवं ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ के कार्याध्यक्ष श्री. रणजित विक्रम सावरकर वर्तमान में जो विविधांगी कार्य कर रहे हैं, यहां उसकी जानकारी दे रहे हैं ।

श्री. रणजित विक्रम सावरकर


विशेष स्तंभ !


छत्रपति शिवाजी महाराजजी द्वारा स्थापित किए गए हिन्दवी स्वराज्य के लिए जिस प्रकार मावळों (छत्रपति शिवाजी महाराजजी के सैनिकों को मावळे कहते थे) तथा धर्मयोद्धाओं द्वारा किया गया त्याग सर्वोच्च है, उसी प्रकार आज भी अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ एवं राष्ट्रप्रेमी नागरिक हिन्दू धर्म एवं राष्ट्र की रक्षा के लिए ‘धर्मयोद्धा’ के रूप में कार्य कर रहे हैं । उनकी तथा उनके हिन्दू धर्मरक्षा के संघर्ष की जानकारी देनेवाले ‘हिन्दुत्व के धर्मयोद्धा’ स्तंभ के द्वारा अन्यों को भी प्रेरणा मिलेगी ! – संपादक

१. श्री. रणजित विक्रम सावरकर का संक्षिप्त परिचय

अ. कार्याध्यक्ष : स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक

आ. कार्यवाह : ‘सावरकर सेवा समिति’ संचालित ‘महाराष्ट्र मिलिटरी स्कूल’, मुरबाड, जिला ठाणे

इ. प्रकाशक एवं मुद्रक : साप्ताहिक ‘हिन्दुस्थान पोस्ट’

ई. अध्यक्ष : महाराष्ट्र बॉक्सिंग असोसिएशन

उ. लेखक : ‘मेक शुअर गांधी इज डेड’ अंग्रेजी पुस्तक

२. वीर सावरकरजी की राष्ट्रभक्ति के विचार तथा संस्कृति को आधार देने का कार्य

राष्ट्रहित को सर्वोच्च प्रधानता देते हुए वीर सावरकरजी के विज्ञाननिष्ठ विचारों के साथ ही उनके सर्वसमावेशक हिन्दुत्व के विचार आज की युवा पीढी तक पहुंचाने के लिए श्री. रणजित सावरकर अथक परिश्रम कर रहे हैं । श्री. रणजित सावरकर विकसित एवं सुनियंत्रित प्रशासन से ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ को सफलतापूर्वक गत १० वर्षाें से भी अधिक समय से संभाल रहे हैं । वे उच्च शिक्षित हैं, साथ ही उनका व्यक्तित्व नेतृत्वक्षमता से परिपूर्ण है । उनमें एक अनोखा अनुशासन एवं अपने कार्य के प्रति असीम समर्पण है । प्रत्येक कृति से उनकी यह विशेषता ध्यान में आती है । वीर सावरकरजी के विचारों को प्रगल्भता से प्रस्तुत करते समय ध्यान में आता है कि भाषा पर उनकी अच्छी प्रभुता (पकड) भी है । इसीलिए अनेक लोगों के लिए वे प्रेरणा एवं आशा के स्रोत हैं । विज्ञाननिष्ठा तथा विद्याविस्तार से उन्होंने वीर सावरकरजी के विचार सर्वत्र पहुंचाए हैं । अपने सृजनशील व्यक्तित्व से राष्ट्रभक्ति के विचारों को संस्कृति का आधार देने का कार्य भी उन्होंने साध्य किया है । श्री. रणजित सावरकर पूरे देश की अनेक संस्थाओं एवं संगठनों के व्यासपीठ से वीर सावरकरजी के साथ वे अपने विचार भी व्यक्त करते हैं । देश-विदेश के प्रसारमाध्यमों के चर्चासत्र में सम्मिलित होकर उत्कंठा से प्रतिआक्रमण करते समय आक्रामक भी दिखाई देते हैं । इससे अकारण ही सावरकरजी की अपकीर्ति करनेवालों के मन में उनके प्रति वैचारिक भय भी दिखाई देता है, जो सावरकरजी के अनुयायियों के लिए सुखदायी है । सावरकरजी के अभ्यासपूर्ण तथा आक्रामक विचारों की परंपरा उनमें भी झलकती है ।

३. ‘मेक शुअर गांधी इज डेड’ नामक अंग्रेजी पुस्तक अल्पावधि में ही अत्यंत लोकप्रिय

श्री. रणजित सावरकर ने कुछ दिन पूर्व ही ‘मेक शुअर गांधी इज डेड’ पुस्तक अंग्रेजी भाषा में लिखी है, जिसमें गांधीजी की हत्या से संबंधित अन्वेषण तथा न्यायव्यवस्था की त्रुटियों का उल्लेख किया है । इस पुस्तक में दिए सभी तथ्य न्यायालय में प्रस्तुत किए गए प्रमाणों पर आधारित हैं । यह पुस्तक अल्पावधि में ही अत्यंत लोकप्रिय हो गई । उन्होंने बेंगळुरू के हिन्दुत्वनिष्ठ लेखक श्री. विक्रम संपत द्वारा वीर सावकरकरजी की ‘द इकोज फ्रॉम द फॉरगॉटन पास्ट’ एवं ‘कॉन्टेस्टेड लेगसी’, इन ‘बेस्ट सेलर’ (अच्छी बिक्री होनेवाली) पुस्तक का मराठी में भाषांतर किया है ।

४. आदिवासी क्षेत्रों एवं गांवों में श्री. रणजित सावरकर के सामाजिक कार्य

 

वर्तमान में ‘वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’के कार्याध्यक्ष श्री. रणजित सावरकर सर्वार्थ से सशक्त राष्ट्र की निर्मिति के लिए आवश्यक कार्य तथा उससे संबंधित वीर सावरकर द्वारा प्रस्तुत सैद्धांतिक विचारों को अत्यंत कुशलता से साकार करने का कार्य कर रहे हैं । सरकारी ध्येय एवं नीतियों को समर्थन देने के लिए गांव-गांव में उनके कार्य चल रहे हैं ।

अ. आज की पीढी को वास्तव में क्या चाहिए ?, इसका विचार करते हुए, साथ ही आधुनिकता को भी ध्यान में रखते हुए उन्होंने विभिन्न उपक्रमों को प्रधानता दी है । अंतरराष्ट्रीय स्तर की ‘रायफल रेंज’, सुसज्ज तथा अद्यतन (अपडेट) स्वातंत्र्यवीर सावरकर सभागृह की निर्मिति श्री. रणजित सावरकर की पहल से हुयी है ।

आ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी का निर्णय तथा नकदमुक्त व्यवहार को समर्थन देने के अभियान को प्रतिसाद देते हुए श्री. रणजित सावरकर ने आदिवासी बहुल मुरबाड तालुका के धसई गांव में प्रयत्न आरंभ किए तथा धसई भारत का पहला ‘नकदमुक्त’ गांव हुआ । १ दिसंबर २०१६ को तत्कालीन वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार के हस्तों इस उपक्रम का शुभारंभ हुआ । धसई गांव से प्रेरणा लेकर निकट के टोकावडे गांव में भी नकदमुक्त व्यवहार आरंभ हो गया है । इसके लिए श्री. रणजित सावरकर ने वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के माध्यम से इस भाग के आदिवासी बच्चों को ‘ए.टी.एम. कार्ड’ का उपयोग करना सिखाया ।

यह प्रक्रिया आज भी चल रही है । आसपास के ३५ से भी अधिक गांव ‘नकदमुक्त’ व्यवहार की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं । इस उपक्रम का पहला कदम, अर्थात आदिवासी विभाग में आरंभ हुआ ‘पहला स्वचालित बैंक’ । बैंक ऑफ बडोदा के सहयोग से आरंभ हुए बैंक का उद्घाटन समाजसेवक अण्णा हजारेजी ने किया ।

इ. निशानेबाजी, धनुर्विद्या सहित कराटे, तायक्वांदो जैसे स्वरक्षा के अनेक उपक्रम, अत्याधुनिक व्यायामशाला, ये सभी उपक्रम श्री. रणजित सावरकर के प्रयत्नों से साकार हुए हैं ।
दूरदृष्टि, नई-नई संकल्पनाएं, कार्यतत्परता, लगन, कार्य को पूर्णत्व तक ले जाने के लिए जी तोड (अथक) प्रयत्नों के कारण आनेवाले काल में वीर सावरकर की तीसरी पीढी के इस नेतृत्व से सभी को बहुत आशाएं एवं आकांक्षाएं हैं ।

५. वीर सावरकर के कार्य एवं साहित्य संपदा प्रसारित होने के लिए प्रयत्न

अ. अत्याधुनिक ‘वॉल मैपिंग’ तकनीक के आधार पर ‘स्वातंत्र्यवीर’ देश की पहली स्थायी तथा व्यक्तिगत पेंटिंग ‘लाईट एंड साउंड शो’ की निर्मिति में भी उनका बहुत मूल्यवान योगदान है । अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित अंडमान क्षेत्र के क्रांतिकारियों की स्मृति में संग्रहालय (म्यूजियम) निर्माण का कार्य शीघ्र ही आरंभ होगा । इसमें सेल्युलर जेल में सावरकरजी की कोठरी के साथ ही कोल्हू की प्रतिकृति भी बनाई जाएगी । मुंबई में आनेवाला प्रत्येक व्यक्ति बिना सावरकर स्मारक का भ्रमण किए मुंबई से वापस न जा पाए, इसके लिए वे प्रयत्नशील हैं ।

आ. ‘सावरकरस्मारक डॉट कॉम’ नामक जालस्थल की निर्मिति उनके मार्गदर्शन में हुई । उस पर मराठी तथा अंग्रेजी भाषाओं में  वीर सावरकरजी की साहित्य-संपदा नि:शुल्क उपलब्ध है । वीर सावरकरजी के विचारों के प्रसार एवं प्रचार के लिए, उनके लिखे  साहित्य को १२ भारतीय भाषाओं में भाषांतरित किया गया है । वह सब स्मारक के जालस्थल पर शीघ्र ही उपलब्ध होगा । सावरकरजी का साहित्य अब ‘ब्रेल लिपि’ में भी उपलब्ध है । अब तक इस जालस्थल को साढे तीन लाख से भी अधिक लोगों ने देखा है तथा पौने तीन लाख से अधिक लोगों ने वीर सावरकरजी का साहित्य ‘डाऊनलोड’ किया है ।

६. ‘महाराष्ट्र मिलिटरी स्कूल’ में अत्याधुनिक सुविधा, साथ ही विद्यालय को मिली सफलता

श्री. रणजित सावरकर, मुरवाड में पिता कै. विक्रम नारायण सावरकर द्वारा स्थापित ‘महाराष्ट्र मिलिटरी स्कूल’ के संचालक हैं । सैन्यदल के लिए सक्षम, शूर, साहसी एवं चुस्त विद्यार्थी बनाना, यह इस विद्यालय की प्राथमिकता है । विद्यालय में ‘डिजिटल क्लास रूम’, संगणक कक्ष, उत्तम प्रयोगशाला, ग्रंथालय तो हैं ही; इन सबके साथ खेल के लिए मैदान भी हैं । हॉकी के लिए ‘टर्फ’ (आधुनिक मैदान) है । गत ३ वर्षाें से ‘महाराष्ट्र मिलिटरी स्कूल’ हॉकी क्षेत्र की नामांकित ‘ध्यानचंद ट्रॉफी’ पर अपना नाम अंकित करता आया है । अनेक खेलों में विद्यालय के विद्यार्थियों ने राज्य-स्तर पर विद्यालय का प्रतिनिधित्व किया है ।

७. श्री. रणजित सावरकर के अन्य कार्य

अ. श्री. रणजित सावरकर ने अपने कार्यकाल के आरंभ में ‘महाराष्ट्र इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ में ‘सहायक प्रबंधक’ के रूप में कार्य किया ।

आ. आपदा प्रबंधन के लिए महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री से जिलाधिकारी तक सीधे वीडियो संपर्क हो, इसके लिए स्थापित उपग्रह संचार  प्रणाली की संरचना में उनका अनमोल योगदान था ।


 ‘ओम प्रमाणपत्र’ अभियान एवं हिन्दुओं को आवाहन


सर्व मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा जो प्रसाद अर्पण किया जाता है, उस प्रसाद में अनेक बार वर्ज्य (मिलावटी पदार्थ) पदार्थ मिलाए जाते हैं । ऐसी घटनाएं बारंबार सामने आ रही हैं । इसलिए हिन्दू धर्मियों की भावनाएं आहत होती हैं । इन अनुचित प्रकरणों के विरुद्ध व्यापक स्वरूप में ‘प्रसाद शुद्धि अभियान’ आरंभ किया गया है । इसके आगे प्रसाद विक्रेताओं को वे जो वितरित कर रहे हैं, उस प्रसाद की शुद्धता का प्रमाण देकर ‘ओम प्रमाणपत्र’ लेना होगा ।

 

‘ओम प्रतिष्ठान’ नाम से आरंभ हुए इस नए उपक्रम द्वारा प्रमाणपत्र तैयार किया जाता है । उस पर ‘क्यू.आर. कोड’ होता है । इसलिए इस प्रमाणपत्र की नकल करना असंभव है । इस कोड को ‘स्कैन’ करने पर दुकानदार का नाम और पता दिखाई देता है । यदि यह प्रमाणपत्र नकली होगा, तो तुरंत ही समझ में आ जाता है तथा उस पर कार्रवाई कर सकते हैं; इसलिए इस प्रमाणपत्र का प्रसार करना तथा ऐसे प्रमाणपत्र वाली दुकानों से ही खरीदारी करना, यही एकमेव उपाय है । ‘ओम प्रमाणपत्र’ केवल दुकानों के लिए ही नहीं अपितु सभी प्रकार के व्यवसाय के लिए है ।

 

‘ये प्रमाणपत्र ‘हिन्दू से हिन्दू तक’ है । इसलिए यह धर्मांधों के आर्थिक षड्यंत्र से हिन्दुओं को बचा सकेगा । यह कार्य कठिन है; परंतु हिन्दुओं की श्रद्धा की रक्षा के लिए, बाल-बच्चों का भविष्य बचाने के लिए यदि हिन्दू एकत्र आकर कार्यरत हुए, तो यह संभव है । बांगलादेशी घुसपैठिए यदि कल बहुसंख्यक हो गए तथा उनके जन्मदर को देखते हुए आनेवाले १०-२० वर्षाें में ही वे बहुसंख्यक हो जाएंगे; तदुपरांत वे क्या करेंगे, यह हम देख ही रहे हैं कि आज बांगलादेश में जो हो रहा है । केरल, बंगाल में भी आए दिन होता ही रहता है । वह कल यहां भी हो सकता है और यदि इसे रोकना है, तो अपनी श्रद्धा भ्रष्ट न होने दें । आगे से ‘ओम प्रमाणपत्र’ जिनके पास है, उनसे ही खरीदारी करें ।’
– श्री. रणजित सावरकर *

इ. ‘मेल्ट्रॉन’ के प्रकल्प विभाग में काम करते समय नए प्रकल्प की तकनीकी बातों सहित ‘आर्थिक अनुमान’ (फायनान्शियल फॉरकास्टिंग) का भी उनका दायित्व था । यह दायित्व संभालते हुए ही कामगार संगठन के सचिव पद से कार्याध्यक्ष पद पर काम करते समय कामगारों के हित के लिए उन्होंने अनेक समाधान (उपाययोजनाएं) कार्यान्वित किए ।

८. वीर सावरकरजी की अपकीर्ति करनेवालों के विरुद्ध कानूनी प्रक्रिया तथा उसमें मिली सफलता

अ. वीर सावरकरजी के विषय में ‘एक्स’ नामक सामाजिक माध्यम पर अपमानजनक सूत्र लिखने के प्रकरण में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी को नोटिस भेजा । इस पर कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया हुई है । ऐसे संकेत हैं कि शीघ्र ही उन्हें न्यायालय में उपस्थित रहने के लिए समन्स भेजे जाएंगे ।

आ. ‘मलयालम् मनोरमा’ के प्रकाशक ने क्षमा मांगी !

वीर सावरकरजी पर गलत तथा अक्षम्य लेखन के विषय में ‘द वीक’ नामक साप्ताहिक के विरुद्ध अपराध प्रविष्ट किया गया । अंत में न्यायालयीन लडाई में ‘मलयालम् मनोरमा’ के प्रकाशक को क्षमा मांगनी पडी ।

इ. ‘एबीपी माझा’ वाहिनी ने क्षमा मांगी !

‘एबीपी माझा’ मराठी वृत्तवाहिनी पर २८ मई २०१८ को वीर सावरकर का अनादर करनेवाला चर्चात्मक कार्यक्रम प्रस्तुत हुआ । इसके लिए वृत्तवाहिनी से अधिकृतरूप से ‘क्षमा मांगे’, इसके लिए श्री. रणजित सावरकर के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने उनके अंधेरी स्थित कार्यालय में जाकर निवेदन दिया । कोई भी हिंसा अथवा तोडफोड किए बिना वाहिनी को सबक सिखाने के लिए उसके विज्ञापनदाताओं से ही विनम्र आवाहन कर विज्ञापन रोक दिए तथा इस वृत्तवाहिनी को आर्थिक दृष्टि से जर्जर कर दिया । परिणामस्वरूप वाहिनी के संपादक राजीव खांडेकर को स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक में आकर क्षमा मांगनी पडी ।