सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय ओक ने न्यायपालिका को आईना दिखाया !
नई दिल्ली – पिछले कुछ वर्षों में न्यायालय ने यह कह कर अपनी पीठ थपथपाई है कि ‘आम आदमी का न्यायपालिका पर भरोसा है’; पर ये सच नहीं है। यदि हमारे देश की विभिन्न न्यायालयोंमे ४ करोड ५४ लाख मामले लंबित हैं और उनमें से २५ से ३० प्रतिशत मामले १० वर्षों से अधिक समय से चल रहे हैं, तो हम यह कैसे स्वीकार कर सकते हैं कि ‘आम आदमी का न्यायपालिका पर विश्वास है’ ? ऐसा सवाल सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय ओक ने पूछा है। वह संविधान की ७५ वीं वर्षगांठ के अवसर पर एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
“The statement that the common man has great faith in our Judiciary may not be entirely or substantially correct!” – Supreme Court Justice Abhay Oka Holds a Mirror to the Legal System
Across the country, 4.54 crore cases are pending in various courts, widening the gap between… pic.twitter.com/HKS96ZnquZ
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) March 27, 2025
न्यायमूर्ति अभय ओक द्वारा प्रस्तुत सूत्रीकरण
१. देश भर की विभिन्न अदालतों में ४ करोड ५४ लाख मामले लंबित हैं। इससे न्यायपालिका और आम नागरिक के बीच खाई पैदा हो गई है। यदि हम पिछले ७५ वर्षों पर नजर डालें तो लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। (पिछले कुछ वर्षों में इस मुद्दे पर कई लोगों ने बयान दिए हैं; लेकिन यह भी सच है कि इस संख्या को कम करने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा है और यह संख्या कम नहीं हो रही है ! – संपादक)
२. इन ७५ वर्षों में हमने एक बुनियादी गलती की है, वह यह कि हमने अदालतों को जिला अदालतों और निचली अदालतों के रूप में वर्गीकृत करके न्याय चाहने वाले लोगों को वंचित रखा है। (यह एक उदाहरण है कि न्यायाधीश न्याय प्रशासन का बेहतर विश्लेषण कैसे कर सकते हैं। केंद्र और राज्य सरकारों को इसे गंभीरता से लेने और युद्ध स्तर पर न्याय प्रशासन की प्रक्रिया में सुधार करने की आवश्यकता है ! – संपादक)
VIDEO | Here’s what SC Judge Justice Abhay Shreeniwas Oka said while addressing the event to celebrate 75 years of the Constitution of India by Supreme Court Advocates on Record Association in Delhi.
(Full video available on PTI Videos – https://t.co/dv5TRAShcC)
(Source: Third… pic.twitter.com/YaL34Sq7WY
— Press Trust of India (@PTI_News) March 26, 2025
३. अदालतों में कई मामले लंबित हैं और इसका मुख्य कारण वकीलों द्वारा अदालती कार्यवाही का बहिष्कार है।
४. लंबित मामलों में जमानत के मामलों के निपटारे में भी देरी होती है और जो आरोपित कैदी हैं (जिनके विरुद्ध अभी तक मामला शुरू नहीं हुआ है) उनका भी निपटारा नहीं हो पाता है। उन्हें लम्बे समय तक जेल में रहना पड़ेगा। इससे उनके परिवार को भी परेशानी होती है। लंबी कैद के बाद अंततः निर्दोष कैदियों को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया जाता है। (इस स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार है ? इसकी भी जांच होनी चाहिए ! – संपादक)
संपादकीय भूमिकाजनता का मानना है कि अब न्यायाधीशों को आम लोगों में न्यायपालिका के प्रति विश्वास पैदा करने के लिए सक्रिय प्रयास करने चाहिए ! |