Madras University Programme On Christianity : मद्रास विश्वविद्यालय में ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रचार कैसे किया जाए ?’ इस विषय पर होगा व्याख्यान !

तमिल ब्राह्मण न्यायाधीश के नाम से आयोजित किया

(द्रमुक का अर्थ है द्रविड मुन्नेत्र कळघम् अर्थात द्रविड प्रगति संघ)

चेन्नई (तमिलनाडू) – मद्रास विश्वविद्यालय में ‘भारत में ईसाई धर्म का कैसे प्रचार किया जाए ?’, इस विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया है । विशेष बात यह कि १०० वर्ष पूर्व के मद्रास उच्च न्यायालय के तत्कालिन मुख्य न्यायाधीश तथा एक तमिल ब्राह्मण एस्. सुब्रमणिया अय्यर के नाम से इस व्याख्यान का आयोजन किया गया है । १४ मार्च को आयोजित इस कार्यक्रम में के. सिवा कुमार भाषण देनेवाले हैं तथा सामाजिक माध्यमों से बडे स्तर पर इस व्याख्यान का पत्रक प्रसारित हुआ है । सामाजिक माध्यमों से इसके विरोध में हिन्दुओं में क्षोभ की लहर है ।

१. प्रसारित पत्रक के अनुसार विश्वविद्यालय के ‘प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्त्वशास्त्र विभाग’ ने सर एस्. सुब्रमणिया अय्यर एंडोमेंट लेक्चर’ के अंतर्गत ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रचार कैसे किया जाए ?’, साथ ही ‘यह धर्म क्यों आवश्यक है ?’, इन विषयों पर व्याख्यान का आयोजन किया गया है ।

२. इस व्याख्यान के प्रमुख वक्ता अभियंता के. शिवकुमार, (मुख्य अभियंता, भाग्यनगर) होंगे ।

३. इसमें विशेष बात यह कि इस विश्वविद्यालय में ईसाई अध्ययन के लिए स्वतंत्र विभाग होते हुए भी प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्त्वशास्त्र विभाग की ओर से यह धार्मिक व्याख्यान का आयोजित किया जाना संदेहजनक माना जा रहा है ।

व्याख्यान का सर्वत्र प्रसारित हो रहा पत्रक

विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा प्रभावित !

मद्रास विश्वविद्यालय ने विख्यात गणितगज्ञ श्रीनिवास रामानुजन, भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, भौतिकशास्त्रज्ञ सी.वी. रमन, हिन्दू आध्यात्मिक गुरु स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती जैसे अनेक महान व्यक्तित्व तैयार किए हैं; परंतु यह घटना मद्रास विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठान पर गंभीर प्रश्नचिन्ह उपस्थित कर रही है ।

भाजपा की ओर से विरोध !

‘मद्रास विश्वविद्यालय में ‘भारत में ईसाई धर्म का प्रचार कैसे किया जाए ?’, इस विषय पर व्याख्यान ! कट्टरतावाद ? अतिरेकपूर्ण प्रचार ? क्या इस पर किसी को बोलना है ?’, इन शब्दों में भाजपा के राज्य सचिव डॉ. एस्. जी. सूर्या ने ‘एक्स’ पर प्रतिक्रया व्यक्त की है ।

दूसरी ओर वरिष्ठ विचारक एस्. गुरुमूर्ति ने कहा कि इस कार्यक्रम के कारण ईसाई धर्म की प्रतिष्ठा नहीं बढेगी, उसके विपरीत इसके कारण ईसाई धर्म ने केवल व्यक्तियों को ही नहीं, अपितु बौद्धिक संस्थाओं को भी छद्म मार्ग से प्रभावित किया है, यह सिद्ध होता है ।

संपादकीय भूमिका 

  • विद्यालयों में श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षा देने के सूत्र पर ‘देश में शिक्षा का भगवाकरण’ होने का आरोप लगानेवाले लोग क्या अब ‘शिक्षा का ईसाईकरण’ होने का आरोप नहीं लगा रहे हैं, यह ध्यान रखें !
  • मद्रास विश्वविद्यालय एक सरकारी विश्वविद्यालय होते हुए भी उसमें इस प्रकार से ईसाईयों के प्रचार के लिए कार्य किया जाना क्षोभजनक है । इस कार्यक्रम का आयोजन करनेवालों पर कठोर कार्रवाई होने हेतु अब हिन्दुओं को तमिलनाडू सरकार पर दबाव बनाना चाहिए !
  • प्रखर हिन्दूद्वेषी द्रमुक सरकार के राज्य में इस प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, इसमें आश्चर्य की क्या बात ? अन्य समय पर धर्मनिरपेक्षता का ढोल पीटनेवाले इस पर कुछ नहीं बोलेंगे, यह भी उतना ही सत्य है !