जूना अखाडे के महामंडलेश्वर आचार्य अवधेशानंद गिरिजी का वक्तव्य
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – देश के सबसे बडे पंच दशनाम जूना अखाडे के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरिजी ने वक्तव्य करते हुए कहा ‘हम भारत के लोग भाव के स्तर पर जीते हैं । ५० करोड से अधिक लोग महाकुंभ हेतु पधारे थे । इस महाकुंभ में जिस प्रकार से श्रद्धालु आ रहे हैं, इससे मुझे लगता है कि महाकुंभ यह शब्द बहुत छोटा है । उसे ‘विराट’, ‘अनंत’ अथवा ‘सनातन कुंभ’ कहें ।’
महामंडलेश्वर आचार्य अवधेशानंद गिरिजी ने आगे कहा…
‘१. इस देश में खेलों का कुंभ, किसानों का कुंभ एवं छात्रों के कुंभ का भी आयोजन होता है । कुंभ का अर्थ है विशालता । प्रयागराज के महाकुंभ हेतु जिस प्रकार से भाविक पधार रहे हैं, उसपर से मुझे लगता है कि इसे ‘सनातन कुंभ’ कहना चाहिए ।
२. हमारी (हिन्दुओं की) सभी बातें अनंत हैं । अपराजित हैं । हम लोग प्राचीन हैं, शाश्वत हैं । हिन्दू धर्म अनादि काल से है । हमारी परंपराएं प्राचीन हैं ।
३. कुंभ कोई आज-कल की बात नहीं । वह सत्ययुग के काल से है । देव एवं दानव के मध्य युद्ध के समय समुद्रमंथन हुआ, तब प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक में अमृत की बुंदें गिरीं । तब से कुंभमेला मनाया जाता है ।
४. सनातन धर्म के कारण ही यहां प्रत्येक व्यक्ति आ रहा है । महाकुंभ को कितनी स्वीकृति मिली है, इसका अनुमान लगाएं । जो कोई आ न सका, वे भी इसमें सहभागी हैं । कुंभ को विश्वभर ने स्वीकार किया है । महाकुंभ में जाति अथवा पंथ का कोई बंधन नहीं है । कोई जाति के संदर्भ में नहीं पूछता । यहां सामाजिक सौहार्द एवं विविधता में एकता दिखाई देती है ।
५. मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार मानता हूं, उनके प्रयासों के कारण ही इतना अच्छा महाकुंभ आयोजित किया जा रहा है ।’