मुंबई उच्च न्यायालय की अवमानना प्रकरण में दोनों के विरुद्ध पुलिस कार्रवाई होगी ! – मुंबई नगर निगम
मुंबई – इस वर्ष माघी गणेशोत्सव के समय पीओपी की मूर्तियों को कृत्रिम तालाबों में विसर्जित करने की अनुमति दी गई है, लेकिन आगामी गणेशोत्सव में पीओपी की मूर्तियों पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा । इसलिए ऐसी मूर्तियों को न केवल प्राकृतिक झीलों अथवा समुद्र में, अपितु कृत्रिम झीलों में भी विसर्जित नहीं किया जा सकता । यदि इसकी अनदेखी की गई तो सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों के साथ-साथ पीओपी मूर्तियां बनाने वाले मूर्तिकारों को भी उत्तरदायी ठहराया जाएगा । इतना ही नहीं, मुंबई महानगरपालिका ने कहा है कि मुंबई उच्च न्यायालय की अवमानना मामले में दोनों के विरुद्ध पुलिस कार्रवाई भी की जा सकती है ।
🚨 Double standards alert! 🚨
The Brihanmumbai Municipal Corporation (BMC) is threatening to take police action against mandals or idol makers who use POP idols, citing contempt of the Bombay High Court. 📜 ⚖️
But what about the BMC’s own contempt for the Supreme Court’s orders… https://t.co/VdGfIYST19 pic.twitter.com/l6Las4qbhS
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) February 14, 2025
याचिकाकर्ता रोहित जोशी ने जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि माघी गणेशोत्सव के समय केवल पीओपी मूर्तियां ही बेची जा रही हैं । १ फरवरी, २०३५ को मुंबई उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) के साथ-साथ राज्य भर के नगर निगमों और जिला कलेक्टरों को मूर्तियों पर प्रतिबंध के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने का आदेश दिया था । मुंबई नगर निगम ने ६ जनवरी को इस संबंध में एक पत्रक भी जारी किया था ।
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७ फरवरी को मंडलों द्वारा मूर्तियों को विसर्जित करने की अनुमति नहीं मिलने पर, वे उन्हें वापस मंदिर ले गए थे । १० फरवरी को नगर निगम ने कृत्रिम झीलें बनाईं । इस संदर्भ में नगर निगम ने एक बार फिर से पीओपी प्रतिबंध को लेकर मंडलों को चेतावनी दी है ।
संपादकीय भूमिका
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