BMC’s Ban On POP Ganesh Idols : पीओपी मूर्तियों के लिए मंडल अथवा मूर्तिकार उत्तरदायी होंगे ! – मुंबई नगर निगम

मुंबई उच्च न्यायालय की अवमानना प्रकरण में दोनों के विरुद्ध पुलिस कार्रवाई होगी ! – मुंबई नगर निगम

मुंबई – इस वर्ष माघी गणेशोत्सव के समय पीओपी की मूर्तियों को कृत्रिम तालाबों में विसर्जित करने की अनुमति दी गई है, लेकिन आगामी गणेशोत्सव में पीओपी की मूर्तियों पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा । इसलिए ऐसी मूर्तियों को न केवल प्राकृतिक झीलों अथवा समुद्र में, अपितु कृत्रिम झीलों में भी विसर्जित नहीं किया जा सकता । यदि इसकी अनदेखी की गई तो सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों के साथ-साथ पीओपी मूर्तियां बनाने वाले मूर्तिकारों को भी उत्तरदायी ठहराया जाएगा । इतना ही नहीं, मुंबई महानगरपालिका ने कहा है कि मुंबई उच्च न्यायालय की अवमानना ​​मामले में दोनों के विरुद्ध पुलिस कार्रवाई भी की जा सकती है ।

याचिकाकर्ता रोहित जोशी ने जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि माघी गणेशोत्सव के समय केवल पीओपी मूर्तियां ही बेची जा रही हैं । १ फरवरी, २०३५ को मुंबई उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) के साथ-साथ राज्य भर के नगर निगमों और जिला कलेक्टरों को मूर्तियों पर प्रतिबंध के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने का आदेश दिया था । मुंबई नगर निगम ने ६ जनवरी को इस संबंध में एक पत्रक भी जारी किया था ।


हे ही वाचा → उत्सवों के कारण जलप्रदूषण : केवल एक अपप्रचार ?


७ फरवरी को मंडलों द्वारा मूर्तियों को विसर्जित करने की अनुमति नहीं मिलने पर, वे उन्हें वापस मंदिर ले गए थे । १० फरवरी को नगर निगम ने कृत्रिम झीलें बनाईं । इस संदर्भ में नगर निगम ने एक बार फिर से पीओपी प्रतिबंध को लेकर मंडलों को चेतावनी दी है ।

संपादकीय भूमिका

  • नगर निगम प्रशासन मंडलों अथवा मूर्तिकारों को पीओपी के पर्याप्त विकल्प उपलब्ध कराए बिना ही ऐसे आदेश जारी कर रहा है । क्या हिन्दुत्वनिष्ठ सरकार इस ओर ध्यान देगी, जबकि पुणे स्थित सृष्टि इको-रिसर्च इंस्टीट्यूट ने रिपोर्ट दी है कि पीओपी से प्रदूषण नहीं हो रहा है ?
  • उच्च न्यायालय के अवमान के संदर्भ में मुंबई महानगरपालिका की जो चिंता है, वह मस्जिदों पर अनाधिकृत भोंपू के विरुद्ध कार्रवाई करने के सवर्ोच्च न्यायालय के आदेश के समय कहां चली जाती है ? क्या मस्जिदों पर लगे भोंपू के विरुद्ध मुंबई नगर निगम और मुंबई पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई न करना सवर्ोच्च न्यायालय की अवमानना नहीं है ? लोगों, मुंबई महानगरपालिका का हिन्दू द्वेष समझें !