सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

देश इसी कारण दुर्दशा की उच्चतम सीमा तक पहुंच गया है !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

‘सुख पाने से जुडी सभी बातें सिखानेवाले माता-पिता और सरकार बच्चों को कुछ भी अच्छा एवं सात्त्विक नहीं सिखाते । इस कारण देश दुर्दशा की उच्चतम सीमा तक पहुंच गया है । इसका एक ही उपाय है और वह है हिन्दू राष्ट्र की स्थापना !’


साधना की अद्वितीयता !

‘जिस प्रकार कीटाणु आंखों से दिखाई नहीं देते, परंतु वे सूक्ष्मदर्शी यंत्र से दिखाई देते हैं; उसी प्रकार सूक्ष्मदर्शी यंत्र से जो दिखाई नहीं देता, ऐसा सूक्ष्मातिसूक्ष्म जगत साधना से ज्ञात होता है !’


कलियुग में माता-पिता ऐसे भी होते हैं !

‘स्वयं भ्रष्टाचार कर अपने बच्चों के सामने भ्रष्टाचार करने का आदर्श रखनेवाले कलियुग के माता-पिता !’


परिवार के सदस्यों के भ्रष्टाचार को उजागर करना राष्ट्रीय कर्तव्य है !

‘युवाओ, यदि आपके माता-पिता भ्रष्टाचार और पाप कर रहे हैं, तो अपनी देशभक्ति बढाएं और उनके भ्रष्टाचार को उजागर करें, ताकि वे आगे और अधिक पाप करने से दूर रहें ! पत्नी का भी राष्ट्र के प्रति यह कर्तव्य है कि वह अपने पति के भ्रष्टाचार, अनैतिक आचरण आदि को उजागर करे ।’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले