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संभल (उत्तर प्रदेश) – भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत एक प्रतिज्ञापत्र में कहा गया है कि हमारी टीम को संभल में शाही जामा मस्जिद में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई है । साथ ही यहां कई अवैध निर्माण भी किए गए हैं । इस स्थल के मूल स्वरूप बदल दिया गया है ।
हिन्दुओं का दावा है कि शाही जामा मस्जिद जो कि पहले हरिहर मंदिर था, जिसे बाबर के सेनापति ने ध्वस्त कर दिया था और वहां एक मस्जिद बनाई गई थी। इस बारे में यहां के दिवानी न्यायालय में याचिका प्रविष्ट करने पर न्यायालय ने मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है । सरकार, पुरातत्व विभाग और मस्जिद कमेटी को भी नोटिस जारी किया गया है । इसके अनुसार पुरातत्व विभाग ने एक प्रतिज्ञापत्र दाखिल किया है ।
🚨 Breaking News: Archaeology Department Denied Entry into Jama Masjid in Sambhal (Uttar Pradesh)! 🚨
(ASI) submits an affidavit in court, revealing that despite the 850-year-old ancient structure officially being under their jurisdiction, Mu$l!ms refuse to hand over control!
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) December 1, 2024
इस प्रतिज्ञापत्र में आगे कहा गया है कि,
१. मस्जिद के संरक्षण और रख-रखाव की जिम्मेदारी १९२० से हमारी है ; लेकिन काफी दिनों से हमारी टीम को मस्जिद में जाने से रोका गया । इसलिए मस्जिद के वर्तमान स्वरूप के बारे में फिलहाल कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। बार-बार जब टीम इस मस्जिद का निरीक्षण करने गई तो लोगों ने इसका विरोध किया और आगे बढ़ने से रोका । इसलिए मस्जिद परिसर में अंदर ही अंदर किए गए मनमाने निर्माण के बारे में कोई जानकारी नहीं है ।
२. हमारी टीम ने वर्ष १९९८ में मस्जिद का दौरा किया था। फिर जून २०२४ में हमारी टीम स्थानीय प्रशासन और पुलिस की मदद से मस्जिद में प्रवेश कर पाई । उस वक्त टीम को मस्जिद की इमारत में कुछ अतिरिक्त निर्माण नजर आया था ।
३. मस्जिद परिसर में ‘ प्राचीन इमारतें और पुरातात्विक अवशेष संरक्षण अधिनियम , १९५८ ‘ के प्रावधानों का घोर उल्लंघन किया गया है। हमने मस्जिद पर अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार लोगों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया ।
४. मुख्य मस्जिद भवन की सीढ़ियों पर दोनों तरफ लोहे की ‘रेलिंग’ ( हाथ से पकडने वाली लंबी रेलिंग ) हैं । १६ फरवरी २०१८ को आगरा मंडल के अपर आयुक्त प्रशासन ने संभल के जिलाधिकारी को उक्त रेलिंग हटाने का आदेश दिया था । इस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है ।
५. मस्जिद कमेटी की ओर से जामा मस्जिद का रंग-रोगन कराया गया है। मूल पत्थर के निर्माण पर प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग किया गया है। इससे मस्जिद का वास्तविक स्वरूप नष्ट हो गया है।’
संपादकीय भूमिका८५० वर्षों से अधिक प्राचीन इमारतें पुरातत्व विभाग के अधिकार क्षेत्र में होनी चाहिए और यद्यपि ऐसा करना एक आधिकारिक दायित्व है, फिर भी मुसलमानों द्वारा इस विभाग को नियंत्रण सौंपने से इंकार करना उनकी तानाशाही है। हिन्दू पक्ष का मत है कि न्यायालय को इसके विरुद्ध आदेश जारी करना चाहिए ! |