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नई देहली – अजमेर शरीफ दरगाह पूर्व में शिवमंदिर होने के विषय में प्रविष्ट की गई याचिका अजमेर के स्थानीय न्यायालय द्वारा स्वीकार करने के उपरांत भिन्न भिन्न राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रियाएं उमड पडी हैं । समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव ने आपत्तिजनक वक्तव्य किया है । उन्होंने कहा ‘छोटे न्यायाधीश इस देश की आगजनी करना चाहते हैं । उसका कुछ भी मतलब नहीं निकलता । हमारे प्रधानमंत्री स्वयं अजमेर दरगाह पर चादर भेजते हैं । देशभर से लोग यहां आते हैं । अजमेर दरगाह के विषय में विवाद करना, अत्यंत घिनौना एवं हल्की सोच का प्रतीक है । सत्ता बनाए रखने हेतु भाजपा के समर्थक कुछ भी कर सकते हैं ।’
"Junior judges want to burn the nation" – Samajwadi Party MP Ramgopal Yadav's contemptuous remarks against the judiciary
Ajmer Dargah case: Petition claiming it to be a ‘Shiva Temple’ accepted by a lower Court
Political parties that otherwise claim to uphold the Constitution… pic.twitter.com/30b4y4C992
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) November 28, 2024
१. एम.आइ.एम. के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा ‘यहां पिछले ८०० वर्षों से दरगाह है । नेहरू से लेकर सभी प्रधानमंत्री दरगाह पर चादर चढाते आए हैं । भाजपा-संघ मस्जिद एवं दरगाह के संदर्भ में इतना द्वेष क्यों फैला रहे हैं ? कनिष्ठ न्यायालय ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप’ कानून की (पूजा स्थल कानून की) सुनवाई क्यों नहीं करते ? कानून का शासन एवं प्रजातंत्र का क्या होगा ? यह देश के हित में नहीं है । ये सभी भाजपा-संघ के कहने से किया जा रहा है ।’ (न्यायालय ने याचिका स्वीकार करने के उपरांत उसपर प्रश्न उठानेवाले ओवैसी भी एक अधिवक्ता है, यह ध्यान में रखें ! न्यायालय ने अब ऐसे लोगों की कानूनी पदवी (डिग्री) हटा देनी जाहिए ! – संपादक)
२. वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने इन गतिविधियों का वर्णन ‘चिंताजनक’ ऐसा किया है । राजनीतिक लाभ ऊठाने हेतु देश को कहां लिया जा रहा है ? (भारत में न्याय केवल मुसलमानों के लिए है एवं यदि हिन्दुओं को न्यायालय न्याय देता है, तो वह भूल है, यही बात सिब्बल कह रहे हैं, यह ध्यान में लें ! – संपादक)
संपादकीय भूमिका
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