भक्तों को भगवान विष्णु को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए ! – Guruvayur Temple Board

  • केरल के गुरुवायूर मंदिर प्रबंधन बोर्ड का निर्णय !

  • तुलसी में रसायन होने के कारण तुलसी चढाने पर प्रतिबंध !

  • बोर्ड के अध्यक्ष माकप के नेता हैं ।

गुरुवायूर मंदिर

त्रिशूर (केरल) – यहां के प्रसिद्ध गुरुवायूर मंदिर के प्रबंधन बोर्ड ने भक्तों से तुलसी प्रसाद न चढ़ाने को कहा है। बोर्ड ने कहा कि भक्तों द्वारा लाया गया तुलसी का पूजा में उपयोगी नहीं होता है और इसमें अधिक रसायन होते हैं, इसलिए इसे नहीं चढ़ाया जाना चाहिए । मंदिर प्रबंधन ने भक्तों को तुलसी के स्थान पर कमल के फूल लेकर मंदिर में आने की सलाह दी है। मंदिर बोर्ड के इस निर्णय पर विवाद खड़ा हो गया है । श्रद्धालुओं ने क्रोध जताया है कि बोर्ड उनके अधिकारों का हनन कर रहा है। इस मंडल के मुखिया भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) के नेता वी.के. विजयन हैं ।

१. मंदिर बोर्ड ने हाल ही में भक्तों को बाहर से तुलसी खरीदकर मंदिर के अंदर लाने की सलाह दी है। भक्त इस तुलसी को भगवान गुरुवायुर (भगवान विष्णु का एक रूप) को चढ़ाते थे। ऐसा कहा जाता है कि कुछ परिवार पीढ़ियों से गुरुवायूर मंदिर में पूजा के फूल या माला लाने का काम करते आ रहे हैं।

२. ‘बाहर से लाई गई तुलसी का उपयोग माला पहनने या देव पूजा में नहीं किया जाता। इस तुलसी को एक निजी संस्था को दे दिया जाता है, जो फिर इससे कई अन्य उत्पाद बनाती है। बोर्ड ने कहा, भक्तों को आयातित तुलसी लाने से बचना चाहिए क्योंकि इसमें कीटनाशक की मात्रा अधिक होती है।

३. मंदिर के कुछ कर्मचारियों ने मीडिया को बताया कि आयातित तुलसी से उनके हाथों में खुजली होती है और एलर्जी होती है।

४. एरिया डिफेंस कमेटी के सचिव एम. बिजेश ने कहा कि यदि मंडल वाहन और सोने के आभूषण जैसी वस्तुएं स्वीकार कर सकता है, जिनका उपयोग पूजा के लिए नहीं किया जा सकता है, तो उन्हें भक्तों को देवता को कुछ प्रिय वस्तुएं चढ़ाने से नहीं रोकना चाहिए। तुलसी चढ़ाने से मना करने के स्थान पर इसका कोई अच्छा उपयोग क्यों न खोजा जाए ?

५. इससे पहले मई २०२४ में केरल के मंदिरों में अरली के फूल पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस फूल के कारण २४ साल की एक नर्स की मौत हो गई। इसके बाद २ बड़े मंदिर बोर्डों ने इस फूल को मंदिरों में लाने पर प्रतिबंध लगा दिया था ।

६. कहा जाता है कि गुरुवायूर मंदिर का निर्माण १४ वीं शताब्दी में हुआ था। मंदिर में भगवान विष्णु की चार भुजाओं वाली मूर्ति स्थापित है। इस रूप को ‘गुरुवायुर’ कहा जाता है।

संपादकीय भूमिका

  • बोर्ड रसायन मुक्त तुलसी उपलब्ध कराने का प्रयास क्यों नहीं कर रहा है ? केवल रसायनों के नाम पर ऐसा विरोध करना अयोग्य होगा। हिन्दुओं को इसका वैध रूप से विरोध करना चाहिए !
  • हिन्दुओं को कब समझ में आएगा कि नास्तिक कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं को मंदिर प्रबंधन बोर्ड का प्रमुख बनाना मंदिर सरकारीकरण का सबसे बड़ा झटका है ?