China Border Dispute : भारत और चीन आपसी विश्वास निर्माण होने में समय लगेगा !

भारतीय सेना प्रमुख उपेन्द्र द्विवेदी का स्पष्ट वक्तव्य !

भारतीय सेना प्रमुख उपेन्द्र द्विवेदी

नई देहली – भारतीय सेना प्रमुख उपेन्द्र द्विवेदी ने इस तथ्य पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है कि दोनों देशों ने आधिकारिक स्तर पर सूचित किया है कि भारत और चीन के बीच प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा भ्रमण पुन: प्रारंभ करने के संबंध में समाधान हो गया है। उन्होंने कहा कि समाधान योग्य है किन्तु सबसे पहले दोनों देशों को पुन: विश्वास प्रस्थापित करना होगा। इसमें सैनिकों को एक दूसरे को देखने और बात करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए सुरक्षा भ्रमण करने के लिए उपयुक्त वातावरण उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि हम विश्वास पुन: प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं और इसमें समय लगेगा।

जनरल द्विवेदी ने आगे कहा कि दोनों देशों के मध्य विश्वास बनाने के लिए सैनिकों की वापसी और ‘ संवेदनशील भू-दृश्य क्षेत्र ‘ (सीमाओं के बीच अनिवार्य स्थान) की स्थापना भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। विश्वास तभी निर्माण हो सकता है जब हम एक-दूसरे के मन को समझें व एक-दूसरे को संतुष्ट करें। हम तभी आश्वस्त हो सकते हैं जब हम निश्चित किए गए संवेदनशील भू-क्षेत्र में वापस में चले जाएंगे। सुरक्षा भ्रमण द्वारा यह यह प्रक्रिया सहज हो जायेगी। दोनों पक्षों को एक दूसरे को मनाने का अवसर प्राप्त होगा । एक बार विश्वास प्रस्थापित होने के उपरांत अगला कदम उठाया जाता सकता है।

प्रकरण क्या था !

अप्रैल २०२० में चीन ने पूर्वी लद्दाख के ६ क्षेत्रों पर अतिक्रमण कर लिया था । वर्ष २०२२ तक चीनी सेना ४ क्षेत्रों से हट चुकी थी। इसके उपरांत गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच युद्ध हुआ। इसमें २० भारतीय सैनिक बलिदान हो गए। जबकि ४० से अधिक चीनी सैनिक मारे गए। तब से भारतीय सेना को दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक के बीच सुरक्षा भ्रमण की अनुमति नहीं दी गई है।

संपादकीय भूमिका 

भारत और चीन कभी भी आपसी विश्वास निर्माण नहीं कर सकते; क्योंकि ताली एक हाथ से नहीं बजती। चीन के इतिहास एवं उसकी मानसिकता की यही वास्तविकता है। इसलिए भारत को चीन से सदैव सतर्क रह कर संबंध बनाने चाहिए!