Places Of Worship Act : ‘पूजास्थल कानून’ रद्द करने के विषय में केंद्र सरकार शपथपत्र प्रस्तुत करे ! – सर्वाेच्च न्यायालय

इस प्रकरण में आगे की दिनांक तक कोई भी नई याचिका प्रविष्ट करने पर प्रतिबंध

नई देहली – ‘पूजास्थल कानून १९९१’ (प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट १९९१) कानून के विरोध में सर्वाेच्च न्यायालय में प्रविष्ट की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने केंद्र सरकार को ४ सप्ताह में शपथपत्र प्रस्तुत करने का आदेश दिया है, साथ ही न्यायालय ने बताया है कि जब तक हम इस प्रकरण की सुनवाई कर रहे हैं, तब तक देश के धार्मिक स्थलों के विषय में कोई भी नया अभियोग प्रविष्ट नहीं किया जा सकेगा ।

१. माकपा, इंडियन मुस्लिम लीग एवं राष्ट्र्रवादी कांग्रेस (शरद पवार), इन राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, साथ ही राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा, भाजपा नेता डॉ. सुब्रह्मण्यम् स्वामी, कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर तथा अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने ये याचिकाएं प्रविष्ट की हैं ।

२. इन याचिकाओं के विरोध में जमियत उलेमा-ए-हिन्द ने याचिका प्रविष्ट की है । जमियत का तर्कवाद यह है कि इस कानून के विरुद्ध प्रविष्ट की गई याचिकाओं पर विचार किया गया, तो पूरे देश के मस्जिदों के विरुद्ध अभियोगों की बाढ आ जाएगी । (मुसलमान आक्रांताओं ने मंदिर पर आक्रमणों की जो ‘बाढ’ लाई थी, क्या वह उचित थी, ऐसा जमियत का कहना है ? – संपादक) मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एवं ज्ञानवापी मस्जिद की देखभाल करनेवाली अंजुमन मस्जिद व्यवस्थापन समिति ने भी इन याचिकाओं को अस्वीकार करने की मांग की है । (मुसलमान आक्रांताओं ने हिन्दुओं के मंदिरों पर आक्रमण कर उनका मस्जिदों में रूपांतरण किया, यह इतिहास होते हुए भी उसे अस्वीकार कर मंदिरों पर अपना अधिकार जतानेवाले मुसलमान तथा उनके संगठन देश में हैं, तो क्या ऐसे में कभी हिन्दुओं एवं मुसलमानों में भाईचारा स्थापित हो सकता है ? हिन्दुओं को अब तक इस भाईचारे के नशे में रखकर आत्मघात करने के लिए बाध्य किया गया । अब हिन्दू जागृत हुए हैं तथा वे उनके मंदिरों को वापस लेकर ही रहेंगे ! – संपादक) (१३.१२.२०२४)