नई देहली – ज्ञानवापी परिसर में १६ मई २०२२ को शिवलिंग प्राप्त हुआ था । ज्ञानवापी परिसर चिल्ला कर कह रहा है कि यह हिन्दुओं का परिसर है । ज्ञानवापी परिसर में बलपूर्वक नमाजपठन किया जा रहा था । यह अत्यंत चूक है । ज्ञानवापी में हिन्दुओं की आराध्य दवता महादेव का स्थान है । यह हिन्दुओं के १२ ज्योतिर्लिंंग में एक है । न्यायव्यवस्था पर हमारा विश्वास है । हम आशा करते हैं कि इस प्रकरण का शीघ्रातिशिघ्र हल निकलेगा । ज्ञानवापी के प्रकरण में हिन्दुओं का पक्ष रखनेवालेे सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णू शंकर जैन ने ऐसा वक्तव्य दिया ।
The evidence at #Gyanvapi premise is screaming that this area belongs to the Hindus. – Advocate Vishnu Shankar Jain, (@Vishnu_Jain1) Advocate, Supreme Court
▫️Advocate Jain further added:
👉 The statement by Uttar Pradesh’s CM, Yogi Adityanath, that ‘Gyanvapi is the abode of… pic.twitter.com/xhutYIE6TR
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) September 15, 2024
अधिवक्ता विष्णू शंकर जैन ने आगे कहा,
१. ‘ज्ञानवापी साक्षात् श्री विश्वनाथ का धाम है । इसलिए ज्ञानवापी को ‘मस्जिद’ कहना दुर्भाग्यपूर्ण है, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसा वक्तव्य किया था । मैं इस वक्तव्य का स्वागत करता हूं ।
२. मथुरा की श्रीकृष्णजन्मभूमि के परिसर में सर्वेक्षण किया जाना चाहिए । हमारी यह मांग है तथा इस मांग के लिए हमने अलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है । उच्च न्यायालय ने यह याचिका स्वाकार की है । इस याचिका को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी ।
३. जिस समय श्रीकृष्णजन्मभूमि पर सर्वेक्षण किया जाएगा, उस समय सभी को स्पष्ट होगा कि यह परिसर ईदगाह मस्जिद नही है । हमारी देवता का परिसर अवैध रूपसे नियंत्रण में लेकर उसे मस्जिद का स्वरूप देने का प्रयास किया गया ।
वक्फ ने हथियाई भूमि की जांच होनी चाहिए ! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन
जा भूमि वक्फ के रूप में नियंत्रण में ली गई है, वह वापस लेने की प्रक्रिया बहुत कठिन है । ऐसे प्रकरणों में जांच के आदेश देने का अधिकार जिलाधिकारियों को दिया गया है । सभी को ज्ञात है कि जिलाधिकारी किसके आदेश के अनुसार काम करते हैं । भारत में वक्फ बोर्ड के पास जितनी संपत्ति है, उसकी जांच होने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आयोग स्थापन करना चाहिए ।हमारी ऐसी मांग है । वक्फ बोर्ड ने भारी मात्रा में भूमि हथियाई है । यह भूमिइस के मूल स्वामी को देना आवश्यक है ।