एस.डी.पी.आई. दल ने हंगामा करने के उपरांत ये निर्णय लिया
(हिजाब एक मुस्लिम महिला द्वारा अपना सिर तथा गर्दन ढकने के लिए उपयोग किया जाने वाला परिधान है)
बेंगलुरु (कर्नाटक) – कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने उडुपी के कुंडापुर में सरकारी महाविद्यालय के प्रधानाचार्य बी.जी. रामकृष्ण को घोषित ‘सर्वश्रेष्ठ प्रधानाचार्य’ पुरुस्कार रोक दिया है । प्रधानाचार्य बी.जी. रामकृष्ण को पुरस्कार देने की घोषणा के बाद सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एस.डी.पी.आई.) के विरोध के उपरांत यह निर्णय लिया गया । एस.डी.पी.आई. यह प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की एक राजनीतिक शाखा है । ५ सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर, कर्नाटक सरकार ने ४१ शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों एवं व्याख्याताओं को ‘सर्वश्रेष्ठ शिक्षक/प्रधानाचार्य पुरस्कार’ देने की घोषणा की ।
(और इनकी सुनिए…) ‘रामकृष्ण ने छात्रों के साथ जैसा व्यवहार किया’ यह चिंता का विषय है !’ – कर्नाटक के शिक्षा मंत्री
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने भी प्रधानाचार्य रामकृष्ण को घोषित पुरस्कार स्थगित करने के निर्णय पर एसडीपीआई पर निशाना साधा । “मुझे लगता है कि रामकृष्ण को पुरस्कार देने की घोषणा करने वाली पुरस्कार समिति ने एक विशेष मुद्दे की अनदेखी की है । इस मुद्दे का पता चलने के उपरांत हमने इस पुरस्कार को अस्थायी रूप से रोक दिया है । हम स्थिति स्पष्ट करेंगे और अद्यतन जानकारी देंगे । मैंने पुरस्कार समिति को पुनर्मूल्यांकन करने तथा हमें रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है । रामकृष्ण ने छात्रों के साथ कैसा व्यवहार किया यह चिंता का विषय है ।” (रामकृष्ण ने महाविद्यालय के नियमों का पालन करते हुए मुसलमान युवतियों के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया था । इससे उनकी तत्वनिष्ठा दिखाई देती है । परंतु ऐसे शिक्षक कांग्रेस की आंखों को चुभते हैं ! – संपादक)
रामकृष्ण ने महाविद्यालय में हिजाब पर प्रतिबंध लगाया
दिसंबर २०२१ में उडुपी के एक सरकारी महाविद्यालय में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था । फिर फरवरी २०२२ में हिजाब पहनकर महाविद्यालय आईं २८ छात्राओं को महाविद्यालय में प्रवेश देने से मना कर दिया था । यह प्रकरण कर्नाटक उच्च न्यायालय में जाने के उपरांत मुस्लिम छात्रों की याचिका यह कहते हुए अस्वीकार कर दी गई कि ‘इस्लामी आस्था के अनुसार हिजाब कोई आवश्यक प्रथा नहीं है ।’ उस समय महाविद्यालय में बी.जी. रामकृष्ण प्रधानाचार्य थे । इसलिए, एस.डी.पी.आई. ने हिजाब प्रतिबंध के निर्णय के कारण रामकृष्ण को पुरस्कार न मिले इसके लिए दबाव डाला ।
संपादकीय भूमिका
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