बुलडोजर द्वारा संपत्ति पर होने वाली कार्यवाही पर सर्वोच्च न्यायालय का वक्तव्य
नइ देहली – उत्तर प्रदेश, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश समान कुछ राज्यों में आरोपी के घरों पर बुलडोजर चला कर उन्हें तोडने की घटनाओं के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय में २ याचिकाएं प्रविष्ट (दाखिल) की गई हैं । इन पर २ सितंबर को हुर्ई सुनवाई के समय सर्वोच्च न्यायालय ने इस प्रकरण में ‘पूरे भारत को लागू होने वाले मार्गदर्शक तत्व सिद्ध कर सकते हैं।’, ऐसा मत प्रस्तुत किया तथा इस समय यह भी स्पष्ट किया कि यदि ‘ संपत्ति अवैध है, तो उस पर कार्यवाही करनी ही चहिए । उसी प्रकार ‘´यदि निर्माण कार्य अवैध हो, तभी वह तोडा जा सकता है’ उत्तर प्रदेश सरकार की इस भूमिका की न्यायालय ने प्रशंसा की । अब इस प्रकरण की सुनवाई १७ सितंबर को होगी ।
🎯Action on illegal constructions is justified! – Supreme Court
👉 #SupremeCourtOfIndia ‘s statement on action being taken by bulldozing properties#Bulldozer #BulldozerAction pic.twitter.com/iCjNCxh2Zk
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) September 2, 2024
१. राजस्थान के राशिद खान तथा मध्य प्रदेश के मोहम्मद हुसैन की इन याचिकाओं पर न्यायालय ने कहा कि केवल कोई एक व्यक्ति पर आपराधिक फौजदारी आरोप रहने से ही उसकी संपत्ति इस प्रकार से तोडने की अनुमति नहीं दी जा सकती । हम अखंड भारत के आधार पर कुछ मार्गदर्शक तत्व प्रस्तूत करने का प्रस्ताव रख रहे हैं, जिससे उपस्थित किए गए विषय पर ध्यान दिया जाएगा । उत्तर प्रदेश राज्य ने अपनाई भूमिका की हम प्रशंसा करते हैं ।
२. सुनवाई के समय भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ‘किसी भी आरोपी की संपत्ति इसलिए नहीं तोडी गई कि उसने अपराध किया था । अवैध कृत्य करनेवाले आरोपियों पर महापालिका अधिनियम के अनुसार कार्यवाही की गई है ।’ उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से एक शपथपत्र भी प्रस्तुत किया गया था कि कानून के अनुसार ही घरों पर वह कार्यवाही की जाएगी ।
३. उदयपुर में याचिका करनेवाले ६० वर्षीय राशिद खान के पुत्र ने हिंदू वर्गमित्र पर छूरी से आक्रमण किया जिससे उसकी मृत्यु हो गई थी । तत्पश्चात प्रशासन ने उनका घर गिराया था । उसी प्रकार मध्य प्रदेश के मोहम्मद हुसेन ने आरोप किया कि राज्य प्रशासन ने उनका घर एवं दुकान अवैध रूप से तोडा है ।