SANATAN PRABHAT EXCLUSIVE : महाराष्‍ट्र में ‘जनहितार्थ’ इस आकर्षक नाम पर चलाए जा रहे हैं, हानि में ६० से अधिक निष्‍क्रिय महामंडल !

श्री. प्रीतम नाचणकर, मुंबई

मुंबई, २५ अगस्त (समाचार) – ऊर्जा, वित्त, सेवा, मूलभूत सुविधा, कृषि, उत्‍पाद एवं संकीर्ण इन ७ क्षेत्रों में ‘सार्वजनिक उपक्रम’ के रूप में महाराष्‍ट्र सरकार राज्‍य में कुल ११० महामंडल एवं कंपनियां चलाती हैं । वर्ष २०२३ तक इन में से पूरे ४५ महामंडल एवं कंपनियों को हानि हुई है, तथा १९ निष्‍क्रिय बन गई हैं । रास्ते में बैठा छोटा विक्रेता भी धंधे में हानि होने पर उपाय निकालता है; परंतु धंधे में कभी भी खोट नहीं आने देता । सभी सरकारी तंत्र एवं विशेषज्ञ होते हुए भी महाराष्‍ट्र में मात्र सर्वदलीय राज्‍यनीतिज्ञ हानि में एवं निष्‍क्रिय ६० से अधिक महामंडल ‘जनहितार्थ’ इस आकर्षक नाम पर वर्षों से चला रहे हैं । प्रतिवर्ष इसकी बडी मात्रा में आर्थिक हानि राज्‍य को सहनी पड रही है । भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षकों के (‘कैग’ के) वर्ष २०२२-२३ के राज्‍य वित्त-प्रबंध लेखापरीक्षा विवरण (रिपोर्ट) से यह बात उजागर हुई है ।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षकों ने इस विवरण में हानि में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों के कार्य का ब्योरा लेकर उनके आर्थिक प्रदर्शन में सुधार करने हेतु आवश्‍यक कदम उठाने की सूचना दी है । राज्‍य के हानि में चल रहे महामंडलों के विषय में भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक इस प्रकार वर्षों से सूचना दे रहे हैं; तथापि राज्‍य सरकार द्वारा इस पर कोई ठोस उपाययोजना नहीं की गई है । (भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षकों को इससे भी आगे जाकर कार्यवाही करने के अधिकार देने चाहिए, यदि किसी को ऐसा लगता है, तो इसमें चूक क्या है ? – संपादक) इससे अधिक गंभीर बात यह है कि इनमें से अनेक महामंडलों ने वर्षों से अपना हिसाब सरकार को प्रस्तुत नहीं किया है । ऐसा होते हुए भी इन महामंडलों पर करोडों रुपयों का व्यय किया जा रहा है ।

वर्ष २०२३ में ३३ सहस्र ५० करोड ६४ लाख रुपयों की आर्थिक हानि !

सितंबर २०२३ तक राज्‍य सरकार ने इन महामंडलों पर ऋण सहित ५ लाख ६४ सहस्र ३३५ करोड ४८ लाख रुपए व्यय किए । यह व्यय वसूल होने हेतु इन महामंडलों एवं कंपनियों द्वारा वर्ष २०२३ में सरकार को न्यूनतम ३४ सहस्र ८४० करोड ७५ लाख रुपए धनवापसी मिलना अपेक्षित है । प्रत्‍यक्ष में इन सभी महामंडल एवं कंपनियों द्वारा केवल ऋण के अतिरिक्त आय १ सहस्र ७९० करोड ११ लाख रुपए जमा हुए । इस कारण वर्ष २०२३ में इन महामंडलों के कारण सरकार को पूरे ३३ सहस्र ५० करोड ६४ लाख रुपयों की हानि सहनी पडी । इस प्रकार ये महामंडल एवं कंपनियां सरकार को वर्षों से करोडों रुपयों से खाई में धकेल रहे हैं ।

महामंडलों के कारण राज्य को हुई वर्ष के अनुसार हानि !
वर्ष सरकार को धनवापसी (रुपए) प्रत्यक्ष ऋण के अतिरिक्त आय (रुपए) हुई हानि (रुपए)
२०२०-२१ ३२ सहस्र ७३७ करोड ७० लाख १७९ करोड ४२ लाख ३२ सहस्र ५५८ करोड २८ लाख
२०२१-२२ ३४ सहस्र ४१३ करोड ७० लाख २ सहस्र ७९४ करोड ११ लाख ३१ सहस्र ६१८ करोड ९४ लाख
२०२२-२३ ३४ सहस्र ८४० करोड ७५ लाख १ सहस्र ७९० करोड ११ लाख ३३ सहस्र ५० करोड ६४ लाख
* वर्षों से सरकार को हिसाब दिए बिना करोडों रुपयों का अनुदान जेब में डालनेवाले महामंडल !
सार्वजनिक उपक्रम का नाम कब से हिसाब नहीं दिया है
अण्णासाहेब पाटील आर्थिक पिछडा विकास महामंडल १२ वर्ष (वर्ष २०११ से)
कोल्हापुर चित्रनगरी महामंडल मर्यादित १९ वर्ष (वर्ष २००४ से)
साहित्य रत्न लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे विकास महामंडल मर्यादित १३ वर्ष (वर्ष २०१० से)
महाराष्ट्र सिंचाई वित्तीय कंपनी मर्यादित १० वर्ष (वर्ष २०१३ से)
महाराष्ट्र राज्य दिव्यांग वित्त एवं विकास महामंडल मर्यादित ८ वर्ष (वर्ष २०१५ से)
महाराष्ट्र विक्रय ऋण ब्लाकस प्राधिकरण मर्यादित ५ वर्ष (वर्ष २०१८ से)
मौलाना आजाद अल्पसंख्यंक वित्तीय विकास महामंडल मर्यादित १० वर्ष (वर्ष २०१३ से)
वसंतराव नाईक विमुक्त जाति एवं घूमंतू जनजातियां विकास महामंडल मर्यादित ९ वर्ष (वर्ष २०१४ से)

(* कैग के विवरण के अनुसार उपरोक्त स्‍थिति सितंबर २०२३ तक की है)

इस सारणी से सरकार द्वारा चलाए जा रहे महामंडलों का अव्यवस्थित कारभार उजागर होता है । सितंबर २०२३ तक ११० उपक्रमों के पूरे २६१ वार्षिक विवरण सरकार को प्रस्तुत ही नहीं किए गए हैं । इस प्रकार वर्षों से सरकार को हिसाब दिए बिना भी मंडल प्रति वर्ष सरकार द्वारा करोडों रुपयों का अनुदान अपनी जेब में डाल रहे हैं ।

लाभ की अपेक्षा हानि की राशि अधिक !

वर्ष २०२२-२३ में ऊर्जा, वित्त, सेवा, मूलभूत सुविधा, कृषि एवं उनके जैसे, उत्‍पाद, संकीर्ण इन क्षेत्रों में राज्‍य सरकार ने २ लाख ३३ सहस्र ६२६ करोड ८९ लाख रुपए का निवेश किया । इससे ४७ उपक्रमों द्वारा १ सहस्र ८३३ करोड २९ लाख रुपए जितना लाभ मिला, जबकि ४५ उपक्रमों से ३ सहस्र ६२३ करोड ४० लाख की हानि हुई । अर्थात लाभ कमानेवाले ४७ उपक्रम भले ही हों, तथापि ४५ उपक्रमों की हानि की राशि कई गुना अधिक है । वर्ष २०२२-२३ के वित्तीय वर्ष में सरकार को पूरे १ सहस्र ७९० करोड ११ लाख रुपयों की हानि हुई ।

सभी संपत्ति यदि बेच दें, तो भी २० महामंडलों की संचित हानि भरपाई नहीं हो सकती !

महाराष्‍ट्र राज्‍य कृषि महामंडळ मर्यादित, कोल्‍हापुर चित्रनगरी महामंडळ मर्यादित, महाराष्‍ट्र राज्‍य हथकरघा महामंडळ मर्यादित, कोकण विकास महामंडळ मर्यादित, हाफकीन अजिंठा औषधी निर्माण मर्यादित, महाराष्‍ट्र राज्‍य विद्युत वितरण कंपनी मर्यादित, मराठवाडा दुग्‍धविकास महामंडळ मर्यादित, महाराष्‍ट्र इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स महामंडळ मर्यादित, महाराष्‍ट्र राज्‍य वस्‍त्रोद्योग महामंडळ मर्यादित, मराठवाडा चर्मोद्योग महामंडळ मर्यादित, धोपावे कोस्‍टल पॉवर मर्यादित, महाराष्‍ट्र बिजली विकास महामंडळ मर्यादित एवं एस्.टी. महामंडळ आदि महामंडल पूरे डूब गए हैं । इन सभी महामंडलों की संचित हानि इतनी है कि यदि उनकी सारी संपत्ति बेच दी जाए, तब भी यह हानि भरपाई नहीं हो सकती ।

संपादकीय भूमिका 

  • सरकारी मंडलों की हानि के लिए जो लोग उत्तरदायी हैं, उनके वेतन में से ये हानि भरपाई क्यों न की जाए ? स्‍वयं की जेब से धन जाता नहीं, इसीलिए सरकारी उद्योगों की हानि हुई है, तब भी सरकारी अधिकारियों को इस विषय में कुछ नहीं लगता !
  • पद प्राप्त होने पर स्‍वयं के उद्योगों को मजबूत बनानेवाले जनप्रतिनिधि, सरकारी उद्योगों के विषय में उदासीन होते हैं, यह ध्यान में रखें !
  • ‘सरकारी महामंडल अर्थात राजनीतिक असंतुष्‍टों को लाभ देने की सुविधा है’, ऐसा आरोप निरंतर लगाया जाता है । इस कारण भी महामंडलों को हानि होती होगी, ऐसा जनता को लग रहा है !