सनातन संस्था द्वारा आयोजित विशेष कार्यक्रम ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन या छिपा अर्बन नक्सलवाद ‘ !
पुणे (महाराष्ट्र) – वामपंथी तथा जिहादी वर्तमान मानवीय व्यवस्था को नष्ट कर नई व्यवस्था बनाना चाहते हैं। अभी तक वे कुछ नया नहीं कर पाए हैं । उन्होंने जो व्यवस्था बनाई है, वह केवल अराजकता एवं विनाश लेकर आई है।’ कम्युनिस्टों का आगे का संघर्ष सांस्कृतिक आधार पर है। भारत की संस्कृति ५ व्यवस्थाओं परिवार व्यवस्था, धर्म व्यवस्था, देशभक्ति, शिक्षा व्यवस्था एवं लोकतंत्र पर आधारित है। अतः वे इन ५ प्रणालियों को नष्ट करना चाहते हैं। सबसे पहले वे परिवार व्यवस्था को नष्ट करना चाहते हैं। इन सबसे लड़ना बहुत कठिन है । चूँकि यह संकट हमारे धर्म, हमारे घर पर आ गया है, अतः हमें इन शक्तियों से लड़ना होगा,ऐसा प्रतिपादन ‘असत्यमेव जयते’ पुस्तक के लेखक श्री अभिजित जोग ने किया ।
१० अगस्त को सनातन संस्था ने ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन या छुपा अर्बन नक्सलवाद’ विषय पर संवाद का आयोजन किया! उन्होंने पुणे के तिलकवाड़ा स्थित ‘लोकमान्य भवन’ में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में मार्गदर्शन देते हुए उपर्युक्त विषय पर चर्चा की । इस समय सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने भी दर्शकों का मार्गदर्शन किया! इस अवसर पर श्री. अभिजीत जोग को पूना गेस्ट हाउस’ के निदेशक तथा ‘पुणे होटल एसोसिएशन’ के अध्यक्ष श्री किशोर सरपोतदार द्वारा सम्मानित किया गया, जबकि श्री.चेतन राजहंस का सत्कार दत्त मंदिर के ट्रस्टी अधिवक्ता श्री. दत्तात्रय देवले ने किया ।
श्री अभिजीत जोग ने आगे कहा, “‘डीप स्टेट’, (‘डीप स्टेट’ सरकारी अधिकारियों और निजी संगठनों के गुप्त नेटवर्क को संदर्भित करता है जो किसी के प्रति उत्तरदायी नही रहते है तथा सरकारी नीति को प्रभावित करते हैं।) साम्यवाद, जिहादी इस्लामवाद के गठबंधन कार्यरत है और उनके प्रतिनिधि बनके अर्बन नक्सली काम कर रहे हैं । इन सबका उच्च वर्ग के अमीर लोगों के बीच बहुत बड़ा ‘नेटवर्क’ है! कुछ लेखक, पत्रकार एवं अन्य हैं, कुछ मुखपत्र के रूप में कार्य करते हैं। वे सामाजिक न्याय, पर्यावरण की रक्षा, समानता की लड़ाई की आड़ में काम करते हैं। हमें इन मुखौटों का असली चेहरा समाज के सामने लाना होगा।
‘लेफ्ट इकोसिस्टीम ‘ अलग-अलग मुखौटों में काम करता है! – चेतन राजहंस, प्रवक्ता, सनातन संस्था
‘लेफ्ट इको सिस्टीम ‘ कई मानवीय मुखौटों के तहत काम करता है। जैसे अंधविश्वासों का अंत, महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली ‘नारीवादी’, नास्तिक, नक्सली आदि तथा इनमें विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, अभिनेता-अभिनेत्रियाँ, संपादक-पत्रकार सम्मिलित हैं। ये सभी हिन्दू संस्थाओं के विरोध मे काम करते हैं और विभिन्न मीडिया, किताबों और तथाकथित आंदोलनों के माध्यम से ‘नैरेटिव’ सेट करते हैं। ये शहरी नक्सली लगातार समाज के सामने झूठ परोसते हैं। एक न्यूज चैनल को साक्षात्कार देते हुए दाभोलकर परिवार ने कहा कि हम मृत्य की शिक्षा के विरोध मे हैं। हम मानवतावादी है! इसके तुरंत बाद १४ अगस्त को उसी दाभोलकर परिवार ने हाई कोर्ट से अपील की कि जिन लोगों को दंड मिला है उन्हें फांसी दी जाए! इससे पता चलता है कि वे कैसे झूठ बोलते है ।
डॉ दाभोलकर के शव के कपड़ों में एक विदेशी ‘सिम कार्ड’ मिला था। जांच में पता चला कि इसको लेकर बातचीत हुई थी । यदि आप पारदर्शी हैं तो विदेश में लोगों से संवाद करने के लिए अलग ‘सिम कार्ड’ रखने की क्या आवश्यकता थी ? इसके बाद दाभोलकर परिवार ने एक न्यूज चैनल पर हंसते हुए कहा, ‘आजकल हर कोई विदेश का सिम कार्ड रखता है।’ वे दाभोलकर के गलत कामों को सही ठहराकर उन्हें एक आशा की किरण देने का प्रयास करते हैं।