संगीत नाटक वस्त्रहरण के विरोध में हिन्दू जनजागृति समिति ने पुलिस में प्रविष्ट की आपत्ति !
मुंबई – महाभारत के पांडव, जिन्हें आज्ञाकारिता, बहादुरी, भक्ति, धार्मिकता, सच्चाई आदि जैसे कई गुणों के लिए भारतीय समाज द्वारा आदर्श माना गया है, उनको संगीत नाटक वस्त्रहरण मे विकृत दिखाकर उनका अनादर किया गया है । भारतीय सिनेमा, रंगमंच, तमाशा, कीर्तन, कहानी आदि सभी क्षेत्रों में महाभारत का उल्लेख करते हुए पांडवों का आदर्श भारतीय समाज के समक्ष रखा गया है। कला संस्कृति को आगे बढ़ाती है; परंतु ‘संगीत नाटक वस्त्रहरण के माध्यम से संस्कृति को ही विकृत कर दिया गया है। इसलिए, हिन्दू जनजागृति समिति ने १७ अगस्त को नवीन मुंबई के वाशी पुलिस स्टेशन में प्रविष्ट एक आपत्ति में संगीत नाटक वस्त्रहरण पर स्थायी प्रतिबंध लगाने की मांग की। इस समय हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. वसंत सनस, सनातन संस्था के श्री. विजय भोर सहित अन्य साधक उपस्थित थे ।
१५ अगस्त को शाम ४: ३० बजे मुंबई के विलेपार्ले स्थित दीनानाथ मंगेशकर थिएटर में ‘संगीत नाटक वस्त्रहरण का सादर प्रदर्शन हुआ । इसके अलावा मुंबई में कई जगहों पर इस नाटक के प्रदर्शन सादर होने वाले है । कोंकण में नमन मंडल या नाट्य मंडलियाँ दशावतार का प्रदर्शन करती हैं। इसी प्रकार मंडल संगीत नाटक वस्त्रहरण’ में जानबूझकर पांडवों का उपहास किया गया है। समिति ने एक वक्तव्य में कहा कि समाज में अनैतिकता पहले से ही बढ़ रही है, ऐसे मे हमारी संस्कृति में आदर्श व्यक्तित्वों का उपहास होगा, तो वो नैतिक पतन में योगदान देगा।
संगीत नाटक वस्त्रहरण में आपत्तिजनक प्रसंग !
अर्जुन – अर्जुन की भूमिका निभाने वाले पात्र को नशे में अश्लील क्रिया करते हुए दिखाया गया है। अर्जुन को भीम को लात मारते, धड़ाम से मंच पर प्रवेश करते, तथा मद्यपान करके मंच पर गिरते हुए दिखाया गया है।
विदुर – महाभारत में विदुर को एक बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। यहां तक कि हस्तिनापुर के सम्राट तथा स्वयं भीष्म भी समय-समय पर विदुर से परामर्श लेते रहते थे। विदुर की श्रीकृष्ण भक्ति उच्च कोटि की थी। नाटक में विदुर को सिगरेट पीते हुए मंच पर आते हुए दिखाया गया है और विदुर तथा युधिष्ठिर को नाटक की महिला के साथ मंच पर नृत्य करते हुए दिखाया गया है।
भीष्म – महाभारत में पितामह भीष्म एक बुजुर्ग एवं बुद्धिमान व्यक्ति हैं, जिन्हें भगवान कृष्ण भी सम्मान देते हैं। भारत के शक्तिशाली पुरुषों में अग्रणी भीष्म को मंच पर बेहद अश्लील गानों पर नृत्य करते हुए तथा मंच पर अश्लील क्रिया करते हुए दिखाया गया है।
युधिष्ठिर – पांडवों में सबसे बड़े तथा सबसे सच्चे युधिष्ठिर को जैसे कुत्ते को बुलाते है, वैसा विदुर उनको मंच पर बुला रहे है, ऐसा दिखाया गया है। शकुनि मामा युधिष्ठिर को गाली देते है |
द्रौपदी – द्रौपदी को अपनी साड़ी की एक परत खींचकर कौरवों और पांडवों से उसे निर्वस्त्र करने के लिए कहते हुए तथा विदुर एवं युधिष्ठिर के सामने एक बेहद अश्लील गाने पर नृत्य करते हुए भी दिखाया गया है।
अन्य आपत्तिजनक घटनाए !
कौरवों, पांडवों और द्रौपदी को हिन्दी फिल्मी गानों पर नृत्य करते हुए दिखाया गया है। इंद्रदेव को ‘कामाठापुर का देवता’ कहा गया है। पाण्डवों के मुख में गाली है। ग्राम प्रधान नाटक देखने आता है। भगवान गणेश को ‘सार्वजनिक गणेश सोते हैं’ कहकर उनका उपहास उडाया गया है।
कानून का कोई भय न होने के कारण, कई लोग इस तरह देवताओं का उपहास उड़ाने का साहस करते हैं। ‘संगीत नाटक वस्त्रहरण में पांडवों के विकृत चित्रण के दृश्यों में हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के साथ ही साथ संस्कृति का भी अपमान किया गया है। इसलिए, हिन्दू जनजागृति समिति ने मांग की है कि सरकार इस नाटक पर तुरंत प्रतिबंध लगाए और हिन्दू धर्म, धर्मग्रंथों, देवताओं, संतों एवं देशभक्तों का अपमान करने वालों के विरोध मे कठोर कार्यवाही करे।
संपादकीय भूमिकाचूंकि हिंदू धर्माभिमानशून्य हैं, अतः जो भी चाहता है वह हिन्दुओं के धार्मिक कृत्यों का इस तरह से उपहास करता है। हिन्दू इसका विरोध करने के स्थान पर ऐसे नाटक देखते हैं तथा हंस-हंसकर इसकी सराहना करते हैं, यह उनके लिए अत्यधिक लज्जास्पद है ! ऐसी स्थिति में क्या आपातकाल के समय भगवान उनकी रक्षा करेंगे ? इस्लाम या ईसाई धर्म के धार्मिक कृत्यों के सम्बन्ध में इस प्रकार का घृणित नाटक करने का साहस कोई नहीं कर सकता। इसलिए जागृत हिन्दुओं को तब तक आवाज उठानी चाहिए जब तक ऐसे नाटक बंद न हो जाएं तथा साथ ही साथ इसके आयोजक हिन्दू-द्वेषियों को बंदी भी बनाया जाए ! |