NIA Court On NGOs Involvement : कासगंज (उत्तर प्रदेश) में हुई हिंसा में गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की क्या रुचि है ?

  • राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) की एक स्पेशल कोर्ट ने धर्मांध मुसलमान आरोपियों को भारतीय तथा विदेशी गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) द्वारा दी जाने वाली कानूनी सहायता पर प्रश्न किए ।

  • गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को प्राप्त होने वाले धन के स्रोत और उद्देश्य जानकर, उनपर उपाय निकालने के आदेश दिए गए हैं !

गणतंत्र दिवस पर आयोजित तिरंगा यात्रा के समय धर्मांध मुसलमानों द्वारा किए गए आक्रमण में चंदन गुप्ता नामक युवक की मृत्यु

लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) – उत्तर प्रदेश के कासगंज में २६ जनवरी २०१८ को गणतंत्र दिवस पर आयोजित तिरंगा यात्रा के समय धर्मांध मुसलमानों द्वारा किए गए आक्रमण में चंदन गुप्ता नामक युवक की मृत्यु हो गई थी । इसके बाद यहां हिंसा भड़क उठी। हाल ही में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) की एक स्पेशल कोर्ट ने इस प्रकरण में २८ मुसलमानों को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास का दंड सुनाया ।

इस बार न्यायालय ने इस प्रकरण में हुई हिंसा को ‘पूर्व नियोजित षड्यंत्र’ करार दिया तथा राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में सम्मिलित आरोपियों को कानूनी सहायता प्रदान करने वाले विभिन्न भारतीय और विदेशी एनजीओ (गैर-सरकारी संगठनों) के बढ़ते हस्तक्षेप पर चिंता व्यक्त की ।

उन्होंने पूछा, “इस हिंसा में उनका क्या स्वार्थ है?” न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, “इस निर्णय की एक प्रति बार काउंसिल ऑफ इंडिया और केंद्रीय गृह सचिव को भेजें जिससे पता लगाया जा सके कि इन एनजीओ को निधि कहां से मिल रही है और उनका सामूहिक उद्देश्य क्या है तथा न्यायिक प्रक्रिया में उनके अनावश्यक हस्तक्षेप को रोकने के लिए प्रभावी उपाय किए जा सकें ।” विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने अपने १३० पृष्ठ के आदेश में यह टिप्पणी की है ।

न्यायालय द्वारा दर्ज की गई टिप्पणी

  1. एनजीओ की हिंसाचार के प्रति प्रवृत्ति संकटदायक है !

    एनजीओ की यह प्रवृत्ति न्यायपालिका के लिए अत्याधिक संकटदायक तथा संकीर्ण विचारों को बढ़ावा दे रही है । न्यायपालिका से जुड़े सभी घटकों को इस पर विचार करना चाहिए ।

  2. दंगाइयों को कड़ा संदेश देने के लिए कठोर दंड की आवश्यकता !

    कासगंज हिंसा एक पूर्वनियोजित कृत्य है । स्थानीय, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे कृत्य करने वाले अपराधियों एवं दंगाइयों को कड़ा संदेश देने के लिए आरोपियों को कठोर दंड देना उचित है ।

भारतीय तथा विदेशी एनजीओ के नाम जिन्हें करना पड़ेगा जांच का सामना !

सिटीजन्स ऑफ जस्टिस एंड पीस (तिस्ता सीतलवाड़ इस संगठन की सचिव हैं), पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज, रेहान मंच और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट, भारत में एनजीओ और अलायंस फॉर जस्टिस एंड अकाउंटेबिलिटी (न्यूयॉर्क) न्यायालय ने संगठनों को ‘इंडियन अमेरिकन’ नाम दिया है । मुस्लिम काउंसिल (वाशिंगटन डीसी)’ और ‘साउथ एशिया सॉलिडेरिटी ग्रुप (लंदन)’ सम्मिलित हैं ।

क्या प्रकरण था ?

२६ जनवरी २०१८ को चंदन गुप्ता ने गणतंत्र दिवस मनाने के लिए कासगंज में तिरंगा यात्रा का नेतृत्व किया । जैसे ही जुलूस राजकीय कन्या महाविद्यालय के प्रवेश द्वार पर पहुंचा, सलीम, वसीम और नसीम सहित कई हथियारबंद आरोपियों ने सड़क को अवरुद्ध कर दिया । उन्होंने तिरंगे को छीनकर उसका अपमान किया तथा जुलूस में सम्मिलित लोगों से ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ कहने को कहा । जब चंदन गुप्ता ने इसका विरोध किया तो मुसलमानों ने पथराव और गोलीबारी की । सलीम ने चंदन की गोली मारकर हत्या कर दी ।

संपादकीय भूमिका

  • ऐसे संगठन जो देशद्रोही और हिन्दू विरोधी आरोपियों की सहायता करते हैं, उन्हें देश में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए और उनके पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को कारागृह में डालना चाहिए !
  • यह घटना दर्शाती है कि भारत को ऐसे संस्थानों के संबंध में कठोर कानून बनाने की आवश्यकता है !