(कुर्बानी अर्थात इस्लामी पद्धति से पशु की बलि चढाना)
मुंबई (महाराष्ट्र) – पुरातत्व एवं वस्तुसंग्रहालय उपसंचालकों ने विशाल गढ पर पशु बलि का आदेश जारी किया है तथा इसके द्वारा वहां कोई भी प्रकार के पशु की बलि देना प्रतिबंधित किया है । इस आदेश के विरुद्ध हजरत पीर मलिक रेहान मीर साहेब दरगाह के प्रतिनिधिमंडल ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट कर बकरी ईद की पृष्ठभूमि पर पशुबलि (कुर्बानी) देने की अनुमति दी जाए, ऐसी मांग की थी । तब न्यायमूर्ति बी.पी. कुलाबावाला एवं न्यायमूर्ति एफ.पी. पुनावाला के खंडपीठ ने विशाल गढ पर पारंपरिक पद्धति से १७ से २१ जून की समयावधि में पशुबलि चढाने की अनुमति दी है । दरगाह की ओर से अधिवक्ता सतीश तळेकर ने पक्ष रखा था ।
High Court permits animal slaughter on Vishal Gadh on the eve of Bakri Eid.
— If religious sentiments of the Mu$|!m$ are considered, who will consider the religious sentiments of the fort admirers? – Sunil Ghanwat, Spokesperson, Vishalgadh Rakshan ani Atikraman Kruti Samiti… pic.twitter.com/4KOCVxKoVl
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) June 15, 2024
१. प्राचीन काल में मुर्गियों, भेड, बकरियों की बलि दे कर निर्धनों को अन्नदान कराने के उद्देश्य से आरंभ की गई प्रथा धार्मिक प्रथा बन गई । दायीं विचारधारा की संगठनाएं, साथ ही सत्तारूढों के लाभ में यह प्रथा प्रतिबंधित करने का आदेश घोषित किया गया, ऐसा दावा शिकायतकर्ता की ओर से न्यायालय में किया गया ।
२. विशाल गढ हिन्दुओं के लिए आस्था का केंद्र होने से यहां होनेवाले अवैध पशुबलि के विरुद्ध हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा अनेक बार आवाज उठाई गई थी । यहां चढाई जानेवाली पशुबलि के कारण विशाल गढ पर रक्त, मांस, हड्डियां फैल जाते हैं एवं इस कारण गढ की पवित्रता भंग हो जाती है । इसलिए पशुबलि न चढाई जाए, ऐसी मांग अलग अलग हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा की गई थी ।
यदि मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं का विचार किया जाए, तो गढप्रेमियों की धार्मिक भावनाओं का विचार कौन करेगा ? – श्री. सुनील घनवट, प्रवक्ता, विशाल गढ रक्षा एवं अतिक्रमण विरोधी कृति समिति
पशुहत्या एवं पशुबलि के कारण गढ अपवित्र बन जाता है । इसी कारण से हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के आंदोलन के पश्चात सरकार ने राज्य के गढ-दुर्गों पर पशुहत्या प्रतिबंध का निर्णय लिया था । बकरी ईद की पृष्ठभूमि पर उच्च न्यायालय ने दिया हुआ निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है । यदि मुस्लिमों की धार्मिक भावनाओं का मूल्य है तथा इस कारण यदि बकरी ईद के समयावधि में अनुमति मिलती है, तो हिन्दू अनेक यात्राओं के समय जो पशुबलि चढाते हैं, उसका प्रतिबंध क्यों ? साथ ही जिस प्रकार मुस्लिमों की भावनाएं हैं, उसी प्रकार गढप्रेमियों की जो भावनाएं हैं, उनका क्या ? उनका विचार कब किया जाएगा ? इस कारण इस संदर्भ में राज्यसरकार को तुरंत इसकी ओर ध्यान दे कर हिन्दुत्वनिष्ठ एवं गढप्रेमियों की भावनाओं का विचार कर उचित कदम उठाने चाहिए !
न्यायालय का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण ! – हर्षल सुर्वे, शिवदुर्ग आंदोलन समिति
इस संदर्भ में विशाल गढ पर जब दोनों पक्षों की बैठक हुई थी, तब सामने आया कि वहां पशुबलि के नाम पर मूर्गों की भी कत्ल की जा रही थी । तब उसके लिए किसी भी प्रकार की सरकारी अनुमति नहीं थी । धार्मिक कारण देते हुए सीधे ही मटन विक्रय की दुकानें भी यहां लगाई गई थी । तब सभी गढप्रेमियों ने इसका विरोध किया था । विशाल गढ के अतिक्रमण के विषय में भी उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट है तथा वह अभियोग धीमी गति से चल रहा है । इस कारण न्यायालय का यह निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है तथा इस संदर्भ में गढप्रेमियों के क्रोधी भावनाओं की ओर सरकार को ध्यान देना होगा !