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भोपाल (मध्यप्रदेश) – ‘राष्ट्रीय बाल सुरक्षा अधिकार आयोग’ के प्रमुख प्रियांक कानुनगो ने मध्य प्रदेश सरकार को मदरसों में सीखनेवाले हिन्दू छात्रों को सामान्य विद्यालयों में भेजने का आवाहन किया। यहां पर आयोजित एक बैठक में वे बोल रहे थे। प्रियांक कानुनगो ने कहा कि मध्य प्रदेश के पंजीकृत १ सहस्र ७५५ मदरसों में ९ सहस्र ४१७ हिन्दू बच्चे सीख रहे हैं और इन संस्थाओं में ‘शिक्षा अधिकार कानून’ के अंतर्गत आवश्यक मूलभूत विकास का भी अभाव है। जो मदरसे पंजीकृत नहीं हैं, ऐसे मदरसों में सीखनेवाले मुसलमान बच्चों को भी सामान्य विद्यालयों में भेजा जाए। मैं मध्य प्रदेश सरकार से विनती करता हूं कि मदरसों में सीखनेवाले हिन्दू बच्चों को बाहर निकाला जाए।
Send Hindu children studying in M@dr@$$@$ to normal schools. – National Commission for Protection of Child Rights (@NCPCR_ ) appeals to the Madhya Pradesh Government
🛑More than 9000 Hindu children are studying in M@dr@$$@$ across state
📌 The board advises Mu$|!m children to… pic.twitter.com/Cn32zMC9Fa
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) June 15, 2024
मदरसा अध्यापकों के पास बी.एड्. की पदवी भी नहीं !
बैठक के समय कानुनगो ने कहा कि जिस कानून के अंतर्गत मध्य प्रदेश मदरसा बोर्ड अस्तित्व में आया, उस कानून ने मदरसों की परिभाषा की है और उसमें स्पष्टरूप से कहा गया है कि, ‘इन मदरसों में इस्लामी धार्मिक शिक्षा दी जाए।’ शिक्षा अधिकार कानून की धारा १ मदरसों को कानून से दूर रखती है। कानुनगो ने दावा किया कि आयोग के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार इन मदरसों के अध्यापकों के पास बी.एड्. पदवी नहीं है तथा अध्यापकों के लिए आवश्यक पात्रता परीक्षा भी उन्होंने नहीं दी है। इन मदरसों में शिक्षा अधिकार कानून के अनुसार मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं।
गैर पंजीकृत मदरसों के मुसलमान बच्चों को भी सामान्य विद्यालयों में भेजने की मांग
प्रियांक कानुनगो ने बताया कि मदरसों में सुरक्षाव्यवस्था अच्छी नहीं है। मैं मध्य प्रदेश सरकार से विनती करता हूं कि इसमें तुरंत सुधार किया जाए। शिक्षा अधिकार कानून के अंतर्गत विद्यालयों की स्थापना करना सरकार का काम है और मदरसा बोर्ड को धनराशि न देना, निर्धन बच्चों को उनकी शिक्षा के अधिकार से वंचित रखने समान है। जो मदरसे पंजीकृत नहीं है, ऐसे मदरसों में सीखनेवाले मुसलमान बच्चों को भी तुरंत सामान्य विद्यालयों में भेजा जाए।
संपादकीय भूमिका
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