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मुंबई (महाराष्ट्र) – मद्यालय अथवा बार को दिए देवता, राष्ट्रपुरुष और गढ-किलों के नाम हटाने के लिए महाराष्ट्र शासन ने ४ जून २०१९ को आदेश दिया था । इसपर कार्यवाही करने की अपेक्षा मुंबई उत्पाद शुल्क विभाग ने बारमालिकों की ओर से शासन के आदेश में सुधार करने के लिए सरकार से पत्राचार किया है ।
हिन्दू जनजागृति समिति के सुराज्य अभियान के समन्वयक श्री. अभिषेक मुरुकटे ने सूचना अधिकार से प्राप्त की जानकारी से मुंबई उत्पाद शुल्क विभाग का शासन विरोधी प्रकार उजागर हुआ है । मुंबई उत्पाद शुल्क विभाग की बार के प्रति इस अनुकूल नीति के विरूद्ध हिन्दू जनजागृति समिति ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्य उत्पाद शुल्क विभाग के आयुक्त इन सभी के पास लिखित परिवाद किया है । ‘जनता की धार्मिक भावनाओं से संबंधित शासन के इस आदेश पर कार्यवाही करने की अपेक्षा मुंबई जिला उत्पाद शुल्क विभाग ने शासन आदेश में परिवर्तन करने के लिए सरकार से मांग की है’, ऐसा हिन्दू जनजागृति समिति ने परिवाद में कहा है ।
प्रेस विज्ञप्ती !
5 वर्ष बाद भी शासनादेश का पालन नहीं; शराब की दुकानों व ‘बार’ को देवता-राष्ट्रपुरुषों के नाम !
आस्थाकेंद्रों का अनादर रोकने की अपेक्षा शासकीय अधिकारियों द्वारा बार मालिकों का बचाव; अधिकारियों पर कार्रवाई करें ! – हिन्दू जनजागृति समिति की मांग
अनेक वर्षाें के… pic.twitter.com/MZfZnQS4Tf
— HinduJagrutiOrg (@HinduJagrutiOrg) June 7, 2024
१. मुंबई उत्पाद शुल्क विभाग के अधीक्षक को प्रत्यक्ष मिलकर हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. सतीश सोनार सहित अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ सर्वश्री रविंदर दासारी, संदीप तुळसकर, सुशील भुजबळ, विलास निकम और मनीष सैनी ने इस विषयमें लिखित परिवाद किया ।
२. राज्य में मद्यालयों तथा बार को दिए देवता, राष्ट्रपुरुष एवं गढ-किलों के नाम हटाए जाएं, इसलिए हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से पीछले कुछ वर्षों से सरकार से मांग की जा रही थी । महाराष्ट्र के कुछ विधायकों ने सरकार से की यह मांग लगातार जारी रखी, तो कुछ विधायकों ने इस विषय पर सरकार से पत्राचार भी किया ।
मुंबई सहित उपनगरों के २०८ मद्यालय और बार को देवताओं के नाम !
मुंबई और उपगरों के ३१८ मद्यालय और बार में से २०८, अर्थात ६५ प्रतिशत मद्यालय और बार को देवताओं के नाम हैं । सूचना अधिकारा के अंतर्गत यह जानकारी हिन्दू जनजागृति समिति को प्राप्त हुई है । इसमें मुंबई और मुंबई उपनगर के ‘श्रीकृष्ण बार अँड रेस्टॉरंट’, ‘दुर्गा रेस्टॉरंट अँड बार’, ‘सिद्धिविनायक बार अँड रेस्टॉरंट’, ‘गणेश बियर शॉपी’, ‘महालक्ष्मी वाईन्स’ आदि देवताओं के नाम समाविष्ट हैं । साथही बार-मद्यालयों को संत और ऐतिहासिक गढ-किलों के भी नाम हैं ।
मुंबई उत्पाद शुल्क विभाग द्वारा बार मालिकों का हास्यास्पद समर्थन !
‘असोसिएशन ऑफ प्रोग्रेसिव्ह रिटेल लिकर विंडर्स’, ‘बाँबे वाईन होलसेल असोसिएशन’ और ‘इंडियन हॉटेल अँड रेस्टॉरंट्स असोसिएशन’ ने राज्य उत्पाद शुल्क विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि मद्यालयों को दिए नाम जानबूझकर अथवा धार्मिक भावना आहत करने के उद्देश्य से रखे नहीं हैं, अपितु उनके परिवार के प्रियजन, सदस्य, वंशज, प्रेरणास्थान, पिताजी, वंशज इत्यादि के नाम की स्मृति के लिए रखे गए हैं ।
समय का कारण देकर कार्यवाही की टालमटोल !
‘बार-मद्यालयों की अनुज्ञप्ति के लिए अनेक प्रतिष्ठान, आयकर विभाग, मुंबई महानगरपालिका, अन्न एवं औषध प्रशासन, अधिकोष, ट्रेडमार्क कानून के अंतर्गत पंजीकृत विविध प्राधिकरणों के साथ पत्राचार करना होता है । इसलिए इनके नामों में परिवर्तन करना इतनी अल्प कालावधि में करना संभव नहीं है । इसलिए शासन का आदेश निरस्त कर भविष्य में नाम देते समय आवश्यक सुधार किया जाए, ऐसी सुविधाजनक भूमिका मुंबई उत्पाद शुल्क विभाग ने अपनाई है’, ऐसा हिन्दू जनजागृति समिति ने परिवाद में कहा है ।
बार मालिकों का पक्ष नहीं; किंतु हिन्दुओं की भावनाओं का आदर किया जाए ! – सुनील घनवट, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ राज्य संघटक, हिन्दू जनजागृति समिति‘समय लगेगा, इसलिए कार्यवाही नहीं कर पाएंगे’, उत्पाद शुल्क विभाग की यह नीति गलत है । कोई कुछ भी कहे, ‘सिद्धिविनायक’, ‘श्री दुर्गादेवी’, ‘श्रीकृष्ण’, ‘श्रीराम’ हिन्दुओं के देवताओं के ही नाम हैं और इन देवताओं के नाम से ही व्यक्तियों के नाम होते हैं ।
समाज में ये नाम संबंधित व्यक्ति के नाम समझे नहीं जाते, अपितु हिन्दुओं के देवताओं के नाम समझे जाते हैं । इसलिए उत्पाद शुल्क विभाग असोसिएशन द्वारा दिए पत्रों का पक्ष न लेकर शासन के आदेश पर कार्यवाही कर हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं का आदर किया जाए । |