बच्चों को साधना न सिखाने का परिणाम !
‘बुढापे में बच्चे ध्यान नहीं देते’, ऐसा कहनेवाले वृद्धजनों, आपने बच्चों पर साधना के संस्कार नहीं किए, इसका यह फल है । इसके लिए बच्चों के साथ आप भी उत्तरदायी हैं !’
‘बुढापे में बच्चे ध्यान नहीं देते’, ऐसा कहनेवाले वृद्धजनों, आपने बच्चों पर साधना के संस्कार नहीं किए, इसका यह फल है । इसके लिए बच्चों के साथ आप भी उत्तरदायी हैं !’
‘चूक होने पर सामान्य व्यक्ति भी क्षमा मांगता है; परंतु असंख्य चूकें करनेवाले पुलिस, प्रशासन के व्यक्ति तथा नेता क्या कभी एक बार भी क्षमा मांगते हैं ?’
‘जिन माता पिता ने जन्म दिया और छोटे से बडा किया, उनके बुढापे में अनेक कृतघ्न युवक- युवतियां उनका ध्यान नहीं रखते । माता-पिता का ध्यान न रखनेवाले क्या कभी भगवान के प्रिय होंगे ?’
‘भारत के हिन्दुओं को ही नहीं, पूरे संसार की मानवजाति को हिन्दू धर्म का आधार प्रतीत होता है । इसलिए पूरे संसार के जिज्ञासु अध्यात्म सीखने के लिए भारत आते हैं ।
‘काम न करना, भ्रष्टाचार करना इत्यादि के अभ्यस्त हो चुके अधिकांश पुलिसकर्मी, सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारी इन्हें कोई भी निजी प्रतिष्ठान एक भी दिन नौकरी के लिए नहीं रखेगा !’
‘आदि शंकराचार्यजी ने भारत में सर्वत्र घूमकर हिन्दू धर्म के विरोधियों के साथ वाद-विवाद किया । उनसे जीतकर हिन्दू धर्म की पुनर्स्थापना की ।
‘कहां अर्थ और काम पर आधारित पश्चिमी संस्कृति, और कहां धर्म और मोक्ष पर आधारित हिन्दू संस्कृति ! हिन्दू पश्चिम का अंधानुकरण कर रहे हैं, इसलिए वे भी तीव्र गति से विनाश की ओर बढ रहे हैं !’
‘कोई ऐसा भी हो सकता है, जिनके विषय में सभी को घर जैसी आत्मीयता एवं आधार प्रतीत होता है तथा जो साधकों की व्यष्टि तथा समष्टि साधना की ही नहीं, पारिवारिक समस्याएं भी सुलझा सके, ऐसी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता । श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी इतनी अद्वितीय हैं !
‘ब्राह्मण एवं गैर-ब्राह्मण विवाद निर्माण करनेवालों ने हिन्दुओं में दूरियां निर्माण की । इस कारण आज हिन्दुओं एवं भारत दोनों की ही स्थिति विकट हो गई है । अतः दूरियां निर्माण करनेवाले राष्ट्र एवं धर्म विरोधी ही हैं !
‘बुद्धिप्रमाणवादियों को कभी विश्वबुद्धि से ज्ञान मिलता है क्या ?