श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी की आध्यात्मिक विशेषताओं का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण !

‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी हैं । उन्होंने गुरुकृपायोग अनुसार साधना कर अल्प काल में शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति साध्य की । उनकी जन्मकुंडली में विद्यमान आध्यात्मिक विशेषताओं का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण आगे दिया गया है ।

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ही सबकुछ करवा लेते हैं’, इस अटूट श्रद्धा से युक्त श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी !

‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी को गुरुकार्य तथा ‘साधकों की आध्यात्मिक उन्नति हो’, इसकी अखंड उत्कंठा रहती है । उनका साधकों को लगन से मार्गदर्शन कर तैयार करना तथा साधकों को साधना में स्थिर करना निरंतर चलता रहता है ।

अद्वितीय हिन्दू धर्म !

‘ईसाई धर्मांतरण के लिए प्रलोभन देते हैं, मुसलमान धमकाते हैं; परंतु हिन्दू धर्म के ज्ञान के कारण अन्य पंथी हिन्दू धर्म की ओर स्वयं आकर्षित होते हैं ।

अभिव्यक्ति स्वतंत्रता क्या नहीं है, यह समझें !

‘अभिव्यक्ति स्वतंत्रता किसी दूसरे को आहत करना अथवा धर्म के विरुद्ध बोलने की स्वतंत्रता नहीं है’, यह भी स्वतंत्रता से लेकर विगत ७६ वर्ष भारत पर राज्य करनेवाले किसी भी राजनीतिक दल को समझ में नहीं आया !’

चुनाव में खडे रहनेवाले प्रत्याशियों की सोच !

‘राष्ट्र एवं धर्म के लिए कुछ कर पाएं, इसके लिए कोई चुनाव नहीं लडता । अधिकांश लोग सम्मान एवं संपत्ति पाने के लिए चुनाव में लडते हैं !’

बुद्धिप्रमाणवादियों का अध्यात्म के विषय में हास्यास्पद अहंकार !

बुद्धिप्रमाणवादी चिकित्सा, अभियंत्रिकी इत्यादि बौद्धिक स्तर के विषयों पर आधुनिक वैद्य (डॉक्टर), अभियंता इत्यादि से वाद-विवाद नहीं करते; परंतु बुद्धि के परे के और जिसमें उनको स्वयं शून्य ज्ञान है, ऐसे अध्यात्मशास्त्र के विषय में ‘मैं सर्वज्ञ हूं’, इस विचार से संतों पर टीका-टिप्पणी करते हैं !’

हिन्दू राष्ट्र के लिए प्रयासों की पराकाष्ठा करें !

‘नष्ट करना सरल होता है; परंतु निर्माण करना कठिन । तब भी हमें अपने प्रयासों की पराकाष्ठा कर साधक एवं हिन्दू राष्ट्र निर्माण करना है ।’

भक्ति का महत्व !

‘पृथ्वी के काम भी बिना किसी के परिचय के नहीं होते, तो प्रारब्ध अनिष्ट शक्ति की पीडा आदि समस्याएं भगवान के परिचय के बिना भगवान दूर करेंगे क्या ?’

संतों का महत्त्व !

‘कहां पूर्णतः अपनी देख-रेख में रहनेवाले अपने एक या दो बच्चों पर भी सुसंस्कार करने में असक्षम आजकल के अभिभावक और कहां अपने सहस्रों भक्तों पर साधना का संस्कार करनेवाले संत एवं गुरु !’

सच्चा मेकअप !

‘बाहरी मेकअप से अन्य को आकर्षित किया जा सकता है, जबकि भीतरी मेकअप अर्थात स्वभावदोष एवं अहम् का निर्मूलन कर ईश्वर को आकर्षित किया जा सकता है ।’