#Diwali : ‘दीपावली’

वसुबारस अर्थात् गोवत्स द्वादशी दीपावलीके आरंभमें आती है । यह गोमाताका सवत्स अर्थात् उसके बछडेके साथ पूजन करनेका दिन है । शक संवत अनुसार आश्विन कृष्ण द्वादशी तथा विक्रम संवत अनुसार कार्तिक कृष्ण द्वादशी गोवत्स द्वादशीके नामसे जानी जाती है ।

लक्ष्मीपूजन

सामान्यतः अमावस्या अशुभ मानी जाती है; यह नियम इस अमावस्या पर लागू नहीं होता है । यह दिन शुभ माना जाता है; परंतु समस्त कार्यों के लिए नहीं । अतः इसे शुभ कहने की अपेक्षा आनंद का दिन, प्रसन्नता का दिन कहना उचित होगा ।

बलि प्रतिपदा (दीपावली पडवा)

यह साढे तीन मुहूर्तों में से अर्द्ध मुहूर्त है । इसे ‘विक्रम संवत’ कालगणना के वर्षारंभ दिन के रूप में मनाया जाता है ।

तुलसी विवाह

श्रीविष्णु (बालकृष्ण की मूर्ति) का तुलसी से विवाह करने की यह विधि है । इस हेतु, विवाह के पहले दिन तुलसी वृंदावन को रंग लगाकर सुशोभित करते हैं । वृंदावन में गन्ना, गेंदे के पुष्प चढाते हैं एवं जड के पास इमली और आंवला रखते हैं ।

दीपावली का आनंद द्विगुणित करनेवाली सनातन की ग्रंथमाला : हिन्दू संस्कार एवं परंपरा

केवल सुंदर दिखनेवाली रंगोलियों की अपेक्षा देवताओं के तत्त्व आकृष्ट एवं प्रक्षेपित करनेवाली रंगोलियां लाभदायक होती हैं । देवताओं की उपासना हेतु तथा त्योहार, जन्मदिन आदि प्रसंगों में बनाई जानेवाली रंगोलियां इस लघुग्रंथ में प्रस्तुत हैं ।

उबटन लगाने की उचित पद्धति क्या है ?

उबटन रजोगुणी एवं तेजतत्त्व से संबंधित है, इसलिए उसे शरीर पर लगाते समय दक्षिणावर्त अर्थात घडी की सुइयों की दिशा में हाथों की उंगलियों के अग्रभाग का शरीर से स्पर्श करते हुए थोडा दबाव देकर लगाएं । प्रत्येक स्थान पर उबटन लगाने की पद्धति वहां की रिक्ति की कष्टदायक वायु की गति अनुसार दी है ।

भैयादूज (यमद्वितीया)

अपमृत्यु टालने हेतु धनत्रयोदशी, नरक चतुर्दशी एवं यमद्वितीया के दिन मृत्यु के देवता, ‘यमधर्म’ का पूजन करते हैं । भैयादूज ‘दृक सिद्धांत’ के अनुसार २६ अक्टूबर २०२२ को मनाया जाएगा । ‘इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने जाते हैं एवं उस दिन नरक में सड रहे जीवों को वह उस दिन के लिए मुक्त करते हैं ।’

छठ पूजा (३० अक्टूबर)

पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में इसे सबसे बडा त्योहार मानते हैं । इसमें गंगा स्नान का महत्त्व सबसे अधिक है । यह व्रत स्त्री एवं पुरुष दोनों करते हैं । यह चार दिवसीय ….

विजयादशमी के दिन करने योग्य कृत्य एवं उसका अध्यात्मशास्त्र !

दशहरे को सरस्वती तत्त्व के क्रियात्मक पूजन से जीव के व्यक्त भाव का अव्यक्त भाव में रूपांतर होकर जीवको स्थिरता में प्रवेश होने में सहायता मिलती है ।

कोजागरी पूर्णिमा

कोजागरी पूर्णिमा की रात को लक्ष्मी तथा इंद्र की पूजा की जाती है । कोजागरी पूर्णिमा की कथा इस प्रकार है कि बीच रात्रि में लक्ष्मी पृथ्वी पर आकर जो जागृत है, उसे धन, अनाज तथा समृद्धि प्रदान करती है । श्रीमद्भागवत के कथनानुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजमंडल में रासोत्सव मनाया था ।