हिन्दू संस्कृति के आधार पर कैलाश से कन्याकुमारी तक भारत को पुनः अखंड करने का संकल्प पारित !
हिन्दू संस्कृति के आधार पर पुनः भारत अखंड होगा । वेद भारतीय संस्कृति का मूल है तथा वेदों का मूल संस्कृति एवं संस्कृत है ।
हिन्दू संस्कृति के आधार पर पुनः भारत अखंड होगा । वेद भारतीय संस्कृति का मूल है तथा वेदों का मूल संस्कृति एवं संस्कृत है ।
श्री. पराशरजी ने कहा ‘हम सनातन के ग्रंथ देहली के प्रमुख मंदिरों में रखने का प्रयास करेंगे ।’
राज्यमंत्री श्री. रविंद्र जयसवालजी ने संपर्क के विषय सुनते ही तुरंत दो संच की मांग दी । ‘हलाल अर्थव्यवस्था भारत के लिए संकट कैसे है’, यह बताने पर उन्होंने यह विषय विधानसभा में उठाने का आश्वासन दिया ।
श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी ने पू. दीक्षितजी को पुष्पहार पहनाकर और भेंटवस्तु देकर उनका सम्मान किया, साथ ही जन्मदिन के निमित्त उनकी आरती भी उतारी ।
भारतीय संस्कृति का इस प्रकार पुनर्जीवित होना अभिनंदनीय है ! अब देश के अन्य चिकित्सालयों में भी ऐसा विभाग आरंभ होना चाहिए !
जनता को ऐसा लगता है कि न्यायालयों को इसी प्रकार तीव्रगति से कार्य करना चाहिए !
मुसलमानों के मतदान का अधिकार छीन लेने की भी मांग !
डॉ. इंद्रेश कुमार ने आगे कहा कि, “आज भारत सभी प्रकार से सक्षम है । भारत की शक्ति, क्षमता तथा कूटनीति, चीन के विरुद्ध किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए सक्षम है । डोकलम में चीन ने इसका अनुभव किया है ।”
ऐसे लोगों पर शीघ्रगति न्यायालय में अभियोग चलाकर उन्हें फांसी का ही दंड दिया जाना चाहिए !
इस प्रकार लडकियों के लापता होते हुए भी राज्य की पुलिस युद्धस्तर पर ऐसी घटनाओं को रोकने हेतु अथवा लापता लडकियों को खोजने हेतु प्रयास नहीं करते, यह लज्जाप्रद है !