‘अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ में सम्मिलित हुए मान्यवरों द्वारा रामनाथी आश्रम देखने पर दिए गए अभिमत !
यह आश्रम अर्थात आध्यात्मिक चेतना का विस्तार है और सामान्य लोगों के लिए कल्याणकारी एवं अडचनों का निराकरण करनेवाला केंद्र है ।
यह आश्रम अर्थात आध्यात्मिक चेतना का विस्तार है और सामान्य लोगों के लिए कल्याणकारी एवं अडचनों का निराकरण करनेवाला केंद्र है ।
वर्तमान सर्वदलीय शासक राष्ट्र को केवल स्थूल दृष्टि से एक राष्ट्र के रूप में देखते हैं; अत:वे केवल राष्ट्र के भौतिक विकास, जनता के लिए आधुनिक सुविधाएं आदि के अनुसार ही विचार करते हैं । चराचर में स्थित प्रत्येक वस्तु के अस्तित्व के पीछे स्थूल कारण सहित सूक्ष्म कारण भी होते हैं । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी राष्ट्र की ओर स्थूल दृष्टि के साथ-साथ सूक्ष्म दृष्टि से, अर्थात धर्म की दृष्टि से देखते हैं;क्योंकि धर्म राष्ट्र की आत्मा है ।
परात्पर गुरु डॉक्टरजी स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाउंडेशन संस्था के प्रेरणास्रोत हैं । पूरे विश्व में अध्यात्मप्रसार करने हेतु उन्होंने महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की स्थापना की है । इस विश्वविद्यालय की ओर से भारत के आध्यात्मिक शोधकेंद्र, गोवा में ५ दिनों की आध्यात्मिक कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं ।
गुरुकृपा से अब मकर संक्रांति के शुभमुहूर्त पर साधकों को कोरोना के सर्व नियमों का पालन कर पुन: प्रत्यक्ष धर्मप्रसार करने का सुवर्ण अवसर मिला है। वर्तमान काल आपातकाल समान है, तब भी भावी आपातकाल की तुलना में वह आपातकाल का संपतकाल समान है ।
‘‘संगीत की उत्पत्ति मंदिर से होने के कारण अपनी संगीत कला में ही अध्यात्म है । अनेक संत संगीत का आधार लेकर ही ईश्वरप्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर हुए हैं । भारतीय और पश्चिमी गायन, वादन, नृत्य आदि कलाआें में अब तक महर्षि अध्यात्म विश्वविद़्यालय ने ४०० से भी अधिक विविध प्रयोग किए हैं ।
परात्पर गुरु डॉक्टरजी ‘स्पिरिचुअल साइंस रिसर्च फाउंडेशन’ संस्था के प्रेरणास्रोत हैं । उन्होंने समूचे विश्व में अध्यात्म का प्रचार करने के लिए ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की स्थापना की है ।
ऐसा कहा जाता है कि कामदेव मदन का जन्म इसी दिन हुआ । दांपत्य-जीवन सुख से बीते, इस उद्देश्य से लोग रति-मदन की पूजा एवं प्रार्थना करते हैं ।
अहं खेत में उगनेवाले खरपतवार जैसा है, जिसे पूर्णतया नष्ट किए बिना ईश्वर कृपा की फसल नहीं उगती । इसलिए निरंतर इसकी कटाई करते रहना चाहिए । इसके साथ ही साथ ईश्वर के प्रति भाव होना भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है ।
परात्पर गुरु डॉक्टरजी ‘स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाउंडेशन’ संस्था के प्रेरणास्रोत हैं । पूरे विश्व में अध्यात्मप्रसार करने हेतु उन्होंने ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की स्थापना की है ।