साधना के कारण भारतीय और पश्चिमी संगीत का आध्यात्मिक स्तर पर विश्लेषण करना संभव !

– कु. तेजल पात्रीकर, संगीत समन्‍वयक, महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय

फोंडा (गोवा) – ‘‘संगीत की उत्‍पत्ति मंदिर से होने के कारण अपनी संगीत कला में ही अध्‍यात्‍म है । अनेक संत संगीत का आधार लेकर ही ईश्‍वरप्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर हुए हैं । भारतीय और पश्चिमी गायन, वादन, नृत्य आदि कलाआें में अब तक महर्षि अध्यात्‍म विश्वविद़्यालय ने ४०० से भी अधिक विविध प्रयोग किए हैं । विश्वविद़्यालय के माध्यम से भारतीय कलाआें का अध्ययन केवल वैज्ञानिक दृष्टि से ही नहीं अपितु सूक्ष्म स्तर पर भी किया गया । साधना के कारण व्यक्ति के स्वयं की सूक्ष्म जानने की क्षमता बढती है और वह आध्यात्मिक स्तर पर भारतीय और पाश्चात्य संगीत का विश्लेषण कर सकता है ।’’ महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की संगीत समन्वयक कु. तेजल पात्रीकर ने ऐसा प्रतिपादन किया ।

‘उर्वशी डांस, म्‍यूजिक आर्ट एंड कल्‍चरल सोसाइटी’ की ओर से ८ और १० जनवरी २०२१ को ‘सुर-ताल हुनर का कमाल’ अंतरराष्ट्‍रीय ‘ऑनलाइन’ चर्चासत्र आयोजित किया गया था । उसमें कु. तेजल पात्रीकर ‘संगीत साधना और महर्षि अध्यात्म विश्‍वविद्‍यालय द्वारा संगीत में अब तक किए विविध शोधकार्य’ और ‘कलाआें के सूक्ष्म स्पंदनों की दृष्टि से किए गए अध्ययन’ इ. विषयों पर बोल रही थीं । इस चर्चासत्र में ‘भारतीय कला व संस्कृति’ विषय पर कला क्षेत्र के विविध मान्यवर और प्‍रसिद्ध व्यक्तियों ने सहभाग लिया था । इस कार्यक्रम का सूत्रसंचालन पुणे की श्रीमती ममता सिंह ने किया ।

इस अंतरराष्‍ट्रीय ‘ऑनलाइन’ कार्यक्रम के माध्‍यम से भारतीय कला व संस्‍कृति के संवर्धन में देश-विदेश के कलाकारों के भारतीय गायन और नृत्य की स्पर्‍धाआें का आयोजन किया है । इस कार्यक्रम के माध्यम से ‘उर्वशी डांस, म्यूजिक आर्ट और कल्चरल सोसाइटी’ देश-विदेश के कलाकार और गायन-नृत्य गुरु को जोडने का कार्य कर रही है ।

विशेष अभिमत

‘कु. तेजल पात्रीकर द्वारा प्रस्‍तुत विषयों के माध्‍यम से देश-विदेश के गायन-नृत्‍य क्षेत्रों के मान्यवर गुरुजन और श्रोतावर्ग तक एक अलग शोध और संगीत क्षेत्र के कार्य की दिशा पहुंची । कार्यक्रम के आयोजन समिति के सदस्य अधिवक्ता उमेश शर्मा ने प्रशंसा करते हुए कहा, ‘हम आपके विषय से बहुत प्रभावित हैं ।’

चर्चा में सम्‍मिलित मान्‍यवर

श्री. संदीप मारवाह, निर्माता-निर्देशक, पत्रकार, व्‍यावसायिक एवं ‘नोएडा फिल्‍म सिटी’ के संस्‍थापक, देहली

‘पद्मश्री’ श्रीमती शोभना नारायण, प्रसिद्ध भारतीय कत्‍थक नृत्‍यांगना एवं भूतपूर्व आईएएस अधिकारी

डॉ. पी.एन. मिश्रा, प्रोफेसर ऑफ मैनेजमेंट हेड डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक्स, अहिल्या विद्यापीठ, इंदूर (यज्ञ एवं मंत्र के आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टि से शोध करनेवाले शोधकर्ता)

श्री. सुबोध राठोड, कत्‍थक नर्तक, लंडन

राणी खानम, प्रसिद्ध कत्‍थक नृत्‍यांगना, देहली

श्री. अश्‍विनी निगम, प्रसिद्ध कत्‍थक नर्तक एवं प्रशिक्षक, मॉस्‍को, रशिया

प्रा. आनंद वर्धन, कला एवं मंदिरों के विशेष अध्ययनकर्ता, देहली

प्राची दीक्षित, कत्‍थक नृत्‍य कलाकार एवं प्रशिक्षक, अमेरिका

निशी सिंह, कत्‍थक नृत्‍यांगना एवं प्रशिक्षक, दुबई

इस कार्यक्रम में सम्‍मिलित करने के लिए ‘उर्वशी डान्‍स, म्‍यूजिक आर्ट एंड कल्‍चरल सोसाइटी’ की संस्‍थापिका डॉ. रेखा मेहरा व अधिवक्‍ता उमेश शर्मा के महर्षि अध्‍यात्‍म विश्‍वविद्यालय ने आभार माना है।