इतिहास एवं मनाने की पद्धति
इस दिन नई फसल की बालियां लाकर उन्हें घर के देवता को अर्पण कर नवान्न भक्षण करते हैं । इस तिथि पर सरस्वतीदेवी उत्पन्न हुईं, इसलिए उनकी पूजा करते हैं । इस दिन को लक्ष्मी का भी जन्मदिन माना जाता है, अर्थात इस तिथि को श्रीपंचमी भी कहते हैं ।’
उद्देश्य
इस त्योहार का उद्देश्य है – इस दिन हुए सृष्टि के नवचैतन्य एवं नवनिर्माण के कारण प्राप्त आनंद को प्रकट करना एवं मौज मनाना ।’
(संदर्भ – सनातन का ग्रंथ
‘धार्मिक उत्सव एवं व्रतों का अध्यात्मशास्त्रीय आधार’)