(और इनकी सुनिए…) ‘पूर्वजों को ५ सहस्र वर्षों तक पीडा देनेवाली मनुस्मृति का विरोध होना चाहिए !’ – जितेंद्र आव्हाड

  • हिन्दू द्वेषी जितेंद्र आव्हाड ने सदा की भांति किया शासन के निर्णय का विरोध !

  • २९ मई को महाड (जनपद रायगढ, महाराष्ट्र) में किया जाएगा मनुस्मृति का दहन !

जितेंद्र आव्हाड

मुंबई (महाराष्ट्र) – जिस मनुस्मृति ने स्त्रियों के अधिकारों का नकारा और जिस मनुस्मृति के कारण हमारे पूर्वज ५ सहस्र वर्षों से पीडित रहें, वही मनुस्मृति पुनः एक बार यह सरकार ला रही है । इसका तीव्र विरोध होना चाहिए । डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने जहां इस मनुस्मृति का दहन किया, वहां अर्थात महाड में २९ मई को जाकर हम पुनः एक बार मनुस्मृति का दहन कर सरकार का निषेध करनेवाले हैं । इस हेतु बडी संख्या में उपस्थित रहें, ऐसा आवाहन शरद पवार गुट के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने किया है । एस्.सी.ई.आर्.टी.ने राज्य के विद्यालयीन पाठ्यक्रम में मनुस्मृति के कुछ श्लोक समाविष्ट करने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है । इसके विरोध में विधायक जितेंद्र आव्हाड ने यह वक्तव्य दिया । (एकांगी (एकतरफा) जानकारी प्रसारित करनेवाले जितेंद्र आव्हाड ! संविधानकार डॉ. आंबेडकर ने मनुस्मृति का दहन किया भी हो, इसी मनुस्मृति के अध्ययन के उपरांत उन्होंने ‘हिन्दू कोड बिल’ सिद्ध किया । यह बात आव्हाड क्यों नहीं बताते ? – संपादक)

उन्होंने आगे कहा, ‘‘मनुस्मृति ने भारत का सर्वनाश किया, समाज का विभाजन किया, समाज में चातुर्वण्य समाविष्ट कर जातिभेद निर्माण किया । स्त्रियों के साथ घिनौना व्यवहार करने की प्रथा को मनुस्मृति ने जन्म दिया, वही मनुस्मृति पुनः लाई जा रही है ।’’

संपादकीय भूमिका 

  • किसी भी धर्मग्रंथ को जलाना, कानून की दृष्टि से अपराध है । ऐसा होते हुए भी जितेंद्र आव्हाड ने मनुस्मृति के दहन के संदर्भ में ऐसा वक्तव्य देना, संविधान का विद्रोह ही है ! पुलिस को यह क्यों नहीं दिखाई देता ?
  • पूरे संसार में जिहादी आतंकवाद को फैला देनेवाली अथवा उसे प्रोत्साहित करनेवाली लेखन-सामग्री का दहन करने के संदर्भ में आव्हाड कभी नहीं बोलते, यह समझ लें !
  • अन्य समय दूसरों को ‘विचारों का प्रतिवाद विचारों से ही करना चाहिए’, ऐसा उपदेश करनेवाले पुरोगामी (आधुनिकतावादी) क्या अब आव्हाड को मनुस्मृति का दहन करने से रोककर, उन्हें यह उपदेश करेंगे ?