‘भीड का कोई धर्म नहीं होता’, बोले राजस्थान उच्च न्यायालयके न्यायाधीश फरजंद अली!
जयपुर (राजस्थान) – राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक मामले में १८ लोगों को जमानत देते हुए टिप्पणी की है कि ‘भीड़ का कोई धर्म नहीं होता है।’ ये मामला बाबू मोहम्मद बनाम राजस्थान सरकार ऐसा है। १९ मार्च २०२४ को राज्य के चित्तौड़गढ़ में हिंदू शोभा यात्रा पर हमला करने वाली भीड़ में १८ मुस्लिम शामिल थे। सेशन कोर्ट ने गिरफ्तार हुए सभी १८ लोगों की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। उसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
इस मामले की सुनवाई करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट के जस्टिस फरजंद अली ने कहा कि,
१. दो अलग-अलग समुदायों के बीच हिंसा भड़क गई और धार्मिक भावनाएं भी आहत हो सकती हैं। हालाँकि, यह निर्धारित करना मुश्किल है कि विवाद पैदा करने और लोगों को चोट पहुँचाने के लिए कौन जिम्मेदार है।
२. भीड का कोई धर्म नहीं होता। जब लोगों का एक बड़ा समूह किसी घटना को अंजाम देता है तो आरोपी कौन होता है? और निर्दोष कौन है?, इसका पता लगाना बहुत मुश्किल है।
३. अपीलकर्ता (याचिकाकर्ता) दोषी हैं या नहीं, इस पर इस समय टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।
४. मौत हिंसा से नहीं बल्कि दिल का दौरा पड़ने से हुई; क्योंकि मृतक के घुटने पर सिर्फ एक छोटा सा घाव था, जो मौत का कारण नहीं हो सकता।
क्या है मामला ?मार्च २०२४ में राज्य के चित्तौड़गढ़ में भगवान चारभुजानाथ की शोभा यात्रा पर कुछ कट्टर मुसलमानों ने हमला कर दिया था। इस दौरान उन्होंने पथराव भी किया। गाड़ियां और दुकानें जला दी गईं। इस हिंसा में एक हिंदू की मौत हो गई थी। |