Jaunpur Atala Masjid Court : जौनपुर (उत्तर प्रदेश) यहां अटाला मस्जिद पर हिन्दुओं द्वारा न्यायालय में दावा !

प्रमाणों के आधार पर पूर्व में देवी का मंदिर होने का याचिकाकर्ता का कहना !

जौनपुर (उत्तर प्रदेश) – पिछले सप्ताह राज्य के आग्रा नजिक फतेहपुर सिक्री के दरगाह के स्थान पर देवी मां का मंदिर होने का दावा करते हुए हिन्दुओं ने न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की थी । अब राज्य के जौनपुर के दिवानी न्यायालय में वहां की अटाला मस्जिद मूल में ‘माता मंदिर’ होने का दावा किया गया है । जौनपुर की इस मस्जिद की भीतों (दीवारों) पर मंदिर से संबंधित अनेक धार्मिक चिन्ह हैं, ऐसा कहा जाता है । इसमें त्रिशूल, पुष्प एवं अन्य हिन्दू कलाकृतियां समाहित हैं ।

आगरा के अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने याचिका प्रविष्ट की है । उन्होंने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड एवं अटाला मस्जिद व्यवस्थापन समिति विरुद्ध दावा किया है । सिंह ने कहा, ‘जिसे मस्जिद कहते हैं, वह वास्तविकता में मां का मंदिर है ।’ विशेष बात यह है कि इस मस्जिद पर हिन्दू अनेक वर्षों से दावा कर रहे हैं । पहली बार ये प्रकरण न्यायालय तक पहुंचा है । (क्या यह स्थिति हिन्दुओं के लिए लज्जाजनक नहीं है ? – संपादक)

अधिवक्ता सिंह द्वारा दावे के समर्थन में दिए गए संदर्भ !

१. पुरातत्व विभाग के संचालकों ने विवरण (रिपोर्ट) में कहा है, ‘माना जाता है कि अटाला माता मंदिर कन्नौज के राजा जयचंद्र राठौर ने निर्माण किया था । यह मंदिर गिराने का प्रथम आदेश फिरोजशाह ने दिया था; परंतु तब हिन्दुओं के संघर्ष के कारण वे मंदिर को ध्वस्त न कर सके । आगे इब्राहिम शाह ने वह नियंत्रित कर उसका रूपांतरण मस्जिद में किया ।

२. इसी विवरण के अनुसार ‘कोलकाता स्कूल ऑफ आर्ट्स’ के प्रधानाध्यापक ईबी हैवेल ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि अटाला मस्जिद का स्वरूप एवं चरित्र ‘हिन्दू’ के रूप में वर्णित किया गया है ।

३. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनेक विवरणों में अटाला मस्जिद के चित्र हैं । उनमें त्रिशूळ, पुष्प आदि दिखाई देते हैं, जो हिन्दू मंदिरों में पाए जाते हैं ।

४. वर्ष १८६५ के ‘एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल’ के जर्नल में भी अटाला मस्जिद में कलश की आकृति होने का उल्लेख किया है ।

संपादकीय भूमिका 

  • मुस्लिमों के नियंत्रण में रहे प्रत्येक धार्मिक भवन पर दावा करते रहने की अपेक्षा संबंधित राज्य के भाजपा शासित सरकार को ही सूची तैयार कर एकत्रित न्यायालयीन याचिकाएं प्रविष्ट करनी चाहिए, हिन्दुओं को ऐसा ही लगता है !
  • सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों को बहुमत के आधार पर संसद में कानून बनाकर रहित करनेवाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा निर्मित ‘धार्मिक स्थल कानून १९९१’ रहित करना, केंद्र की भाजपा सरकार के लिए थोड़ा भी कठिन नहीं है । इसके लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए, यही हिन्दुओं की अपेक्षा है !