नागपुर (महाराष्ट्र) – संघ अपने किए हुए, जो भी थोडे बहुत कार्य हैं उनका ढोल नहीं पीटेगा । कुछ उपलब्धियां प्राप्त करने के लिए संघ को १०० वर्ष लग गए, जो अत्यंत चिंताजनक है । इस धीमी गति से परिवर्तन होने का कारण यह है कि हमें २ सहस्राब्दियों तक सामाजिक पतन के विरुद्ध संघर्ष करना पडा है । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वर्ष २०२५ में १०० वर्ष पूर्ण कर रहा हैb। इस पृष्ठभूमि पर प. पू. सरसंघचालक मोहन भागवत यहां एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे । राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ शताब्दी वर्ष नहीं मनाएगा, यह भी उन्होंने कहा ।
RSS will not celebrate Centenary Year – Mohan Bhagwat, RSS Sarsanghchalak
‘Society’s success should not be measured by wealth but by adherence to Dharma.’
‘We must proudly declare that we are Hindus.’
The RSS chief was speaking at a book launch event in Nagpur pic.twitter.com/3RGGsD1iYG
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) April 25, 2024
समाज की विजय का आकलन धन से नहीं, धर्म की कसौटी पर होना चाहिए !
वर्ष १९२५ में संघ का गठन किया गया । उस समय अत्यंत कठिन परिस्थिति से मार्गक्रमण करना पडा । अत्यंत प्रतिकूल परिस्थिति में भी स्वयंसेवकों को अपना काम करते रहना चाहिए । संघ अहंकार बढाने के लिए ऐसा नहीं करता है । संघ १०० वर्ष पूर्ण होने का उत्सव मनाने और कुछ गतिविधियां चलाने नहीं आया है । संघ समाज में परिवर्तन चाहता है और मानता है कि समाज की जीत धन प्राप्ति से नहीं, बल्कि धर्म की कसौटी पर मापी जानी चाहिए । हमारे समुदाय की यह जीत अन्य समुदायों को सशक्त बनाएगी और अंततः विश्व को भी लाभान्वित करेगी । संघ समाज में ऐसे लोगों का निर्माण करना चाहता है जो समाज में वांछित परिवर्तन करने वाले हों ।
(सौजन्य : Yogras)
हमें गर्व से कहना चाहिए कि हम हिन्दू हैं !
उन्होंने आगे कहा कि विदेशी शिक्षा पद्धतियों के कारण हममें विस्मरण की अयोग्य आदत पड गई है कि हम कौन हैं ? हम पर कई शासकों ने अनेक वर्षों तक शासन किया । पिछली डेढ सहस्राब्दी से हमने सफलतापूर्वक आक्रांताओं का सामना किया है; किन्तु अपनी त्रुटियों तथा मूर्खता के कारण हम बार-बार पराधीनता के चक्र में फंसते हैं । हमें इस बीमारी से बाहर निकलना ही होगा, नहीं तो फिर वही होगा।’ परतंत्रता के परिणामस्वरूप, हम स्पष्ट रूप से बोलने और सोचने की क्षमता न्यून कर बैठते हैं । समाज को एकजुट करने वाले सूत्रों का समाज में बीजारोपण करना चाहिए । हमें अपनी पहचान जाननी चाहिए और इसे विश्व के साथ साझा करना चाहिए । वह पहचान हिन्दू है। हमें गर्व से कहना चाहिए कि हम हिन्दू हैं । आक्रमणकारियों को कठोर संदेश देने के लिए हमें अपनी बुनियादी अक्षमताओऺ पर ध्यान देना होगा और यह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने किया ।