Samudra Manthan : समुद्रमंथन के ‘वासुकी’ नाग के इतिहास पर विज्ञान का समर्थन !

  • गुजरात में ४० दशलक्ष (दसलाख) वर्ष पुराने बहुत ही विशाल सांप के जीवाश्म पाए गए !

  • वैश्विक वैज्ञानिक मासिक ‘स्प्रिंगर नेचर’ में शोधनिबंध प्रसारित !

कर्णावती (गुजरात) – हिन्दू धर्मग्रंथ में ५० फुट लंबाई के वासुकी नाग के संदर्भ में एक प्रसंग का वर्णन किया गया है । इस नाग का उपयोग देव एवं दानव के सामूहिक समुद्रमंथन में डोरी के रूप में किया गया था। भगवान शिव ने वासुकी को अपने गले में धारण किया था। अब गुजरात के कच्छ में उत्खनन में ऐसा कुछ मिला है, जिस कारण ऐसे महाकाय प्राणियों के अस्तित्व की पुष्टी हो रही है । उत्खनन के समय ऐसे सांपों के जीवाश्म मिले हैं । उसे ‘वासुकी इंडिकस’ ऐसा वैज्ञानिक नाम दिया गया है ।

आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों को शोध के समय यह जानकारी मिली है । इस शोध के कारण केवल प्राणियों की उत्क्रांति ही नहीं, अपितु प्राचीन सरीसर्प प्राणियों से भी भारत के संबंध उजागर हुए है । ‘वासुकी’ नाग भारत में आए एवं वे युरेशिया से उत्तर अफ्रिका में फैल गए । इसका शोधनिबंध ‘स्प्रिंगर नेचर’ नामक जर्मनी के वैश्विक वैज्ञानिक मासिक में भी प्रकाशित हुआ है ।

(सौजन्य : KVUE) 

आईआईटी रुड़की के पृथ्वीविज्ञान विभाग के अध्यक्ष सुनील वाजपेयी ने कहा है कि इस नाग की लंबाई ११ मीटर (३६ फुट) से १५ मीटर (४९.२२ फुट) जितनी है। उसका जीवाश्म कच्छ के पणंध्रो गांव में भुरे कोयले की खान में मिले हैं। वे अनुमानतः १२ सहस्र वर्षों पूर्व नामशेष हो गए। यह शोध हमें इओसीन युग में, अर्थात न्यूनतम ३.३९ करोड वर्ष पूर्व के युग का परिचय कराता है । ये जीवाश्म वर्ष २००५ में ही मिले थे; परंतु अन्य उपक्रमों को प्राथमिकता देने से उन पर गहन अध्ययन नहीं हो सका। पूर्व में अनेक लोगों को लगता था कि वे जीवाश्म घडियाल के हैं; परंतु पुनः अध्ययन करने से वे सांप के होने का पंजीकृत किया गया ।